रीवा से चलकर इंदौर महू जाने वाली ट्रेन 11703 रीवा-डॉ अंबेडकर नगर एक्सप्रेस 22 फरवरी तक उज्जैन स्टेशन तक ही जाएगी। इंदौर व महू जाने वाले यात्रियों को उज्जैन से अन्य साधनों से आगे की यात्रा करनी पड़ेगी। इसी तरह ट्रेन 11704 डॉ अंबेडकर नगर-रीवा एक्सप्रेस भी 21 तक उज्जैन से रीवा की तरफ चलाई जाएगी। आपको बता दें कि रीवा से चलने वाली ट्रेन अभी इंदौर महू तक जाती लेकिन किसी कारणवश फिलहाल स आगामी 10 दिनों तक उज्जैन तक ही चलाया जाएगा।
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8 साल बाद भी प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं को नहीं मिला रोजगार
nरीवा। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के 8 साल पूरे हो गए। जिले के अंतर्गत यह योजना अभी तक पूरी तरह से सफल नहीं हो सकी। आलम यह है कि योजना के क्रियान्वयन की जानकारी स्वयं प्रशासन के बड़े अधिकारियों को नहीं है। अत: जिले में संचालित 10 कौशल विकास केंद्रों की स्थिति कैसी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
nबताते हैं, वर्ष 2017 में राज्य शासन की मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना को भी इसमें मर्ज कर दिया गया। गत फरवरी 2019 में राज्य शासन की युवा स्वाभिमान योजना शुरू हुई, इस योजना में पीएमकेवीवाई केंद्रों से प्रशिक्षण प्राप्त धारकों को रोजगार देने का प्रावधान बनाया। पिछले 8 सालों में 10 हजार से अधिक युवा केंद्रों से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, जिनमें से कितनों को रोजगार मिला, इसकी समुचित जानकारी किसी जिम्मेदार के पास नहीं है। इस प्रकार अधिकृत प्रशिक्षण केंद्र मोदी सरकार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं।
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n5-6 लोगों के हाथ केंद्र का संचालन
nजानकारी के मुताबिक जिले के सभी 10 कौशल विकास केंद्र शहर में चल रहे हंै। इनमें से प्रत्येक दो केंद्र का मुखिया एक ही व्यक्ति है। यानि मुख्य रूप से 5-6 लोग मिलकर ही जिले में कौशल केंद्र संचालित कर रहे हैं। ये केंद्र भोपाल व दिल्ली के एनजीओ से सम्बद्ध हैं। ये केंद्र सीधे एनजीओ मुख्यालय मेंं रिपोर्टिंग करते हैं। स्थानीय स्तर पर इन केंद्रों की निगरानी करने कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं है।
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nअभ्यर्थियों का अनुदान डकार रहे केंद्र
nइन केंद्रों को प्रत्येक अभ्यर्थी को प्रशिक्षण देने के बदले केंद्र सरकार से सीधा अनुदान मिलता है। कार्यालय संचालित करने के लिए भी सरकार इन केंद्रों को सहायता देती है। इतना ही नहीं, प्रशिक्षण प्राप्तकर्ता अभ्यर्थी को भी सरकार अनुदान देती है परंतु यह अनुदान राशि प्रशिक्षणार्थियों तक नहीं पहुंच पाती। इसे केेंद्र चलाने वाले लोग स्वयं डकार जाते हैं।
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