रीवा। रीवा से इंदौर, महू को चलने वाली एक्सप्रेस टे्रन का मार्ग आगामी 1 से 3 मई तक परिवर्तित रहेगा। रीवा से इंदौर के बीच इस टे्रन का आवागम मक्सी स्टेशन रेलमार्ग से होगा। उक्त तीन दिवस टे्रन बीना स्टेशन होकर नहीं जायेगी। इस बाबत पश्चिम मध्य रेलवे ने सूचना जारी की है। जारी सूचना के अनुसार पमरे अंतर्गत भोपाल-बीना रेलखण्ड पर निशातपुरा रेलवे स्टेशन पर नॉन-इंटरलॉकिंग का कार्य होना है। इस अवधि में पमरे ने अन्य दर्जनभर से अधिक यात्री टे्रन का मार्ग परिवर्तित किया है। इस क्रम में रीवा-इंदौर टे्रन का मार्ग भी 3 दिन के लिए बदला है।n
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अक्षय तृतीया के दिन जिलेभर में होगा भगवान परशुराम का पूजन कार्यक्रम
nरीवा। अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्मदिवस जिले में धूमधाम से मनाया जायेगा। इस अवसर पर नगर में भगवान परशुराम की शोभा यात्रा निकाली जायेगी। यह दिव्य शोभायात्रा करहिया मंडी से प्रारम्भ होगी, जो ढेकहा तिराहा, जय स्तम्भ चौक, कॉलेज चौराहा, सिरमौर चौराहा, अमहिया, अस्पताल चौराहा, शिल्पी प्लाजा, अग्रसेन चौक होते हुए कोठी कम्पाउण्ड स्थित शिव मंदिर में समाप्त होगी। नगर के अलावा जिलेभर में भगवान परशुराम का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जायेगा। हालांकि इस वर्ष शुक्र तारा अस्त होने से अक्षय तृतीया के दिन विवाह मुहुर्त नहीं हैं। फिर भी श्रद्धालुओं द्वारा अन्य शुभ कार्य इस तिथि में किये जायेंगे। शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया सबसे शुभ दिन माना जाता है। शास्त्रों में अक्षय का अर्थ है, जिसका कभी क्षय न हो। साथ ही धन, वैभव, मान, सम्मान में वृद्धि हो और घर में समृद्धि बने रहे। इस कारण ही इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया का खास महत्व होता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया के रूप में मनाई जाती है। स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। उन्हीं के प्रताप से कालांतर में यह तिथि अक्षय तृतीया कहलायी।
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nबन रहे 7 शुभ योग
nइस वर्ष अक्षय तृतीया 7 शुभ योगों में मनाई जा जायेगी। अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को है इस दिन उच्च के चंद्रमा वृष राशि में होंगे। साथ ही, इस दिन आयुष्मान योग होगा, शुभ कृतिका नक्षत्र रहेगा (नक्षत्र स्वामी सूर्य है), सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग रहेगा। अक्षय तृतीया तिथि का आरंभ 22 अप्रैल को सुबह 7.50 बजे से होगा और 23 तारीख को सुबह 7.48 बजे तक यह तिथि रहेगी।
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nविधि-विधान से करें पूजन
nइस दिन ब्रह्म मुहूर्त मैं उठकर स्नान आदि नित्यकर्मों से निवृत होकर अक्षय तृतीया व्रत एवं दान का संकल्प लेना चाहिए। उपवास रखें और घर में ही किसी पवित्र स्थान पर विष्णु भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित कर पूजन का संकल्प करें। संकल्प के बाद भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं, तत्पश्चात उन्हें सुगंधित चंदन, पुष्पमाला अर्पण करें। नैवेद्य में जौ या जौ का सत्तू, ककडी और चना की दाल अर्पण करें। भगवान विष्णु को तुलसी अधिक प्रिय है, अत: नैवेद्य के साथ तुलसी अवश्य अर्पित करें। ‘विष्णु सहस्त्रनामÓ का पाठ एवं विष्णु द्वादशाक्षर मंत्रों का जाप करें। अंत में श्रद्धा पूर्वक आरती करें।
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nकर्मों का क्षय नहीं होता
nभविष्य पुराण की मान्यताओं के अनुसार इस पुनीत तिथि में किए गए कर्मों का कभी क्षय नहीं होता, अत: मनोयोगपूर्वक किए गए शुभ कार्य, दान ,जप, तप एवं स्थाई महत्व के मंगल कार्य भी अक्षय हो जाते हैं। इस दिन बर्तन, पात्र, मिष्ठान, तरबूज़ा, खऱबूज़ा, दूध, दही, चावल का योग्य ब्राह्मणों को दान देना चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन पानी से भरे मटके, गेहूं ,सत्तू एवं जौ के दान का विशेष महत्व शास्त्रों में कहा गया है। इस दिन से सार्वजनिक स्थलों पर पानी की प्याऊ लगवाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति मानी गई है।
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nखरीददारी के लिए उत्तम दिवस
nअक्षय तृतीया की खरीदारी के लिए 22 अप्रैल को सूर्योदय से सम्पूर्ण दिन तक तमाम उत्तम मुहूर्त हैं। इस वर्ष अक्षय तृतीया क समस्त प्रकार के मंगल मुहूर्त के योग बनते हैं। इस बार अक्षय तृतीया शुभ योगों में होने के चलते आभूषण, सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात, जमीन, खेत, प्रॉपर्टी, मकान, कार, बाइक, इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदने के शुभ मुहूर्त हैं। अक्षय तृतीया के दिन खऱीदे जाने वाले बेशक़ीमती आभूषण एवं सामान शाश्वत समृद्धि के प्रतीक हैं। इस दिन खऱीदा व धारण किया गया सोना अखण्ड सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।
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