रीवा। रीवा में कांग्रेस का घराना खत्म हो गया। पिछले कई दशक से राजनीति की धुरी बनी अमहिया कांग्रेस का भाजपा में विलय हो गया। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पोते व पूर्व सांसद सुदरलाल तिवारी के बेटे सिद्धार्थ तिवारी ने बुधवार को कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ले ली। हालांकि सिद्धार्थ के भाजपा में जाने की अटकलें एक सप्ताह पूर्व से ही चल रहीं थी लेकिन बीच में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा रूठने-मनाने के चर्चा भी सामने आई लेकिन बात नहीं बनी। 15 अक्टूबर को जारी कांग्रेस की पहली सूची में त्योंथर विधानसभा क्षेत्र से सिद्धार्थ तिवारी राज को प्रत्याशी न बनाए जाने के बाद यह लगभग तय हो गया था कि वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। क्योंकि सिद्धार्थ तिवारी त्योंथर विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे और उन्हें टिकट नहीं दिया गया। इससे क्षुब्ध होकर सिद्धार्थ अपने बाबा की चार दशक की कांग्रेसी विरासत खत्मकर भगवाधारी हो गए। भाजपा में शामिल होने के बाद सिद्धार्थ ने जहां सीएम शिवराज व पीएम मोदी के विकास कार्यों का गुणगान गाया वहीं 2003 के पूर्व खस्ताहाल सड़क व बिजली के लिये कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया।
nअब अमहिया कांग्रेस के वारिस के तौर पर श्रीयुत की पौत्रवधू अरुणा विवेक तिवारी व भतीजी कविता पांडेय हैं। यह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के विरासत को कितना संभाल पाती हैं आने वाला वक्त ही बताएगा। हालांकि जिस कांगे्रस सरकार को सिद्धार्थ ने कोसा, उन दिनों उसके कर्ताधर्ता उनके बाबा श्रीनिवास तिवारी विधानसभा अध्यक्ष ही थे।
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रीवा। सेमरिया के पूर्व विधायक अभय मिश्रा ने फिर पलटी मार दी है। भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। दो महीने में ही अभय ने भाजपा का दामन छोड़ दिया। प्रदेश अध्यक्ष को भेजे गए इस्तीफा में उन्होंने कांग्रेस से ही चुनाव लडऩे की मंशा जाहिर की है। जल्द ही वह कांग्रेस में फिर शामिल हो सकते हैं। रीवा के दो नेता इस समय सुर्खियों में है। सिद्धार्थ तिवारी राज ने कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया तो वहीं सेमरिया के पूर्व विधायक अभय मिश्रा ने सीएम पर ही आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया है। वह कुछ दिन पहले ही पत्नी नीलम मिश्रा के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष गृहमंत्री ने सदस्यता दिलाई थी। दो महीने भी वह पार्टी में टिक नहंी पाए और बगावत कर दी। उन्होंने मुख्यमंत्री पर सीधा हमला किया है। वादाखिलाफी का आरोप तक लगा डाला। कहा कि सेमरिया की जनता कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडऩे के लिए दबाव बना रही है। हद तो यह है कि अभी पार्टी ने सेमरिया की टिकट भी घोषित नहीं की और उसके पहले ही उन्होंने टिकट में हेरफेर मानकर पार्टी से ही चलते बने। ऐसा ही उन्होंने कांग्रेस को छोड़ते समय भी किया था। कांग्रेस में रहते अभय की टिकट सेमरिया से पक्की मानी जा रही थी। ऐन मौके पर उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था। इस्तीफा दे दिया था। अब फिर से वही गलती दोहराई है। अब कांग्रेस इन्हें टिकट देती है या फिर आइना दिखाती है,यह तो आने वाले एक या दो दिन में पता ही चल जाएगा। फिलहाल अभय के फैसले ने विंध्य की राजनीति में हलचल मचा दी है।
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इधर विरोध भी शुरू
nचर्चा यह है कि सिद्धार्थ तिवारी त्योंथर से विधानसभा टिकट के शर्त पर ही भाजपा में आए हैं। जैसे ही तराई क्षेत्र के नेताओं को इस बात की जानकारी हुई वह विरोध में उतर आए। कई मंडल अध्यक्ष जनसंपर्क मंत्री के आवास में पहुंचे और कहा कि त्योंथर से स्थानीय नेता को ही टिकट दिया जाय, वही जीत पायेंगे। किसी अन्य को टिकट देने पर नाराजगी जाहिर की है। चर्चा यह भी है कि गुरुवार को पुराने भाजपा नेताओं का एक जत्था भोपाल जाने वाला है और प्रदेश संगठन से बात करेगा।