रीवा। जेल में बंद ठाकुर रणमत सिंह स्वशासी कॉलेज के तीनों पूर्व प्राचार्यो ने छात्रों की फीस से जमा पैसा लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्राचार्यों ने मनमर्जी अपने लिए तीन सालों में 1.95 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मानदेय निकाल डाला, जबकि यूजीसी के नियमानुसार इन्हें प्रत्येक को तीन सालों में 8.64 लाख रुपये मानदेय लेना था। इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए प्राचार्यों ने अपना अलग खाता भी केनरा बैंक में खोल दिया था। इसका खुलासा ईओडब्ल्यू के द्वारा प्रस्तुत चालान में हुआ है। बता दें कि टीआरएस कॉलेज में अवैधानिक अध्यादेश जारी कर और स्ववित्तीय मद से शिक्षक नियुक्ति, निर्माण , सामग्री क्रय एवं मरम्मत, निर्माण कार्य, डेटा वरीफिकेशन में 14 करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार हुआ है। ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज करने के बाद 717 दिन में पहला चालान शुक्रवार को पेश किया। इसमें अभी सिर्फ अवैधानिक अध्यादेश बनाकर मानदेय लेने के मामले में ईओडब्ल्यू ने चालान पेश किया है। प्राचार्यों ने अपने मानदेय मद में वर्ष 2018 से 2020 तक 1 करोड़ 95 लाख 88 हजार 681 रुपये की राशि निकाली है। जबकि इन्हें अधिकतम आठ हजार रुपए प्रतिमाह से मानदेय निकालने का प्रावधान है।
छात्रवृत्ति घोटाला – जिले के शासकीय महाविद्यालय एवं निजी महाविद्यालयों में छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में बड़ा घोटाला सामने आया था, जिसमें 5 करोड़ रुपये अधिक भुगतान छात्रों की फर्जी आईडी बनाकर किया गया। इसमें टीआरएस कॉलेज के प्राचार्य शामिल हैं।
शिक्षा विभाग का एरियर्स घोटाला- स्कूल शिक्षा विभाग में गुरू जी के संविलियन के बाद एरियर्स भुगतान को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया था जिसमें 1.83 लाख रुपये की राशि आहरित कर ली गई थी। जिसमें अभी वसूली कार्यवाही प्रचलन में है।
अनुदान प्राप्त स्कूलों का वेतन भुगतान घोटाला स्कूल शिक्षा विभाग में अनुदान प्राप्त स्कूलों के अध्यापकों के वेतन एरियर्स को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया था इस मामले में शिक्षा विभाग में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराई है।
मार्तण्ड स्कूल सामग्री खरीदी घोटाला – स्कूल शिक्षा विभाग के जिला एक्सीलेंस स्कूल में छात्रावास के किराया, निर्माण के दौरान सामग्री खरीदी का मामला लंबित है इस मामले में तीन प्राचार्यों पर कार्यवाही प्रचलन में है।
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यह है प्रावधान
यूजीसी की गाइड लाइन वर्ष 2012-17 की कंडिका-7 में स्पष्ट लेख है कि परीक्षा नियंत्रक को अधिकतम 8000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा सकता है। इसके वावजूद नियम विरुद्ध तरीके से रामलला शुक्ला ने 1.39 करोड़, एस.यू. खान को 52.31 लाख, सतेन्द्र शर्मा ने 14.99 लाख का भुगतान लिया है।
पेश होगा पृथक से चालान
ईओडब्ल्यू टीआरएस कॉलेज में हुए घोटाले को लेकर परिचय पत्र निर्माण, मानदेय, पारिश्रमिक, नियुक्ति, नियम विरुद्ध नियुक्त शिक्षक, कुशल, अद्र्धकुशल एवं अकुशल श्रमिकों के मानदेय, निर्माण कार्य, डेटा वेरीफिकेशन, सामग्री क्रय के मामले में 173(8) के तहत पृथक से चालान प्रस्तुत करेगा।
10 साल से चला आ रहा था प्रभार
बता दें कि इस घोटाले के मुख्य आरोपी रामलला शुक्ला कॉलेज में 2010 से 2020 तक लगातार परीक्षा नियंत्रक रहे हैं। जबकि वह पूर्णकालिक परीक्षा नियंत्रक नहीं थे। इसके लिए उन्हें प्रतिमाह 8 हजार रुपये पारिश्रमिक प्राप्त करना था, किन्तु उन्होंने करोड़ों रुपये निकाले।
इनको राजनीतिक तरीके से फंसाया गया है। सब हमारे गुरु हैं, ऐसा करना काफी निंदनीय है। यदि आरोप सिद्ध होता है तो अपराध माना जायेगा। लेकिन हमारे हिसाब से ऐसा नहीं होना चाहिए, इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। और भी चेहरे सामने आ सकते हैं।
अवनीश तिवारी, बीए फाइनल छात्र
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हम गलत मानते हैं, उनके ऊपर घोटाले के गलत आरोप लगाये जा रहे हैं। जांच पुन: की जाये। अभी जांच गलत तरीके से हुई है। प्राचार्य जी के साथ गलत हो रहा है।
शांति भूषण तिवारी, एनएसयूआई छात्रनेता, बीए के छात्र
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इस घटना से शिक्षा जगत की छवि धूमिल हुई है। लोगों को लगने लगा है कि शिक्षा जगत में भी इस तरह का कार्य होने लगा है। 14-14 करोड़ के मामले सामने आ रहे हैं। शिक्षकों का मुख्य कार्य पढ़ाना है, उन्हें ऐसे कार्यों से बचना चाहिए। टीआरएस में पैसा जनरेट का गलत तरीका अपनाया गया, जिसका यह परिणाम है।
डॉ पंकज श्रीवास्तव, एडी रीवा