सतना. खेत से निकली सतना चमराडोल हाइटेंशन टावर लाइन से प्रभावित किसानों ने एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ ली है। मुआवजे की मांग को लेकर उचेहरा के पिथौराबाद में 35 दिन से टावर पर चढ़े किसानों की समस्या का निराकरण प्रशासन अभी तक नहीं कर सका। उधर, सोमवार को मैहर के बदेरा थाना क्षेत्र के पिपरा बरबंड गांव के तीन किसान मुआवजे की मांग को लेकर टावर पर चढ़कर अनशन पर बैठ गए। किसानों के टावर पर तंबू तानने की जानकारी लगते ही बदेरा पुलिस मौके पर पहुंची और किसानों को समझाइश देते हुए उतारने का प्रयास किया, लेकिन किसान नीचे उतरने को तैयार नहीं हुए।
12 लाख प्रति टावर मुआवजे की मांग
सतना-चमराडोल 765 केवी हाइटेंशन लाइन-2 का काम 2012 में शुरू हुआ था। इस लाइन का कार्य 2014 में पूरा हुआ था। इससे प्रभावित कुछ गांव के किसानों को पावर ग्रिड द्वारा क्षतिपूर्ति के साथ मुआवजा भी दिया गया था। वहीं गरीब किसानों को मुआवजा देने का आश्वासन देकर उनके खेत में टावर गाड़ दिए गए, लेकिन मुआवजा आज तक नहीं दिया गया। प्रभावित किसानों के आंदोलन को देखते हुए तत्कालीन कलेक्टर ने साल 2015 में किसान और पावर ग्रिड के अधिकारियों की बैठक लेते हुए किसानों को प्रति टावर 12 लाख रुपए व लाइन का 3000 रुपए मीटर की दर से मुआवजा देने के निर्देश पावर ग्रिड को दिए थे, जिसका पालन आज तक नहीं किया गया। कलेक्टर की इस गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा देने के लिए किसान पांच साल में कई बार टावर पर चढ़कर आंदोलन कर चुके हैं।