वीरेन्द्र सिंह सेंगर(बबली), रीवा। सात साल बाद चुनावी लहर क्या उठी बिल में घुसे निकल कर सामने आने लगे। जनता जनार्दन की दुहाई देते हुये विकास के ढ़ोल पीटने शुरु कर दिये। रटा रटाया वाक्य मूलभूत सुविधा पानी, बिजली, सड़क और शिक्षा की बातें करने लगे। मजे की बात तो यह है कि यहीं डॉयलॉग अब जिला पंचायत के बार्ड क्रमांक 24 में भाजपा से मनगवां विधानसभा से पूर्व विधायक पन्नाबाई प्रजापति जनता के बीच कहती हुई दिखाई देंगी। 9 साल बाद अचानक उन पर राजनीति का भूत कैसे सवार हो गया यह तो शोध का विषय है? फिलहाल राजनीति के गलियारे से जो बात निकल कर सामने आ रही है उस पर यदि भरोसा किया जाये तो त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में भाजपा की पूर्व विधायक पन्नाबाई प्रजापति जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक 24 से सदस्य पद के लिए चुनाव मैदान में उतर रही हैं।
बीएसपी से शीला त्यागी ने दी थी मात
मनगवां विधानसभा क्षेत्र से पन्नाबाई प्रजापति वर्ष 2008 में भाजपा से विधायक चुनी गई थी। पांच साल विधायक रहने के बाद वर्ष 2013 में बीएसपी से शीला त्यागी से पराजित होने के बाद पन्नाबाई प्रजापति भूमिगत हो गई। ये अलग बात है कि चुनावी पांसा पलटा और उनके पति पंचूलाल प्रजापति फिर से विधायक बन गये। लेकिन राजनीति के मैदान से पन्नाबाई प्रजापति के जाने के बाद अचानक जिला पंचायत सदस्य के लिए मैदान में उतरने की चर्चा लोगों के गले नहीं उतर रही है।
…तो क्या पार्टी का रहेगा समर्थन?
हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि नेताओं के परिवार के सदस्यों के चुनाव में आने से कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होती है। पार्टी द्वारा कार्यकर्ताओं को राजनीति के मैदान में आगे बढ़ाया जायेगा।राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा के बावजूद भी पंचायत चुनाव में कई ऐसे चेहरे मैदान में उतर रहे है जो माननीयों के परिवारवाद में जुड़े है। कहीं माननीय की पत्नी चुनाव मैदान में उतर रही तो कहीं माननीय के पुत्र-पुत्री। अब सवाल यह उठता है कि क्या उन पर पार्टी का समर्थन मिलेगा? यदि पार्टी का समर्थन नहीं भी मिलता तो कहीं न कहीं पर्दे के पीछे से सत्ता का असर दिखाई देगा।