रीवा। अवधेश प्रताप ङ्क्षसह विश्वविद्यालय ने सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक व प्राध्यापक पद पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 5 माह पहले आवेदन प्राप्त किया है। इन आवेदनों की छंटनी के लिए विश्वविद्यालय ने स्कूल शिक्षा विभाग के एक तृतीय श्रेणी शिक्षक को संवीक्षा समिति में सदस्य बना दिया है। विश्वविद्यालय के इस निर्णय को लेकर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक महकमे में हलचल है।
जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय ने शारीरिक शिक्षा विषय में प्राप्त आवेदनों की छंटनी के लिए जिस समिति का गठन किया है, उसमें मुख्य रुप से लाइफ लांग लर्निंग संकाय के अध्यक्ष डॉ सुनील कुमार तिवारी को स्थान दिया गया है। इसके अलावा डॉ महेशचंद्र श्रीवास्तव व शासकीय शिक्षा महाविद्यालय के डॉ हरिश्चंद्र द्विवेदी को सदस्य बनाया गया है। बताते हैं कि डॉ हरिश्चंद्र का मूल पद सहायक शिक्षक है और उनकी मूल पदस्थापना माध्यमिक शाला कन्या गुढ़ में है। डॉ हरिश्चंद्र प्रतिनियुक्ति पर इस समय शासकीय शिक्षा महाविद्यालय में डटे हुए हैं।
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प्राचार्य को भी चयनित करने जाना है
एक जानकारी के मुताबिक डॉ हरिश्चंद्र की पहुँच बहुत ऊंची है। सम्भवत: यही वजह है कि इन्हें विश्वविद्यालय की अन्य समितियों में भी स्थान मिलता रहा है। हाल ही में विश्वविद्यालय ने चाकघाट के एक निजी महाविद्यालय में प्राचार्य का चयन करने समिति का गठन किया है। कालेज कोड-28 के तहत होने वाली इस चयन प्रक्रिया के लिए बनी समिति में भी डॉ हरिश्चंद्र का नाम विश्वविद्यालय ने ठूस दिया है।
और भी चाटुकारों के लिए टूट रहे नियम
विश्वविद्यालय प्रशासन की मेहरबानी इन्हीं तक सीमित नहीं है। इसके अलावा कुछ अन्य चापलूस हैं, जो विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों की चाटुकारी कर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं। विश्वविद्यालय के सिस्टम इंचार्ज डॉ पीके राय जिनकी पदोन्नति राजभवन ने निरस्त कर दी है, उन्हें अभी भी विश्वविद्यालय द्वारा सम्बद्धता निरीक्षण समिति सहित अन्य स्थानों पर बतौर शिक्षक स्थान दिया जा रहा है। इसी तरह वर्तमान में तकनीकी अधिकारी डॉ नलिन दुबे भी आलाकमान की मेहरबानी से मूल्यांकन सेल से लेकर निरीक्षण समिति में स्थान बनाने में कामयाब हो चुके हैं।
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