रीवा। जिला उपभोक्ता आयोग ने पीडि़त शेषमणि प्रसाद शुक्ल के बैंक खाते से किसी व्यक्ति द्वारा अनाधिकृत रूप से निकाले गए 8.50 लाख रुपये 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से वापस करने का बैंक को आदेश दिया है, साथ ही विधिक कार्यवाही का खर्च 7500 रुपये भी पीडि़त को देने का आदेश दिया है। सूत्रों के अनुसार शेषमणि प्रसाद शुक्ला पिता स्वर्गीय मंगल प्रसाद शुक्ला निवासी ग्राम अकौरी थाना गढ़ तहसील गंगेव के खाते से 10 अप्रैल 2017 से 21 अप्रैल 2017 की शाम 6:48 बजे के बीच की अवधि में 8.50 लाख रुपये किसी ने एटीएम के जरिए निकाल लिये। खाता धारक ने अपना मोबाइल नंबर बैंक में मैसेज के लिए रजिस्टर कराया था, किंतु उसके मोबाइल में इस अवधि में कोई मैसेज नहीं आया।
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खाताधारक के मोबाइल में 21 अप्रैल 2017 को शाम 6:48 पर 100 रुपये निकाले जाने का मैसेज आया तथा खाते में शेष 34 रुपए 48 पैसे होना बताया गया। तब आवेदक ने बैंक में जाकर एस्टेटमेंट निकाला तो उसे धोखाधड़ी की जानकारी हुई। आवेदक द्वारा बैंक में शिकायत की गई, साथ ही पुलिस थाना में भी शिकायत की गई। आवेदक ने एसएमएस भेजने में बैंक की लापरवाही और सेवा में कमी के कारण उसे हुई हानि की शिकायत की और जिला उपभोक्ता आयोग रीवा के समक्ष परिवाद पत्र प्रस्तुत किया।
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nउपभोक्ता को मेसेज न भेेजना सेवा में कमी : आयोग के समक्ष बैंक द्वारा कहा गया कि एसएमएस अलर्ट की सुविधा सर्विस प्रोवाइडर द्वारा प्रदान की जाती है और आवेदक के मोबाइल में ऑटोमेटेकली पंजीकृत मोबाइल नंबर में जानकारी चली जाती है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष संदीप श्रीवास्तव, सदस्य कंचन अवधिया और डॉ. सुशील मिश्रा द्वारा दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत समस्त तथ्यों, अभिकथनों और तर्कों पर विचार करने के पश्चात आदेश दिया गया कि बैंक द्वारा आवेदक के खाते में पंजीकृत मोबाइल नंबर पर उसके खाते से निकली गई रकम का एसएमएस अलर्ट न करना सेवा में कमी है और बैंक ने यह सेवा में कमी की है। ग्राहक को कोई हानि का पूर्ण दायित्व बैंक का होना पाया गया और उसके बचत खाते से अनाधिकृत रूप से निकल गए 8.50 लाख रुपए साथ में 6 प्रतिशत ब्याज देने का आदेश जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित किया गया। आयोग ने विधिक खर्चे में 7500 रुपए भी बैंक से ग्राहक को दिलाये जाने का निर्णय दिया। पीडि़त की ओर से पैरवी अधिवक्ता संतोष अवधिया ने की।