Big mess in the cleaning warehouse of Municipal Corporation Rewa, tax worth lakhs was wasted, one suspended:रीवा। नगर निगम की सफाई गोदाम में बंदरबांट हमेशा ही सुर्खियों में रहा है। आए दिन यहां होने वाले गोलमाल को लेकर खुलासे होते ही रहते हैं। यह नगर निगम की एक ऐसी शाखा है जिसका प्रभार लेने के लिए अधिकारी-कर्मचारी एड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं। जो यहां स्थापित होता है वह वापस जाना चाहता। हाल ही में एक बड़ा खुलासा नगर निगम के सफाई गोदाम में हुआ, जिसके बाद कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक नगर निगम में सेप्टिक टैंक साफ करने के लिए दो टैंकर मंगाए गए थे।
सेप्टिक टैंक की सफाई की एवज में इन दो टैंकरों की फीस निगम द्वारा ली जाती है, बताया गया कि बड़े टैंकर को चलाने वाले चालक प्रहलाद करोसिया को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी, जिसके द्वारा शिकायत आने पर टैंक की सफाई की जाती थी और इसके बदले राशि लेकर रसीद काटी जाती थी, लेकिन खुलासा हुआ कि चालक द्वारा शिकायत आने पर टैंक की सफाई करने गया तो और टैंक भी साफ किया, लेकिन उसके द्वारा रसीद ही नहीं काटी गई। इससे मिलने वाली लाखों की राशि गबन कर दी गयी। मामले का खुलासा हुआ तो आयुक्त संस्कृति जैन ने तत्काल कर्मचारी को संस्पेंड कर दिया व जांच के आदेश दिए हैं। जांच उपायुक्त दीपक पटेल सहित अन्य को दी गई है।
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ऐसे हुआ खुलासा…
बताया गया कि बीच में जब प्रभार स्वास्थ्य अधिकारी बालगोविंद चतुर्वेदी के पास आया तो उन्हें चालक की गतिविधियों पर संदेह हुआ। जिसके बाद उनके द्वारा चालक से मामले को लेकर जानकारी ली गई। चालक ने जो रजिस्टर दिया उसमें 170 नाम दर्ज थे लेकिन जब बालगोविंद चतुर्वेदी ने फोन पर शिकायत कर्ताओं से संपर्क किया तो उसमें 13 ऐसे शिकायत कर्ता थे जिनके द्वारा रुपए देकर रसीद ली गई। अन्य ने बताया कि उनके द्वारा रसीद नहीं ली गयी और रुपए दिए। जांच में मिला कि उसके द्वारा यह राशि नहीं जमा की गई। जिसके बाद जानकारी आयुक्त को दी गई और कार्यवाही हुई।
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2500 रुपए प्रति ट्रिप किराया
बताया गया कि नगर निगम द्वारा छोटे टैंकर में 1500 रुपए व बड़े टैंकर में 2500 रुपए प्रति ट्रिप किराया वसूला जाता है। बताया गया कि करीब दो वर्ष से छोटा टैंकर खराब पड़ा है, मजबूरन शिकायत कर्ता को बड़ा टैंकर हॉयर करना पड़ता था। जिससे राशि में बड़ा खेल किया गया। सूत्रों की मानें तो छोटे टैंकर का सुधार भी इसलिए ही नहीं कराया गया क्योंकि दो चालक रहेंंगे और राशि जमा करने में फर्क होगा तो पोल खुलेगी। यह सब जिम्मेदार अधिकारियों की सांठगांठ से किया जाता है।
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जनप्रतिनिधियों की रहती है पूरी दखल
बता दें कि नगर निगम का सफाई गोदाम एक ऐसा शाखा हैं जहां जनप्रतिनिधियों की पूरी दखल रहती है, उन्हींं के इशारे पर प्रभार भी बदले जाते हैं। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस बंदरबांट का खुलासा होने के बाद ड्राइवर को तो निलंबित किया गया लेकिन मामले का खुलासा करने वाले स्वास्थ्य अधिकारी बालगोविंद चतुर्वेदी को भी प्रभार से हटा दिया गया। जिसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं कि बंदरबांट का खुलासा करने वाले अधिकारी ही नेताओं की नजर में चुभने लगे। इतना ही नहीं, चर्चा यह तक है कि जनप्रतिनिधियों की झोली भी यहां से भरती है। हालांकि बालगोविंद चतुर्वेदी को हटाने की वजह अभी तक स्पष्ट नही है कि उन्हें किन कारणों से हटाया गया। वर्तमान में इस प्रभार की जिम्मेदारी संभाल रहे स्वास्थ्य अधिकारी मुरारी कुमार ने सख्ती बरती है। व्यवस्थाओं में पूर्व से काफी सुधार हुआ है।
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जब मेरे पास प्रभार था तो मैने जांच की थी, जिसमें चालक की लापरवाही पाई गई, चालक द्वारा लाखों रुपए का गबन किया गया। निगमायुक्त के आदेश पर उसे निलंबित कर दिया गया। अब मेरे पास वहां का प्रभार नहीं है, आगे की जानकारी नहीं है।
बालगोविंद चतुर्वेदी, स्वास्थ्य अधिकारी ननि।
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