In Rewa, the revenue staff reached the demarcation with Sarhangs without resolving the fake signature of former Deputy Commissioner Naveen Tiwari, a major incident was averted due to the alertness of the SP.
रीवा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भूमाफियाओं से साठगांठ से जमीनी करोबार में ऊतर चुके नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला को अब वरिष्ठ अधिकारियों का भी खौफ नहीं रहा। वरिष्ठ अधिकारियों की रोक के बाद भी अब वह सरहंगों के साथ मिलकर विवादित भूमियों का सीमांकन कराने में जुट गए हैं। शनिवार को सामने आए एक मामले ने नायब तहसीलदार की कार्यप्रणाली को सवालों में ला दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका बड़ा उदाहरण शनिवार को शहर के ही वार्ड क्रमांक 26 लालन टोला बदरावं में एक विवादित भूमि में देखने को मिला। जहां नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला के आदेश पर राजस्व अमला सरहंगो के साथ सीमांकन करने पहुंच गया। चार पहिया वाहनों में पहुंचे बदमाश हथियार से लैस थे, जान से मारने की धमकी देते हुए पीडि़त पक्ष पर सीमांकन का दबाव बना रहे थे। जिसकी सूचना कलेक्टर सहित एसपी और एसडीएम को दी गई। एसपी आईपीएस विवेक सिंह ने तत्काल मामले में गंभीरता जताई और संबंधित थाने के पुलिस बल को आदेशित किया। मौके पर पहुंची पुलिस बल ने बड़ी वारदात को होते-होते रोक लिया। वहीं कलेक्टर प्रतिभा पाल व एसडीएम वैशाली जैन ने मामले में तत्काल संज्ञान लिया और राजस्व अमला वापस लौटा। अफसरों की सतर्कता से बड़ी वारदात टल गई। क्येांकि जिस प्रकार से सरहंग गुंडागर्दी करते हुए पीडि़त पक्ष को धमका रहे थे, उससे बड़ी वारदात को इंकार नहीं किया जा सकता। घटना के वीडियो भी एसपी को उपलब्ध कराए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में लिखा गया कि सारे मामले को लेकर चर्चा में कहा जा रहा है कि पर्दे के पीछे से नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला ने यह पूरी साजिश रची थी, कलेक्टर व एसडीएम के यहां से उन्हें वट्सअप में सूचना रोक लगाने जाने संबंधित उपलब्ध करा दी गई थी लेकिन उनके द्वारा रोक नहीं लगाई गई। इतना ही नहीं सरहंगों के साथ राजस्व अमले को भेज दिया गया, जिससे बड़ी वारदात हो सकती थी। पीडि़त पक्ष का आरोप है कि उनकी हत्या की साजिश रची गई थी।
पूर्व डिप्टी कमिश्रर के फर्जी हस्ताक्षर का मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वार्ड क्रमांक 26 लालन टोला में विवादित भूमि है। जिसका प्रकरण जिला न्यायालय में विचाराधीन है। पीडि़त महेन्द्र तिवारी ने बताया कि इसी भूमि का विवाद उनके और उनके चाचा लोगो के बीच चल रहा है। इसी भूमि का सीमांकन कराने के लिए उनके चाचा पूर्व डिप्टी कमिश्रर नवीन तिवारी सहित दुर्गा प्रसाद तिवारी, कमलकिशोर तिवारी व मीना तिवारी ने सीमांकन के लिए आवेदन किया था। लेकिन इस आवेदन में नवीन तिवारी और मीना तिवारी के फर्जी हस्ताक्षर हैं, जिसको ेलेकर आपत्ति जाहिर की गई थी लेकिन बिना सुनवाई किए ही नायब तहसीलदार यतीश शुक्ला ने भूमाफियाओं से साठगांठ कर सीमांकन के आदेश जारी कर दिए। जिसकी शिकायत कलेक्टर प्रतिभा पाल व एसडीएम वैशाली जैन से की गई तो एसडीएम वैशाली जैन ने तत्काल हस्ताक्षर के संबंध में यतीश शुक्ला को नोटिस जारी कर प्रतिवेदन मांगा वहीं कलेक्टर ने स्थिति स्पष्ट न हो जाने तक सीमांकन में रोक लगा दी। इसके बाद भी शनिवार को आरआई संजीव पांडेय सहित दो पटवारी अमित पांडेय सहित अन्य सीमांकन कराने पहुंच गए।
सरहंगों के साथ पहुंचा अमला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस विवादित भूमि का सीमांकन कराने पहुंचा राजस्व अमला सरहंगो के साथ पहुंचा था। बताया गया कि भूमाफिया प्रदीप त्रिपाठी भोले सहित जीतेन्द्र गर्ग जीतू, दीपक त्रिपाठी, शिवम पांडेय सहित आधा सैकड़ा से अधिक सरहंग राजस्व अमले के साथ पहुंचे थे, जबकि इनका इस सीमांकन से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। न ही इनकी जमीन इस विवादित जमीन की सीमा से है। इसके बाद भी यह सरहंग प्रवृत्ति के लोग पहुंचे और पीडि़त पक्ष को जान से मारने की धमकी दे रहे थे और जबरन सीमांकन कर विवादित जमीन पर कब्जा करने का दबाव बना रहे थे। बताया गया कि जबरन सीमांकन कराने पहुंचे सरहंगों के चार पहिया वाहनों में हथियार भी थे, जो धमकाने के साथ-साथ जान से मारने की धमकी दे रहे थे। पीडि़त पक्ष ने जान के सुरक्षा की मांग की है। बताया कि उनके सभी चाचा लोगो का रीवा के बड़े भूमिमाफियाओं से कनेक्शन है और वह उनको अपनी जमीन न्यायालय में प्रकरण होने के बाद भी एग्रीमेंट में बेंच रहे हैं और इन सरहंगो द्वारा आए दिन विवाद किया जाता है। मौके पर पहुंची पुलिस ने भी इन सरहंगो से उनके आने का कारण पूछा लेकिन वह कोई जबाव नहीं दे सके।
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पुलिस की सर्तकता से टली वारदात
पीडि़त पक्ष ने बताया कि इस मामले में पुलिस प्रशासन की बड़ी भूमिका रही, एसपी विवेक सिंह ने तत्काल मामले को सँज्ञान लिया और तत्काल पुलिस बल भेजा, समान थाना प्रभारी हीतेन्द्र नाथ वर्मा ने भी तत्काल पुलिस बल भेजा। जिससे बड़ी वारदात टल गई। क्योंकि सरहंग जिस प्रकार से डरा-धमका रहे थे, उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि बड़ी वारदात की फिराक में वह थे, इससे पहले भी सरहंग जान से मारने की धमकी दे चुके हैं। वह इस विवादित जमीन में उनके चाचा लोगो की सह से कब्जा जमाना चाहते हैं।
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