सीधी. शहर में जगह-जगह पैथालॉजी के कलेक्शन सेंटर्स खुले हुए हैं, जहां बगैर रजिस्टर्ड टेक्रीशियनों द्वारा काम लिया जा रहा है। जबकि बिना रजिस्टर्ड टेक्रीशियन के पैथालॉजी संचालन करना कानून जुर्म है। ऐसे पैथालॉजी केन्द्रों के खिलाफ जांच करके सख्त कार्रवाई करने का प्रावधान शासन का है, लेकिन जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारियों की लापरवाही से नियम विरूद्ध कार्य किये जा रहे हैं। इन संचालकों द्वारा पैसे कमाने के लिए मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ की जा रही है। कई बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि सेंपल की जांच रिपोर्ट गलत आई और डॉक्टर उसी के मुताबिक दवा लिख रहे हैं। ऐसे में मरीजों की जान जोखिम में डाली जा रही है। बिना योग्यता वाले टेक्रीशियनों के सहारे न केवल शहर में वरन पूरे जिले में अवैधानिक पैथालॉजी सेंटर संचालित हैं। हालांकि इस संबंध में कई बार संचालनालय से आदेश भी जारी किये गए, लेकिन उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। कागजी खानापूर्ति कर कोरम पूरा किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बिना रजिस्टर्ड टेक्रीशियन के चलने वाले पैथालॉजी सेंटरों में सेंपल निकालने वाला योग्यताधारी तथा पैरामेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड लैब टेक्नीशियन नहीं है तो उनका रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने के नियम है। लेकिन उसका पालन नहीं किया जा रहा है, जबकि इस संबंध में संचालनालय द्वारा निरंतर निर्देशित पत्र जारी किया जाता है।
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nगौरतलब है कि जिले में संचालित अधिकतर पैथालॉजी सेंटर ऐसे हैं, जहां पर अप्रशिक्षित टेक्नीशियनों द्वारा खून का कलेक्शन किया जा रहा है। इतना ही नहीं, उसकी जांच भी इन्हीं कर्मचारियों द्वारा की जा रही है। ऐसे में कई बार गलत जांच रिपोर्ट तैयार हो जाती है और मरीजों की जान जोखिम में आ जाती है।
nइसकी होनी चाहिए जांच : जानकारों की मानें तो इन कलेक्शन सेंटर्स में सेंपल भेजने के तरीके की जांच की जानी चाहिए कि मुख्य लैब में जांच के लिए ब्लड आदि को भेजने के लिए निर्धारित प्रक्रिया अपनाई जा रही है या नहीं। इसमें सेंपल को पैक करने के साथ ही निर्धारित तापमान पर रखने का नियम है। लेकिन विभागीय अमला इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
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nझोलाछाप डॉक्टरों के यहां भी खुले पैथालॉजी सेंटर : मरीजों के प्रायवेट डॉक्टर के यहां जाते ही पैथालॉजी जांच लिख दी जाती है। लिहाजा पैथालॉजी जांच के नाम पर भी मरीजों को मनमानी शुल्क चुकाना पड़ता है। पैथालॉजी जांच में भारी भरकम मुनाफा देखकर अब तो झोलाछाप डॉक्टर भी अपनी क्लीनिकों में अवैध पैथालॉजी सेंटर संचालित कर रहे हैं। उनके द्वारा पैथालॉजी जांच के नाम पर मरीजों से मोटी रकम वसूली जा रही है। पैथालॉजी जांच के लिए अप्रशिक्षित लोगों को रखा जाता है। जिनके द्वारा जांच के नाम पर औपचारिकताएं निभाई जाती हैं और मनमानी रिपोर्ट तैयार कर दी जाती है। झोला छाप डॉक्टर भी रिपोर्ट की विश्वसनीयता को जानते हैं और उनके द्वारा तुक्का बैठाकर मरीजों को दवाईयां लिख दी जाती हैं। झोलाछाप डॉक्टरों के लिए पैथालॉजी जांच ऊपरी कमाई का बड़ा जरिया बन चुका है। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध पैथालॉजी सेंटरों का संचालन करनें का प्रचलन तेजी से बढ़ा है।
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जिला मुख्यालय समेत कस्बाई क्षेत्रों में अवैध पैथालॉजी के सेंटरों का संचालन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। जिसको लेकर लगातार शिकायतें भी मिलती हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी पैथालॉजी सेंटरों का जांच करनें की जरूरत नहीं समझते। यदि पैथालॉजी सेंटरों की जांच समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ ही प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों द्वारा भी की जाए तो निश्चित ही अवैध पैथालॉजी सेंटरों के संचालन पर अंकुश लग सकता है। विडंबना इस बात की है कि पैथालॉजी जांच के नाम पर मरीजों को भारी-भरकम शुल्क देने के बाद भी विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिलती। लिहाजा गलत पैथालॉजी रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर द्वारा दवाईयां शुरू कर देने से कई बार मरीजों की हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ जाती है। उस दौरान गलत पैथालॉजी जांच रिपोर्ट जारी करने वाले पैथालॉजी सेंटर के संचालक के विरुद्ध कोई भी कार्यवाई करनें की जरूरत नहीं होती। जिस मरीज की हालत बिगड़ जाती है उसका उपचार करानें के लिए परिजन बड़े शहरों के हॉस्पिटल में लंबे समय तक परेशान होते हैं। पैथालॉजी सेंटरों के अवैध संचालन पर सीधी जिले में कभी भी गंभीरता के साथ कार्यवाई करनें की जरूरत नहीं समझी गई। नतीजन पैथालॉजी सेंटर के संचालक अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं।
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उल्लेखनीय है कि शहर ही नहीं कस्बों में भी बड़ी पैथालॉजी के कलेक्शन सेंटर्स खुल गए हैं। किसी व्यवसाय की तरह इनकी फ्रेंचायजी देने का चलन बना है और योग्यता न रखने वाले भी इससे जुड़ गए हैं। विभाग का मानना है कि ब्लड, यूरीन आदि के सेंपल मुख्य पैथोलॉजी लैब में भेजने के लिए निर्धारित मापदंड के पालन में भी लापरवाही की जा रही है। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।
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बड़ी और नामी पैथालॉजी लैब द्वारा बड़े शहरों से लेकर कस्बों तक विस्तार किया जा रहा है। इसके लिए सबसे आसान तरीका फ्रेंचायजी देने का अपनाया जा रहा है। निर्धारित मापदंड की पूर्ति न कराकर सेंपल कलेक्शन की फ्रेंचाइजी दी जा रही है, जिसके एवज में मोटा कमीशन दिया जाता है। लेकिन इसकी जांच नहीं की जा रही है कि फ्रेंचायजी सेंपल कलेक्शन में कार्यरत टेक्रीशियन योग्यता रखते हैं या नहीं।