रीवा। स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों ने पहले जनशिक्षक बनने की इच्छा जताई। कुछ दिन बाद पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा के बाद इनकी नवीन पदस्थापना के लिए प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी के पास भेजना था, लेकिन सीधे ही डीपीसी ने नवीन पदस्थापना कर डाली। ऐसे स्कूलों में जन शिक्षकों की पदस्थापना कर दी जहंा उनके पद ही रिक्त नहीं थे। बिना रिक्त पदों के पदस्थापना पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जन शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति समाप्त होने, प्रतिनियुक्ति अवधि के बीच में ही इस्तीफा देने के बाद नवीन पदस्थापना का खेल चल रहा है। स्कूलों में शिक्षकों को गांव से शहर में पदस्थ किया जा रहा है। बिना रिक्त पदों के पदस्थापना का मुद्दा नया नहीं है फिर भी इस पर रोक नहीं लग रही है। नया मामला पांच सीएसी के इस्तीफा देने का है। हद तो यह है कि इनकी पदस्थापना में अलग अलग नियमों का पालन किया गया। पांच में से चार की पदस्थापना डीपीसी ने कर दी। वहीं एक का प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी के पास भेज दिया। जबकि नियमानुसार सभी का प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी के पास भेजा जाना था। इस नई पदस्थापना में की गई विसंगति पूर्ण कार्यवाही से अधिकारियों और शिक्षकों की मिलीभगत खुलकर सामने आ रही है।
किसकी कहां की गई पदस्थापना
सीएसी रहे धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की पदस्थापना केरहा शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में की गई है। माध्यमिक विद्यालय केरहा में विज्ञान का पद नहीं है। इसी तरह अंजली चौरसिया माध्यमिक शिक्षक को शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय कन्या उपरहटी में पदस्थ किया गया है। यहां विज्ञान विषय में ममता पटेल पदस्थ हैं। छात्र संख्या 80 है। अंजली चौरसिया की पदस्थापना नियम विरुद्ध कर दी गई है। मोहम्मद एहसान खान शिक्षक की पदस्थापना शाउमावि सिलपरा में की गई है। सुनीता पटेल माध्यमिक शिक्षक सीएसी को शासकीय पूर्व माध्यमिक शिक्षक रीठी में पदस्थ किया गया है। यहां भी विज्ञान का पद खाली नहीं है।
इस तरह से की गई गड़बड़ी
5 सीएसी ने इस्तीफा दिया। इनमें से 1 सीएसी को नियमानुसार डीईओ रीवा की ओर से मुक्त कर दिया गया। शेष 4 सीएसी की पदस्थाापना विद्यालय में कर दी गई, जो नियम और पद के विरुद्ध है। नियमानुसार जब कोई सर्व शिक्षा अभियान के प्रतिनियुक्ति का कर्मचारी त्याग पत्र देता है तो डीपीसाी को सीधे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर सभी कर्मचारियों को मुक्त किया जाना चाहिए। 17 सितंबर 22 से नवीन स्थानांतरण नीति लागू है। इसमें स्पष्ट रूप से आदेश है कि बिना ऑनलाइन आवेदन एवं एजुकेशन पोर्टल पर रिक्त पद के ट्रांसफर नहीं किया जाता है। सब प्राचार्यों एवं डीपीसी की मिलीभगत से हो रहा है।
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