रीवा। शहडोल स्थित पं शम्भूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय में नियमित शिक्षकों के पदों पर भर्ती हुई है। हाल ही में हुई इन नियुक्तियों को लेकर अब शिकायतों का दौर श्ुारू हो गया है, जिसमें नियुक्ति में भारी भ्रष्टाचार होने की बात कही जा रही है। चूंकि नियमित शिक्षकों के रिक्त पदों के विरुद्ध हुई नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेने रीवा जिले के भी करीब पांच सौ अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था, लिहाजा शहडोल में हुए भ्रष्टाचार की चर्चा रीवा जिले में भी जोर पकड़ रही है। वहीं, मामले को लेकर राज्यपाल, मप्र शासन स्तर पर जो शिकायतें हुई हैं, उनमें कई रीवा के भी निवासी हैं। ऐसी ही कुछ शिकायतों में उम्मीदवारों ने उल्लेख किया है कि शहडोल विश्वविद्यालय ने पूरी नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान एकेडमिक परफार्मेंस इंडेक्स (एपीआई) से संबंधित कोई भी जानकारी अभ्यर्थियों को नहीं दी, जो यूजीसी के नियमों का सरासर उल्लंघन है। अभ्यर्थियों ने बताया कि यूजीसी रेगुलेशन 2018 के अनुसार किसी भी विश्वविद्यालय को नियमित शिक्षकों की भर्ती करते समय एपीआई स्कोर के आधार पर प्रावीण्य सूची बनाकर प्रकाशित करना चाहिए। एपीआई स्कोर में शोध पत्र, सेमीनार के शोध पत्र, अकादमिक अवार्ड्स आदि शामिल होते हैं। हद तो यह हैं कि विश्वविद्यालय ने अभ्यर्थियों के पास मौजूद उक्त किसी भी दस्तावेज का सत्यापन तक नहीं किया, जिससे एपीआई गणना संदेह के दायरे में आती है।
परिणाम सार्वजनिक नहीं, चहेतों के ईमेल पर भेज दी सूचना
शिकायत में अभ्यर्थियों ने बताया कि शासकीय महाविद्यालय व विश्वविद्यालय में पढ़ाने के अनुभव के अंक नहीं जोड़े गए और न ही इन अंकों को सार्वजनिक किया गया, जो बड़ी गड़बड़ी की ओर इशारा करता है। अभ्यर्थियों के मुताबिक विश्वविद्यालय ने किसी भी परिणाम को अपनी अधिकृत वेबसाइट में सार्वजनिक नहीं किया, बल्कि चहेते चयनितों की ईमेल आईडी में सीधे नियुक्ति पत्र भेज दिया। विश्वविद्यालय प्रशासन की इस कारस्तानी को लेकर अभ्यर्थियों में बेहद नाराजगी है।
रीवा विवि में भी चल रही प्रक्रिया
बता दें कि रीवा विश्वविद्यालय में भी नियमित शिक्षकों के 57 रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विगत अप्रैल माह में ऑनलाइन आवेदन प्राप्त किए गए हैं। अब प्राप्त आवेदनों की छंटनी प्रक्रिया चल रही है। इधर, इस प्रक्रिया में भी धांधली के आरोप लगने लगे हैं। आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने हिंदी, रसायनशास्त्र जैसे कुछ चुनिंदा विभागों का रोस्टर ही अपने चहेतों को नियुक्त करने के हिसाब से बनवाया है। विश्वविद्यालय के शिक्षण विभागों में कार्यरत् इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान करने हर स्तर की सांठगांठ लगभग हो चुकी है। तकरीबन 20 से 40 की रेंज में मामला तय होने की चर्चा विश्वविद्यालय के गलियारों में इन दिनों चल रही है।
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