रीवा। शहर के प्रमुख रमणीय स्थल चिरहुला तालाब को भी जलकुंभी ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। यह पूरे तालाब में फैल गयी है। इसके चलते जहां तालाब की सुंदरता पर ग्रहण लग रहा है, वहीं इसमें रहने वाले जीव-जंतु के जीवन पर भी खतरा मंडरा है। इसे देखकर सुबह-शाम यहां टहलने, योगाभ्यास करने आने वाले चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि कभी-कभी तालाब के पानी से दुर्गंध भी आती है। उनका कहना है कि शहर में अब तक जितने भी तालाबों का पुनरुद्धार किया गया है, उनमें से किसी में भी पूरी तरह से आसपास के अंडर ग्राउंड ड्रेनेज या टैंक के पानी को मिलने से रोका नहीं जा सका है।
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nबता दें कि रानी तालाब की तर्ज पर चिरहुला तालाब का सौंदर्यीकरण किया गया, लेकिन यहां व्यवस्थाएं पर्याप्त न होने से तालाब के पानी में जलकुंभी व गंदगी फैल रही है। अंदाजा यह भी लगाया जा रहा है कि सम्भवत: अंडरग्राउंड गंदा पानी मिलने से ही तालाब का पानी गंदा होता है। तालाब के पुनरुद्धार के समय चारों ओर बाउंड्रीवॉल बनाने के साथ ही स्थल का विकास कार्य किया गया था। इस दौरान तालाब के आसपास नजर आने वाले ऊपरी नाले-नालियों को बंद कर दिया गया था। बता दें कि तालाब की हालत देख कुछ समाजसेवियों ने इस जलकुंभी को हटाने का काम शुरू किया है, लेकिन बिना प्रशासनिक मदद ये संभव नहीं है।
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nचिरहुला तालाब तो गंदा हो ही रहा है, मंदिर परिसर में भी गंदगी फैल रही है। यहां साफ-सफाई की व्यवस्था पर्याप्त नहीं होने से चारों तरफ गंदगी फैली रहती है। सबसे अधिक गंदगी भंडारे के आयोजन से होती है। आर्थिक लाभ के लिए यहां एक साथ कई भंडारों की अनुमति दे दी जाती है, जिसके बाद ठीक से सफाई नहीं हो पाती। गंदगी से श्रद्धालुओं को भी काफी परेशानी होती है। कई बार इसको लेकर आपत्ति भी जताई गई, लेकिन प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाया।