रीवा। संजय गांधी अस्पताल की सुरक्षा में चोर सेंध लगा रहे हैं। इस मर्तबा मोबाइल और पर्स नहीं पूरा पैंट ही चोर ने पार कर दिया। सीधी से नानी का इलाज कराए आए युवक का चोर पैंट ही ले उड़। पीडि़त को चौकी तक तौलिए में पहुंचना पड़ा। पुलिस ने चौकी में हालांकि उसकी शिकायत नहीं ली गई, अमहिया भेज दिया गया। मिली जानकारी के अनुसार घटना मंगवार की दोपहर 2 बजे के करीब का है। युवक प्रवीण मिश्रा बताया जा रहा है। युवक अपनी नानी का इलाज सर्जरी विभाग में करा रहा है। दोपहर में वह बाथरूम गया हुआ था। साथ में मामा भी थे। युवक अपना पैंट उतार कर बाथरूम के बाहर ही टंगा दिया था। मामा को तकवारी में लगा रखा था। युवक बाथरूम गया और मामा का ध्यान इधर उधर हो गया। इसका फायदा चोर ने उठाया। पैंट की जेब में युवक का मोबाइल, पर्स और दस्तावेज थे। चोर ने जेब से सामान निकालने की जगह पूरा पैंट ही पार कर दिया। पैंट लेकर चोर चंपत हो गया। जब युवक बाथरूम से बाहर निकला तो मौके पर उसका पैंट ही नहीं मिला। काफी तलाश करने के बाद भी पैंट नहंी मिला। उसके पास दूसरा पैंट भी नहीं था। सिर्फ तौलिया ही थी। उसे लपेट कर वह किसी तरह संजय गांधी अस्पताल की चौकी पहुंचा। चौकी में पुलिसकर्मियों केसामने आप बीती बताई लेकिन शिकायत दर्ज नहीं हुई। उसे अमहिया थाना में पहुंच कर शिकायत दर्ज कराने की बात कही गई। युवक बिना पैंट के ही इधर उधर घूमता रहा।
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nकरोड़ों रुपए का है ठेका
nसंजय गांधी अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था प्राइवेट हाथों में है। आउट सोर्स कंपनी को जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए शासन और संजय गांधी प्रबंधन कंपनी को सिर्फ सुरक्षा के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान करता है। इसके बाद भी यहां भर्ती मरीज और परिजन सुरक्षित नहीं हैं। आए दिन यहां चोर पकड़े जाते हैं। लोगों के मोबाइल और पर्स चोरी हो जाते हैं। रात में यहां हालात और खराब रहते हैं। सुरक्षागार्ड नदारद रहते हैं। इतना ही नहीं सुरक्षा का जिम्मा भी ऐसे लोगों के हाथों में हैं जो कमजोर और बूढ़े हो गए हैं। ठीक ढ़ंग से खड़े भी नहीं हो पाते। उन्हें इस काम में लगाया गया है।
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nसीसीटीवी किसी काम का ही नहीं
nसुरक्षा के लिहाज से संजय गांधी अस्पताल में सीसीटीवी लगाया गया है। इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी उप अधीक्षक एसजीएमएच के पास है। उनके कक्ष में ही मॉनीटर भी लगा है लेकिन वह किसी काम का ही नहीं है। आज तक सीसीटीवी के जरिए एक चोर की भी पहचान नहीं कर पाए हैं। इसका उपयोग सिर्फ डॉक्टर और कर्मचारी अपने बचाव में ही करते हैं। मरीज और परिजनों से मारपीट के दौरान इस सीसीटीवी को बचाव के तौर पर किया जाता है। लाखों रुपए का सीसीटीवी सुविधा अधिकारियों की लापरवाही के कारण बेकार साबित हो रहा है।
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