Verdict in Shiksha Bharti scam after 26 years, representatives of MLAs also guilty:जिले के बहुचर्चित शिक्षाकर्मी घोटाले का फैसला 26 साल बाद ऐसे समय में आया है जब लोग इसे भूलने से लगे थे। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए शिक्षाकर्मी घोटाले दोषी पाये 14 आरोपियों को दो से तीन साल की सजा सुनाई गई है तथा जुर्माने से भी दण्डित किया गया है जबकि एक आरोपी को बरी किया गया है। यह फैसला प्रथम अपर सत्र न्यायालय लोकायुक्त की अदालत में विगत शुक्रवार को सुनाया गया। मामला जिले के जवा जनपद पंचायत में सन 1998 में हुई शिक्षाकर्मी की भर्ती के दौरान का है। शिक्षा विभाग द्वारा जवा जनपद में 170 पद निकाले गये थे, जिनमें निर्धारित चयन प्रक्रिया एवं राज्य शासन द्वारा बनाये गये मापदण्डों के अनुरूप भती नहीं किये जाने का आरोप लगाते हुए शिकायत की गई थी। शिकायत में अपात्र लोगों की नियुक्ति करने का आरोप चयन समिति पर लगाया गया। बाद में लोकायुक्त पुलिस द्वारा छापा मार कार्यवाही की गई और लोकायुक्त द्वारा सन 1998 में ही मामला अदालत में प्रस्तुत किया गया।
जहां 26 साल तक लंबी सुनवाई के बाद फैसला दिया गया। इस दौरान चार आरोपियों की मौत भी हो चुकी है। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मुकेश मलिक की अदालत ने जिन आरोपियों को सजा सुनाई है उनमें सुब्बनलाल श्रीवास्तव तत्कालीन बीईओ, शम्भूनाथ शुक्ला शिक्षाविद्, बलराम तिवारी, आशा मिश्रा, शिक्षा समिति के अध्यक्ष, महेन्द्र प्रताप सिंह, रामनरेश तिवारी, रामसिया वर्मा, गुलाम अहमद, कामता प्रसाद, नीता देवी, विनोद के अलावा तत्कालीन सिरमौर विधायक रामलखन शर्मा के प्रतिनिधि संजीव शर्मा और तत्कालीन त्योंधर विधायक स्व. रामलखन पटेल के प्रतिनिधि शिवपाल सिंह शामिल हैं। इनमें से अलग-अलग धाराओं में न्यूनतम दो वर्ष और 3000 हजार जुर्माना तथा अधिकतम 3 वर्ष और 5 हजार जुर्माना से दण्डित किया गया है। सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
यह है मामला
गौरतलब है कि शिक्षकमर्मी भर्ती घोटाले मेंअनियमितता को लेकर लोकायुक्त में शिकायत हुई थी जिसके बाद छापामार कार्रवाई कर बड़े पैमाने पर जनपद कर पंचायत जवा से दस्तावेज जब्त किए थे। लोकायुक्त द्वारा 22 सितम्बर 1998 को प्रकरण दर्ज किया गया था। इस मामले में 45 साक्षियों और 240 दस्तावेज विशेष न्यायालय में पेश किए गए थे। लोकायुक्त ने भादंवि की धारा 120बी, 467, 468, 471 के तहत सीईओ समेत 19 व्यक्तियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया था जिनमें जवा विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, विशेषज्ञ निरीक्षक एवं जनपद पंचायत के पदाधिकारी, चयन समिति के सदस्य एवं विधायक प्रतिनिधि शामिल हैं। इनमें चार आरोपियों की विचारण के दौरान मृत्यु हो गई। जिनमें तत्कालीन सीईओ बाबूलाल तिवारी, नन्दगोपाल तिवारी, सुखलाल और रामशरण शुक्ला हैं। शुक्रवार को कुल 15 व्यक्तियों को कोर्ट में पेश किया गया या जिनमें से रामानंद पांडेटा दोषमुक्त किए गए हैं।