सीधी. न्यायालयीन राजस्व प्रकरणों में जवाब दाखिल न कर और समय पर अपील न कर अरबों रुपए की जमीनों से हाथ धो बैठने के मामले में सतना यूं तो प्रदेश भर में बदनाम है। अब यही रोग रीवा संभाग के पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अधिकारियों को भी लग गया है। मनरेगा के विभिन्न मामलों में अधिकारी सरकार का पक्ष कमजोर करने में जुटे हुए हैं। यह स्थिति तब है जब हाईकोर्ट ऐसे मामलों में नाराजगी तक जता चुका है। राज्य शासन स्तर से खोज खबर ली गई तो सामने आया कि रीवा और सीधी जिले में जवाबदावा दाखिल न होने वाले न्यायालयीन प्रकरणों की संख्या काफी अधिक है। अब मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद के कार्यपालन यंत्री विधि ने संयुक्त आयुक्त विकास को पत्र लिख कर आपत्ति जताई है। संयुक्त आयुक्त विकास निलेश परीख ने सतना, रीवा-सीधी के जिपं सीईओ को नोटिस जारी कर कहा कि प्रकरण से संबंधित अधिकारी को सभी अभिलेखों के साथ शासकीय अधिवक्ता से संपर्क कर शासन की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत करवाएं।
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हाईकोर्ट में इस तरह पहुंचते हैं मामले
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जिला स्तर पर मनरेगा के मामलों में अनियमिता होने पर अगर कोई कार्रवाई जिला स्तर पर होती है तो इससे बचने के लिए लोग उच्च न्यायालय की शरण में जाते हैं। वहां से शासकीय कार्रवाई के विरुद्ध उन्हें स्टे मिल जाता है। ऐसे में अधिकारियों का दायित्व है कि सरकारी वकीलों के जरिए जवाबदावा प्रस्तुत करवा कर स्टे खारिज करवाएं, लेकिन अधिकारी ऐसे गंभीर मामलों में सरकार का पक्ष मजबूत करने की बजाय जवाब दावा ही नहीं प्रस्तुत करते हैं।
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सतना में सिर्फ एक मामले में जवाबदावा लंबित है। यहां आरईएस के उपयंत्री संजीव कुमार तिवारी का सेवा संबंधी मामला उच्च न्यायालय पहुंचा है। रीवा जिले के 6 मामलों में जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया जाकर संबंधितों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। इनमें रीवा की ग्राम पंचायत कछुंआ पड़ान के रोजगार सहायक की पद रिक्तता, ग्राम ब्यौहरा की रोजगार सहायक की सेवा समाप्ति का मामला, ग्राम पंचायत महौता में रोजगार सहायक की नियुक्ति निरस्त का मामला, अर्जुनपुर के अमित कुमार का सेवा संबंधी मामला, जमुना प्रसाद हरिजन निवासी मऊगंज का मामला लंबित है। सीधी जिले के 4 मामलों में जवाबदावा प्रस्तुत नहीं हुआ है। इसमें सीधी की ग्राम पंचायत मौरा के रोजगार सहायक की सेवा समाप्ति का मामला, जनपद रामपुर नैकिन के उपयंत्री की सेवा समाप्ति का मामला, ग्राम पंचायत नदहा के रोजगार सहायक की सेवा समाप्ति का मामला और ग्राम पंचायत पोस्ता के रोजगार सहायक की पदस्थापना के मामल में अधिकारियों ने जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया है।