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अभय चौरसिया की रिपोर्ट ।n
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काशी विश्वनाथ बनारस भगवान काशी विश्वनाथ भोलेनाथ की धारा काशी को अन्य 3 नाम से और जाना जाता है ।
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बनारस वाराणसी और बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के के नाम से भी जाना जाता है।
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काशी भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से 1 ज्योतिर्लिंग यहां विद्यमान है।
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प्रतिदिन लाखों की की संख्या में भक्तों का जमावड़ा लगता है।
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यहां दर्शन के लिए भगवान भोलेनाथ महादेव काशी विश्वनाथ के क्योंकि बाबा विश्वनाथ की कृपा बहुत ही अद्भुत है।
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भगवान शिव काशी विश्वनाथ के रूप में स्वयं काशी बनारस में विद्यमान है।
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अभी कुछ दिनों पहले ही काशी में कॉरीडोर का निर्माण हुआ है।
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काशी इन दिनों काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने बने ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद के कारण भी सुर्खियों में छाई रही।
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आइए समझते हैं काशी के निर्माण और इतिहास की गहराई को….!!!
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पौराणिक मान्यताओं एवं वेद पुराणों की कथाओं के अनुसार वाराणसी की स्थापना भगवान शिव जी ने की थी।
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शिव और ब्रह्मा के युद्ध के दौरान ब्रह्मा के पांचवे सिर को शिव जी ने धड़ से अलग कर दिया था।
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उस सिर को अपने साथ लेकर जा रहे थे तभी उनके हाथ से छूट करके काशी (वाराणसी) मैं आ गिरा ।
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तब से ये स्थान को अत्यंत पवित्र माना जाने लगा और एक तीर्थ स्थल के रूप में काशी विश्वनाथ (वाराणसी) के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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महाभारत काल में भी इसका उल्लेख मिलते हैं महाभारत में काशी महाराज की पुत्री अंबिका और अंबालिका से विचित्रवीर्य का विवाह हुआ था।
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विचित्रवीर्य के पुत्र धृतराष्ट्र और पांडु थे।
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धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन का विवाह भी काशी की राजकुमारी भानुमति से हुआ था।
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इस प्रकार काशी नगरी का उल्लेख प्राचीन काल से ही पुराणों और वेदों में वर्णित रहा है।
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काशी को 11 पवित्र स्थलो..
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आध्या, मथुरा, माया ,काशी ,कांची ,अवंतिका, वैशाली द्वारिका, पुरी, तक्षशिला, गया।
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में माना जाता है ।
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कबीरदास और रविदास का जन्म भी इसी पुण्य पावनी धरा काशी में हुआ था।
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काशी के घाट बहुत ही प्रसिद्ध माने गए हैं।
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काशी बनारस में 88 घाट हैं।
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अस्सी घाट , गंगा महल घाट, रीवा घाट , [[तुलसी घाट]
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,जानकी घाट, चेत सिंह घाट, निरंजनी घाट, शिवाला घाट
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,दंडी घाट हनुमान घाट ,हरिश्चंद्र घाट ,विजयनगरम घाट
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केदार घाट ,चौकी घाट , सोमेश्वर घाट ,मानसरोवर घाट ,नारद घाट ,पांडे घाट ,सर्वेश्वर घाट ,दिग्पतिया घाट ,राणा महल घाट ,दरभंगा घाट , मुंशी घाट,अहिल्याबाई घाट ,शीतला घाट ,दशाश्वमेध घाट ,प्रयाग घाटराजेंद्र प्रसाद घाट ,मन्मन्दिर घाट ,त्रिपुर भैरवी घाट,मीर घाट ,बाजीराव घाट ,प्रयाग घाट ,सिंधिया घाट अन्य घाटों को मिलाकर के कुल 88 घाट है ।
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दुनिया के सबसे पुराने प्राचीन शहर काशी 2507 से पहले उसका विस्तार माना जाता है ।
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आसपास के सारनाथ में अशोक की शेर की राजधानी को पांचवीं शताब्दी ईसापूर्व मैं बौद्ध के पहले उपदेश के रूप में व्याख्या की गई है।
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आदि शंकराचार्य ने वाराणसी से एकाधिकार संप्रदाय के रूप में शिव पूजन की स्थापना की तुलसीदास जी ने अपना अवधी भाषा का महाकाव्य रामचरितमानस वाराणसी में संस्कृत रामायण पर आधारित भक्ति आंदोलन में लिखा था ।
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इस प्रकार वाराणसी प्राचीन काल से ही भक्ति और अध्यात्म तथा मुक्ति का का केंद्र रहा है।
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आज भी काशी नगरी मुक्ति का धाम बना हुआ है बाबा काशी विश्वनाथ का यहा वास है।
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जो भी भक्त यहां दर्शन करने के लिए आते है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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बाबा काशी विश्वनाथ के मंदिर में भव्य बना कॉरिडोर अपनी अभूतपूर्व खोज के पहचान को एक वापस पाकर काशी विश्वनाथ का एक अलग ही रूप हमें देखने को मिलता है।
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ऐसे ही मंदिरों और इतिहास की जानकारी के लिए जुड़े रहिए 🗞️✍️विंध्या वाणी न्यूज़ ✍️🗞️ के साथ।।
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