रीवा। देश भर में शहरुख खान और दीपिका पादुकोण की हिंदी फिल्म पठान को लेकर चल रहे विरोध पर तरह-तरह के बयान सामने आ रहे हैं। रीवा प्रवास पर पहुंचे मशहूर कलाकार राजीव वर्मा ने भी पठान को लेकर पत्रकारों से चर्चा के दौरान अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में ऐसी फिल्में हजारों में एक-दो बनती हैं जिनमें कुछ सीन को लेकर विरोध होता है। होना भी चाहिए, जो समाज के खिलाफ है, उसे बिल्कुल नहीं दिखाया जाना चाहिए। लेकिन वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि यू-ट्यूब में वीडियो और वेब सीरीजों में ऐसे खुले आम संस्कृति के वितरीत काम किया जा रहा है, फिर भी इनकी लोकप्रियता बढ़ रही है जो समाज के लिए सही नहीं हैं। फिल्मों पर तो सरकार व सेंसर बोर्ड विचार कर रहा है लेकिन इन पर रोक लगने का काम होना चाहिए, इन पर विचार करने की जरूरत है। जागरूकता लाने की जरूरत है कि यह संस्कृति के खिलाफ है। यह तब होगा जब दर्शक खुद इसका विरोध करेंगे। उन्होंने नाटक को लेकर कहा कि नाटक दर्शक और कलाकार के बीच एक सीधा संवाद है, जिसके माध्यम से वह एक मैसेज देता है। नाटक समाज हित में है, रंगकर्मी समाज को एक अच्छा मैसेज देने का काम कर रहे हैं। उन्होंने रीवा से जुड़ी हुई यादों को लेकर कहा कि वह चार दफा बीते वर्षों में रीवा आ चुके हैं। रीवा की संस्कृति, बोल चाल, भाषा उन्हें बहुत अच्छा लगती है। उन्होंने कहा कि रीवा के रंगकर्मी खुद आगे बढ़ रहे हैं। बीते वर्षों में उन्होंने अपने आप आगे बढऩे का काम किया है। उन्होंने कहा कि यहां योगेश त्रिपाठी जैसे प्रख्यात रंगकर्मी हैं, जिनके लिखे हुए नाटकों का मंचन देश-विदेश में हो रहा है, यह भी रीवा के लिए उपलब्धि हैं। उन्होंने कहा कि समाज हित में नाटक व रंगकर्मियों को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वह अब खुद इस कार्य में जुटे हुए हैं व फिल्म की दुनिया से अलग रंगमंच की दुनिया में अधिक से अधिक समय दे रहे हैं।
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