सीधी. जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. प्रेमलाल मिश्रा द्वारा की गई भारी वित्तीय अनियमितताओं के मामले में उन पर शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। रीवा में जब वे रमसा प्रभारी थे उस दौरान 11 लाख 92 हजार 537 रुपए के खयानत का आरोप उन पर जांच के बाद लगा था। डॉ. मिश्रा के विरुद्ध आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के आदेश पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ रीवा में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था मामला पंजीबद्ध होने के बाद उनके द्वारा इसमें लीपापोती करानें के लिए काफी प्रयास किए गए लेकिन सफल नहीं हो पाए। वर्तमान में उनकी आर्थिक अनियमितताओं के मामले में सिविल लाईन थाना रीवा पुलिस घोटाले की जांच कर रही है। बताया गया है कि पुलिस की विवेचना अंतिम दौर पर पहुंच चुकी है। अब उनके ऊपर पुलिस जल्द ही एफआईआर दर्ज करेगी। दरअसल डॉ. प्रेमलाल मिश्रा जब जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय रीवा में रमसा प्रभारी थे उस दौरान 16 लाख 87 हजार 184 रुपए की सामग्री की खरीदी की गई थी। शिकायत होने पर बिल बाउचर की जांच हुई तो सिर्फ 4 लाख 14 हजार 647 रुपए की सामग्री खरीदी के बिल का मिलान हो पाया। शेष 11 लाख 92 हजार 537 रुपए खरीदी के कोई दस्तावेज व सामग्री नहीं मिली।
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जांच टीम के प्रतिवेदन के आधार पर तत्कालीन लोक शिक्षण आयुक्त अभय वर्मा ने डॉ. प्रेमलाल मिश्रा के ऊपर 11 लाख 92 हजार 537 रुपए खयानत का आरोप मानते हुए विभागीय जांच संधारित की थी। उधर जिला शिक्षा अधिकारी सीधी का प्रभार मिलने के बाद डॉ. प्रेमलाल मिश्रा यहां भी भ्रष्टाचार की इबारत लिखने में पीछे नहीं रहे। उनके द्वारा सीधी जिले के 151 शासकीय स्कूलों को जारी तीन-तीन लाख रुपए के अनुरक्षा मद में भी जमकर मनमानी की। 151 स्कूलों को करीब 4 करोड़ रुपए कार्य के लिए आए थे। जिसमें डॉ. प्रेमलाल मिश्रा ने रीवा के एक चहेते ठेकेदार के साथ मिलकर मनमानी तौर पर आधा अधूरा कार्य कराया और उनके द्वारा स्वत: कार्यों का सत्यापन करने के लिए बिल बाउचर अपने पास मंगाकर करोड़ों रुपए की अनियमितताएं करने में कोई गुरेज नहीं किए। इसको लेकर भी लगातार शिकायतें मिल रही हैं।
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जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. प्रेमलाल मिश्रा जब से सीधी में आए हैं उनके द्वारा नियमों को पूरी तरह से हासिए पर रख दिया गया है। कुछ खास चहेते लिपिकों के माध्यम से ही उनके द्वारा सभी कार्यों को निपटाने की परंपरा शुरू की गई है। शिक्षकों एवं कर्मचारियों के स्थानांतरण का कार्य पूरी तरह से सुविधा शुल्क के बलबूते किया जा रहा है। स्कूलों में संस्था प्रमुखों का प्रभार देने में यह नहीं देखा जा रहा है कि संबंधित कर्मचारी से सीनियर वहां मौजूद हैं या नहीं। प्रभार के लिए 50 हजार रुपए का सुविधा शुल्क कार्यालय में काफी चर्चित है। कार्यालय सूत्रों के अनुसार जो भी कनिष्ट शिक्षक अपने संस्था का प्रभारी बनना चाहे वह 50 हजार रुपए सुविधा शुल्क साहब के चहेते लिपिक के पास जमा करा दे कुछ घंटे के अंदर ही उसे आर्डर की कांपी मिल जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारी का पूरा ध्यान कार्यालय में बैठकर ऊपरी कमाई वाले कार्यों को निपटाने में ही बना हुआ है।
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nअनुरक्षा मद अंतर्गत सीधी जिले में 151 शासकीय विद्यालयों को रंगरोदन एवं मरम्मत के लिए राशि जारी की गई थी। करीब 4 करोड़ की राशि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को मिलने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. प्रेमलाल मिश्रा द्वारा अपने कार्यालय में कुंडली मार कर अटैच में जमे चर्चित लिपिकों के माध्यम से 50 फीसदी कमीशन पर कार्य बांट दिया। इसमें जिला शिक्षा अधिकारी के रीवा से एक ठेकेदार भी शामिल रहे। अनुरक्षा मद का पूरा कार्य 50 फीसदी में कमीशन में रीवा के एक व्यक्ति द्वारा कराने को लेकर भी शुरू से ही सवाल खड़े हो रहे थे। फिर भी डॉ. मिश्रा आनन-फानन में कार्य पूर्ण कराकर करोड़ों की राशि खर्च कर दिए।
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nजिला शिक्षा अधिकारी सीधी डॉ. प्रेमलाल मिश्रा के रीवा में पदस्थ रहने के दौरान भारी वित्तीय अनियमितताएं करने की शिकायत प्राप्त हुई थी। उसकी विवेचना अब अंतिम दौर पर है। पुलिस को विवेचना के दौरान पर्याप्त साक्ष्य मिल चुके हैं। विवेचना का कार्य पूर्ण होते ही उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाएगी।
nहितेन्द्रनाथ शर्मा, प्रभारी
nसिविल लाईन थाना रीवा