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रीवा। स्थानीय रेलवे स्टेशन में यात्रियों को रेलकोच रेस्टारेंट की सुविधा अभी तक नहीं मिल पाई है। जबकि रेल प्रशासन ने सालभर पहले इस बाबत निजी एजेंसी को ठेका दे दिया था। रेल प्रशासन ने 5 वर्ष के लिए संबंधित निजी एजेंसी से अनुबंध किया था। इसके उपरांत गत जनवरी माह में रेल प्रशासन ने पुराना आईसीएफ मॉडल का कोच भी पार्किंग क्षेत्र के बाहर सर्कुलेटिंग एरिया में खड़ा करा दिया। अब इस कोच का रंग-रोगन करके निजी एजेंसी को रेस्टारेंट के रुप में सुसज्जित करना है, जो अभी तक नहीं हो पाया। बताते हैं कि संबंधित एजेंसी को सतना का भी ठेका मिला है। वहां, चूंकि यात्रियों की आवाजाही अधिक है, इसलिए ठेकेदार ने वहां रेलकोच रेस्टारेंट प्रारम्भ कर दिया है। इधर, रीवा रेलवे स्टेशन में कम यात्रियों की आवाजाही का बहाना निजी एजेंसी द्वारा बनाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि गत हुए अनुबंध के तहत पश्चिम मध्य रेलवे को इस रेल कोच रेस्टारेंट से सालाना 6 लाख 57 हजार रूपये मिलने हैं। अब रेस्टारेंट प्रारम्भ न होने पर उक्त राशि का घाटा भी रेल प्रशासन को लग सकता है।
रेलवे की उम्मीद पर पानी फेर रहे ठेकेदार
गौरतलब है कि पहले सभी यात्री टे्रन में आईसीएफ प्रणाली के रेलकोच लगे होते थे। पिछले 4 सालों में रेलवे ने रेलकोच की तकनीकी में विस्तार किया है और इन 4 सालों में कई यात्री टे्रन में अत्याधुनिक एलएचबी प्रणाली के कोच लगाये जाने लगे हैं। रीवा स्टेशन की भी आनंद विहार, रेवांचल, केवडिय़ा टे्रन में एलएचबी कोच लग चुके हैं। बहरहाल, यात्री टे्रन में एलएचबी कोच लगने से पुराने आईसीएफ कोच बेकार होने लगे थे। इन आईसीएफ कोच की नये सिरे से मरम्मत कर उसे रेलकोच रेस्टारेंट के रूप में विकसित किया गया है। अर्थात् पुराने रेलकोच में बदलाव कर रेल प्रशासन ने आमदनी का नया रास्ता निकाला है। रेलवे की इस उम्मीद पर अब ठेकेदार पानी फेरने में जुट गए हैं।
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