सीधी. देश भर में निवेशकों द्वारा सहारा में कई सौ करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं। जिसकी वापसी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा चुनाव से पूर्व सहारा निवेशकों की बड़ी समस्या का समाधान करने के लिए हाल ही में सहारा रिफंड पोर्टल लंच किया है। पोर्टल के जरिए सहारा की चार को-ऑपरेटिव सोशायटी के निवेशक आवेदन कर सकते हैं। उक्त आवेदन के बाद 45 दिन के अंदर संबंधित निवेशक को जमा राशि उसके द्वारा दिए गए बैंक एकाउंट में भेजने की व्यवस्था बनाई गई है। विडम्बना यह है कि सहारा रिफंड पोर्टल के लांच होने के बाद से ही इसका सर्वर लगातर डाउन चल रहा है। सर्वर न चलने के कारण सीधी जिले के हजारों निवेशक अपनी जमा पूंजी को पाने के लिए ऑनलाईन आवेदन पर नहीं कर पा रहे हैं। इस मामले में सहारा निवेशकों की कोई मदद जिला स्तर से अभी तक करने की कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई है।
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एमपी ऑनलाईन केन्द्रों में अपने कागजात लेकर निवेशक सुबह से शाम तक भटक रहे हैं। तत्संबंध में कई एमपी ऑनलाईन केन्द्रों के संचालकों ने बताया कि सहारा निवेशकों की राशि वापसी के लिए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा हाल ही में सहारा रिफंड पोर्टल लांच किया गया है। यह पोर्टल शुरू से ही नहीं चल पा रहा है। सर्वर की भारी समस्या बनी हुई है। जब तक सर्वर सही तरीके से नहीं चलेगा उसके माध्यम से आवेदन कर पाना भी संभव नहीं है। चर्चा के दौरान कुछ निवेशकों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों से काफी संख्या में लोग अपने कागजात लेकर ऑनलाईन आवेदन करने के लिए जिला मुख्यालय आ रहे हैं लेकिन यहां सर्वर न चलने की जानकारी देकर आवेदन नहीं भरे जा रहे हैं। जब तक आवेदन भरने की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होगी राशि नहीं मिल सकती। ऐसे में सरकार को इस संबंध में त्वरित पहल करनी चाहिए। महीनों से सहारा कार्यालय में लटक रहा ताला जिला मुख्यालय में सहारा का कार्यालय स्टेडियम मार्ग में सूखा नाला के ऊपर स्थित है। यहां हमेंशा ताला ही लटकता रहता है।
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इस वजह से यदि कोई निवेशक कार्यालय में आकर राशि वापसी के संबंध में आवश्य जानकारी लेना चाहे तो नहीं मिल सकती। कार्यालय के आसपास के कुछ लोगों ने बताया कि एक-दो कर्मचारी यहां पदस्थ हैं। कभी कभार कार्यालय का आधा शटर उठा हुआ देखा जाता है। नियमित रूप से कार्यालय का खुलना महीनों से बंद है। सहारा के हजारों निवेशकों की भीड़ अपनी जमा पूंंजी पाने के लिए कार्यालय में रोजाना पहुंचती थी। यहां बैठने वाले कर्मचारी इस संबंध में गोलमाल जवाब देते थे। जिसके चलते कई बार विवाद की स्थिति भी निर्मित हो जाती थी। इसी वजह से जो कर्मचारी यहां हैं वह केवल नाम के लिए हैं। यहां लेन-देन का कार्य पूरी तरह से बंद है। जो व्यक्ति पहले सहारा में एजेंट थे उनके द्वारा भी जब तक कार्य था कमीशन में काफी कमाई की गई। जब उनके निवेशकों की जमा पूंजी लौटने को लेकर अनिश्चितता निर्मित हो गई तो संंबंधित एजेंट भी अपना पल्ला झाड़ चुके हैं। उनके द्वारा निवेशकों की कोई भी मदद नहीं की जा रही है। जिले के हजारों निवेशक अपनी जमा पूंजी पाने के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं।
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पोलिसी बांड ले गये एजेंन्ट
nसहारा में अपना पैसा निवेश करने वाले उपभोक्ताओं के पास एक समस्या और भी सामने आ गई हैं। उपभोक्ताओं की जब समय सीमा पूर्ण हो गई थी। तब वह अपने एजेन्ट को पैसा अहरण करने के लिए अपना पोलिसी बांड दे दिया थें और एजेन्ट उपभोक्ताओं के बांड सहारा के हेड आफिसों में जमा कर दियें थें। अब सहारा की सभी आफिसे बंद हो गई है और निवेशको के पास बांड भी नही है ऐसे में कैसे वह अपनी जानकारी पोर्टल में दर्ज करेगें। हलांकि कुछ उपभोक्ता अपने पोलिसी बांड का नम्बर जरूर अपनी डायरियों में लिख लिये थें। कुछ के बांड की छाया प्रति एजेन्टों ने सुराक्षित रख लिये तो जो अब वक्त पर काम आ रहा हैं। किन्तु जिले में बहुत सारे ऐसे उपभोक्ता है जिनके पास न तो पोलिसी बांड है और नही उनका कोई दस्तावेज ही हैं।
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nजिले के हजारों निवेशकों की राशि सहारा बैंक में सालों से फंसी हुई है। खाता एवं बाण्ड की अवधि पूर्ण हो जाने के बाद भी राशि वापसी का कोई रास्ता नहीं निकल रहा है। जिसकी शिकायत पुलिस के साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से निवेशक समय-समय पर करते रहे हैं। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पंकज कुमावत के प्रयासों से कुछ निवेशकों की राशि पुलिस की सख्ती के चलते वापस की गई थी। उस दौरान एक करोड़ से ज्यादा की राशि निवेशकों को वितरित की गई थी। बावजूद इसके वर्तमान में भी ऐसे हजारों निवेशक हैं जिनकी जमा पूंजी फंसी हुई है। उन्हें उम्मीदें थी कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लांच किये गये पोर्टल के माध्यम से राशि वापिस मिल जायेगी किन्तु सर्वर की समस्या के चलते निवेशक ऑनलाईन आवेदन तक नहीं कर पा रहे हैं।