Panic in Nagar Nigam office! PS including Municipal Commissioner, Seoni Collector Sanskriti Jain were summoned by the High Court
विंध्य वाणी,रीवा। नगर निगम के 9वें साधारण सम्मिलन में तीन एजेंडो को नियम विरूद्ध जोडऩे का आरोप लगाते हुए महापौर सहित कांग्रेस पार्षदों ने पीएस सहित संभागायुक्त को ज्ञापन सौंपा था। हालांकि इस पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई और इन एजेंडो पर चर्चा भी हुई और इन्हें भाजपा के पार्षदों ने बहुमत से पास भी कर लिया लेकिन अब यह एजेंडा अधिकारियों के गले की फांस बन रहा है। वजह पूर्व में इसको लेकर हाईकोर्ट ने दिशा-निर्देश दिए थे लेकिन उसका पालन नहीं किया गया और अब एक बार फिर हाईकोर्ट ने पीएस नगरीय प्रशासन सहित निगमायुक्त डॉ.सौरभ सोनवड़े, निगम अध्यक्ष व्यंकटेश पांडेय व पूर्व कमिश्रर व वर्तमान सिवनी कलेक्टर संस्कृति जैन सहित निगम सचिव एमएस सिद्दकी को तलब किया है। 3 जनवरी 2025 को हाजिर होने के निर्देश दिए गए हैं और मामले को लेकर जबाव तलब किया गया है। बता दें कि हाईकोर्ट के नोटिस की सूचना मिलते ही निगम कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं भी होती रही। बता दें कि यह रिट याचिका एमआईसी सदस्य धनेन्द्र सिंह बघेल द्वारा दायर की गर्ई थी। जिसमें अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने एमआईसी सदस्य की ओर से उनका पक्ष रखा है। आरोप है। एमआईसी सदस्य का आरोप है कि शासन द्वारा पूर्व में इस मामले को लेकर दायर याचिका में गलत जवाब हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है।
निर्देशो का नहीं किया पालन
इस संबंध में एमआईसी सदस्य धनेन्द्र सिंह बघेल ने बताया कि हाईकोर्ट ने उनके द्वारा पूर्व में दायर याचिका में दिशा-निर्देश दिए गए थे लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। जबकि पीएस को इस संबंध में पत्र भी लिखा गया था लेकिन कार्यवाही नहीं की गई न ही कोई अभ्यावेदन दिया गया। जिसके बाद उनके द्वारा गत 5 अगस्त 2024 को फिर से अवमानना याचिका दायर की थी। जिसके बाद पीएस सहित निगम अध्यक्ष, निगमायुक्त सहित निगम सचिव व पूर्व आयुक्त संस्कृति जैन नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि इस सम्मिलन में नियम विरूद्ध एजेंडे जोड़े गए, इसका विरोध किया गया लेकिन सत्ता के दबाव में इस पर रोक नहीं लगाई गई।जिसमें शासन ने गलत जवाब देकर मामले में हाइ कोर्ट को गुमराह किया गया। मामले में फिर से रिट याचिका दायर की गई है उन्होंने कहा कि न्याय के लिए उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली और अब उन्हें न्याय मिल रहा है।
महापौर सहित पार्षदों का यह था आरोप
9वें सम्मिलन को लेकर महापौर अजय मिश्रा बाबा व कांग्रेसी पार्षदों नेआरोप लगाया था कि तत्कालीन निगमायुक्त एवं ननि अध्यक्ष द्वारा नियम विरूद्ध कार्य किया गया। निगमायुक्त द्वारा म.प्र. नगर में पालिक निगम अधिनियम 1956 के प्रावधानों के विपरीत मनमानी तौर पर निगम सम्मिलन का कार्यसूची (एजेण्डा) तैयार कर, निगम के कार्य संचालन तथा विकास में अवरोध पैदा किया गया। अधिनियम में यह प्रावधान है कि निगम परिषद में निर्णय हेतु जो विषय रखा जाता है, उसे मेयर-इन-काउंसिल के निर्णय के बाद ही रखा जाता है और महापौर द्वारा अनुमोदित (एजेण्डा) कार्य सूची में किसी प्रकार का परिवर्तन अध्यक्ष (स्पीकर) नगर निगम द्वारा नहीं किया जायेगा, किन्तु अध्यक्ष (स्पीकर) द्वारा ऐसे विषय को एजेण्डा कार्यसूची में जोड़ा गया है कि जो महापौर द्वारा अनुमोदित नहीं हैं। म.प्र. नगरपालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 29 (5) में स्पष्ट प्रावधान है कि अध्यक्ष महापौर द्वारा अनुमोदित एजेण्डा में किसी भी मद को न तो अपवर्जित करेगा और न तो सम्मिलित करेगा। मेयर-इन-काउंसिल के पारित प्रस्ताव में चाही गई जानकारी न देकर आधे अधूरे कार्यों को परिषद के कार्यसूची में रखा गया, जिसका अनुमोदन महापौर द्वारा इस कारण नहीं किया गया कि एजेण्डा क्र.23, 24 एवं 25 की योजना का निर्माण म.प्र. गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल रीवा द्वारा किया गया और आधे अधूरे कार्य का हस्तांतरण करने का पत्र दिया गया, किन्तु निगम आयुक्त द्वारा निगम में हस्तांतरण एवं आधिपत्य लिए जाने के पूर्व उसके संचालन-संधारण हेतु निविदा आमंत्रण का प्रस्ताव तथा बिना निगम की अनुमति के तोड़ी गई व निर्मित की गई 84 दुकानों के आधिपत्य के पूर्व उनका आवंटन कर दिया और अब आधिपत्य एवं लीज नवीनीकरण का प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया गया और कार्यसूची अध्यक्ष के पास तिथितय करने के लिय भेजी गई थी, किन्तु अध्यक्ष द्वारा नियमों के विपरीत इन 03 विषयों को सम्मिलित कर लिया, जिनका अनुमोदन महापौर द्वारा नहीं किया गया है। दिनांक 13.02.2024 को निगम का सम्मिलन आयोजित कर एजेण्डा जारी करा दिया है। इसी प्रकार रतहरा तालाब के संचालन व संधारण के प्रस्ताव को नियम विरूद्ध जोड़ा गया। कायाकल्प 2 अतिरिक्त कार्य की स्वीकृति भी दी गई।
००००००००००००००००००