सीधी. प्रदेश सरकार द्वारा शासकीय अस्पतालों के मरीजों को आवश्यक दवाई उपलब्ध कराने के लिए भारी भरकम बजट खर्च किया जा रहा है। किंतु हकीकत यह है कि जिला अस्पताल में ही मरीजों को डॉक्टर की पर्ची में लिखी सभी दवाएं नहीं मिलती। यही हाल वार्डों में भर्ती मरीजों का भी बना हुआ है। तत्संबंध में बताया गया है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय तथा सिविल सर्जन कार्यालय जिला अस्पताल के दवा भंडारण कक्ष का प्रभार एक ही लिपिक आईपी मिश्रा के पास है। इसी वजह से लिपिक द्वारा दवाओं के स्टॉक एवं वितरण में जमकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। करीब दो दशक से एक ही लिपिक को दवा भंडार कक्ष की जिम्मेदारी सौंपे जाने से समूची व्यवस्थाएं पंगु हो चुकी है।
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शासन के नियमानुसार जिला अस्पताल के दवा वितरण केंद्र से 530 दवाएं वितरित होनी चाहिए। यदि जिला अस्पताल के दवा वितरण केंद्र का वरिष्ट अधिकारियों द्वारा जायजा लिया जाए तो यहां आधा सैकड़ा दवाओं का स्टॉक भी नहीं मिलेगा। डॉक्टर जो दवाएं पर्ची में लिखते हैं उसमें से एक-दो दवा ही आधी-अधूरी मरीज को दी जाती है। जबकि वितरण पूरी दवा का दर्शाने का खेल लंबे समय से चल रहा है। इसी वजह से सीएम हेल्पलाईन में जिला अस्पताल से दवा न मिलने की शिकायतें लगातार दर्ज हो रही हैं। तत्संबंध में जिला अस्पताल डार्क रूम के तत्कालीन अटेंडेंट एवं सीएम हेल्पलाईन राजेश सिंह द्वारा लिखित रूप से सिविल सर्जन जिला अस्पताल को विगत 4 मार्च 2023 को पत्र भी दिया गया था। क्रय फार्मासिस्ट द्वारा डॉक लेने से मना कर दिया गया था। बाद में इस पर संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई जिससे सीएम हेल्पलाईन के शिकायतों के निराकरण पर भी असर पड़ रहा है। यहां तक कि दवा वितरण को लेकर चल रहे गोलमाल पर आवाज उठाने के मामले में राजेश सिंह चौहान को निशाने में ले लिया गया। जिससे सच्चाई बाहर न आ सके। राजेश सिंह को 6 अप्रैल 2023 को उनके पूर्व में सौंपे गए समस्त दायित्वों से मुक्त कर दिया गया।
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जिला अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को प्रति दिन नास्ता एवं सुबह शाम गुणवत्तायुक्त भोजन प्रदान करने के लिए भारी-भरकम बजट खर्च किया जा रहा है। भोजन एवं नास्ता वितरण की जिम्मेदारी मेस प्रभारी को दी गई है। तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. देवेन्द्र सिंह द्वारा मेस से तैयार होने वाली सामग्री की गुणवत्ता देखने के लिए डार्क रूम अटेंडेंट राजेश ङ्क्षसह को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिम्मेदारी मिलने के बाद राजेश ङ्क्षसह ने पूरी जिम्मेदारी के साथ मेस में तैयार होने वाले नास्ता एवं भोजन पर नजर रखी तथा इसका वीडियो भी तैयार किया गया। उनकी सक्रियता के चलते प्रति माह मेस के खर्च में 25-30 हजार रुपए की कमी आई।
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इसका मुख्य कारण यह था कि जिला अस्पताल में यदि 200 मरीज भर्ती हैं तो उसमें 25 से 30 प्रतिशत मरीज भोजन और नास्ता नहीं लेते। फिर भी मेस प्रभारी द्वारा सभी मरीजों के नाम से भोजन एवं नास्ता का वितरण फर्जी तौर पर दर्शाते हुए भारी-भरकम खर्च भी दिखाया जाता है। राजेश सिंह की सक्रियता के चलते मेस के कार्यों में गोलमाल करने वालों को काफी दिक्कतें हुई और उनके द्वारा उनको सौंपे गए दायित्वों से ही हटवा दिया गया। जबकि फरवरी एवं मार्च 2023 के बिलों में 25-30 हजार रुपए प्रति माह की कमी सामने आई थी। जिस पर बाद में लीपापोती कर दी गई।