रीवा। समाजसेवी, कानूनविद् व बीस सालों तक स्टेट बार कौंसिल के सदस्य रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील तिवारी से चर्चा की गई। उन्होंने वर्तमान राजनीति के परिपेक्ष्य में कहा कि पार्टियों की कोई विचारधारा नहीं रह गई है। अब केवल नेताओं के विचार रह गये हैं। श्री तिवारी ने कहा कि राजनीति में एकाधिकार हो गया है और प्रजातंत्र पीछे छूट गया है। अधिनायकवाद हावी है। राजनीति में सुधार की आवश्यकता है। दलबदल कानून में नये प्रावधान होने चाहिए। उत्कृष्ट राजनीति के लिए दलबदलुओं के चुनाव लडऩे पर आजीवन प्रतिबंध लगना चाहिए।
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nसवाल: वर्तमान में जिस तरह की राजनीति चल रही है, इस पर आपका क्या नजरिया है?
nजवाब: मै किसी पार्टी का सदस्य नहीं, स्वतंत्र विचारों वाला व्यक्ति हंू। पूर्व में जो राजनीति थी, उसमें काफी परिवर्तन हो गया है। वर्तमान में राजनीतिक पार्टियां गौड़ हो गई हैं। अब पार्टी की विचारधारा नहीं, नेताओं के विचार रहे गये हैं। कभी यहां श्रीनिवास तिवारी सर्वमान्य नेता रहे हैं लेकिन वर्तमान में राजेन्द्र शुक्ल सर्वमान्य नेता हैं। राजनीति में अब एकाधिकार हो गया है। प्रजातंंंंंंत्र पीछे छूट गया है और अधिनायकवाद हावी हो गया है। पार्टियों में प्रजातंत्र नहीं रहा गया है। राजनीति के मूल्य घट गये तथा जातिवाद और धर्मवाद हावी हो गया है।
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nसवाल: जनहित की रक्षा के लिए राजनीति में किस तरह के सुधार की आवश्यकता है?
nजवाब: भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां लोगों की भावना के अनुरूप बहुमत के आधार पर जनहित में कार्य होने चाहिए, लेकिन वर्तमान में जनहित को प्राथमिकता नहीं दी जाती है। राजनैतिक दलों के लिए पार्टियों का हित सर्वोपरि हो गया है। राजनीतिक दलों को ऐसे लोगों को अवसर प्रदान करना चाहिए जो निष्पक्ष होकर जनहित में विकास करें और सुधार की अवधारणा को लेकर आगे बढ़ें।
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nसवाल: इसके लिए क्या चुनाव अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता है?
nजवाब: लोकतंत्र की रक्षा के लिए समाज में जनता के बीच जिसकी छवि धूमिल न हो अथवा अपराधिक या किसी प्रकार के गलत धंधे में लिप्त न हो, चरित्रवान हों, ऐसे लोगों को टिकट देना चाहिए। जनता को भी अच्छे लोगों को ही चुनना चाहिए, चाहे वह किसी भी दल का क्यों न हो। जनता अच्छे लोगों को चुनना शुरू कर देगी तो पार्टियां अच्छे लोगों को टिकट देने के लिए विवश हो जाएंगी।
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nसवाल: वर्तमान दलबदल कानून पर आपकी क्या राय है? जनप्रतिनिधि दल बदल कर जनता पर बार -बार चुनाव का बोझ डाल देते हैं, इसे कैसे रोका जा सकता है।
nजवाब: वर्तमान दल बदल कानून में बहुत सारी त्रुटियां हैं। जो लोग दलबदल करते हैं वह कानून की त्रुटियों से निकल कर खुद को तो बनाये रखते हैं लेकिन यह जनता के साथ धोखाधड़ी है। चुनाव आयोग को जनता की भावनाओं के अनुसार कार्य करके इस पर निष्पक्ष तरीके से सुधार करना चाहिए। मेरी व्यक्तिगत राय तो यह है कि कोई भी व्यक्ति चुनाव जीतने के बाद अगर दलबदल करता है तो उसे आजीवन चुनाव लडऩे पर प्रतिबंधित कर देना चाहिए। प्रजातंत्र में यदि कोई अपनी पार्टी की आलोचना करता है तो उस पर सुधार करना चाहिए। यदि आलोचना गलत है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
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nसवाल: रीवा में बन रहे नये जिला न्यायालय भवन के बारे में आपकी क्या राय है?
nजवाब: रीवा में जो जिला न्यायालय भवन बन रहा है वह न केवल मध्य प्रदेश का बल्कि मेरे विचार से देश का सर्वश्रेष्ठ जिला न्यायालय भवन होगा। इसकी गरिमा बनाये रखने का उत्तरदायित्व न केवल न्यायाधीशों का है, बल्कि हजारों की संख्या में वकालत करने वाले वकीलों पर भी है। रीवा न्यायालय का इतिहास मेरे विचार से प्रदेश में सर्वोपरि है क्योकि रीवा में वकालत करने वाले जीपी सिंह, जेएस वर्मा, रामपाल सिंह, अजीत सिंह एवं श्री शुक्ल उच्च न्यायालय में अच्छे जज के रूप में माने गये हैं। उनके द्वारा प्रतिपादित कानूनी सिद्धांत को न केवल मध्य प्रदेश बल्कि देश के अन्य उच्च न्यायालयों में भी उल्लेख किया जाता है। न्यायमूर्ति जीपी सिंह द्वारा लिखित पुस्तक इंटरप्रिटेशन ऑफ स्टेच्यू न केवल भारत की उक्त विषय की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक है बल्कि देश और विदेशों में भी प्रसिद्धि है तथा कानून को नई दिशा दिखाती है।
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nसवाल: पिछले लगभग 60 वर्षों से आप वकालत के पेशे से जुड़े हैं और स्टेेट बार कौंसिल के सदस्य में लंबे समय तक रहे हैं। कुछ अपने बारे में भी प्रकाश डालें।
nजवाब: मैन जुलाई सन् 1965 से वकालत शुरू की और इस दौरान एक लाख से अधिक मामलों में पक्षकारों की पैरवी की। वर्तमान में अभी भी लगभग तीन हजार मामले हैं जिनकी पैरवी कर रहे हंै। सन् 1988 से 2008 तक लगातार स्टेट बार कौंसिल के सदस्य रहे। सन् 2014 में वकालत के 50 वर्ष पूर्ण होने पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस श्री खानवेलकर द्वारा रीवा आकर मुझे सम्मानित किया गया। मध्य प्रदेश के सबसे सीनियर वकील के रूप में भी 2021 में सम्मानित किया गया। मै राजनीति में नहीं हूं लेकिन तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी से मेरे व्यक्तिगत संबंध थे, जिस पर उनके प्रयास से मेरी पत्नी को कांग्रेस से महापौर का टिकट दिया गया था।
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