रीवा। प्रदेश के बहुचर्चित जिला सहकारी बैक रीवा के डभौरा में 20 करोड़ के संड्रीज घोटाले के फरार एक आरोपी को सीआईडी ने दबोच लिया। आरोपी फर्जीवाड़े में एफआईआर दर्ज होने के बाद साधु का वेश धारण पिछले 8 सालों से पुलिस को चकमा दे रहा था। मुखबिर के सूचना पर एसपी नवनीत भसीन ने सीआईडी को पकडऩे के निर्देश दिए थे। फर्जीवाड़े का आरोपी कथित साधु संड्रीज घोटाले सूत्रधार व मुख्य आरोपी रामकृष्ण मिश्रा का सगा रिस्तेदार (चाचा) बताया जा रहा है। इसके पूर्व तक अभी 14 आरोपी ही गिरफ्तार किए गए थे।
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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में केंद्रीय सहकारी बैंक रीवा में सीबीएस सिस्टम लागू होने पर 20 करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद 67 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था।विंध्यवाणीइस मामले में चार बैंक महाप्रबंधकों के साथ कई शाखा प्रबंधकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था। जिनमें से 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। पूरे घोटाले का सूत्रधार व मुख्य आरोपी रामकृष्ण मिश्रा तत्कालीन शाखा प्रबंधक डभौरा सहकारी बैंक को गिरफ्तार कर लिया गया था जिसके बाद पूरा मामला सामने आया था।
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पहले एफआईआर डभौरा थाने में दर्ज की गई इसके बाद मामला सीआईडी को सौंप दिया गया। मुख्य आरोपी रामकृष्ण मिश्रा ने अपने रिस्तेदारों व अन्य के नाम करोड़ों की राशि ट्रांसफर किया था। जिसमें उसका सगा चा आरोपर अभय मिश्रा भी सामिल था। मामला सामने आने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी साधु का वेश धारण कर अपनी पत्नी के साथ रीवा के डोंगरा हनुमान मंदिर विवि थाना क्षेत्र में रह रहा था। जिसे सीआईडी पुलिस रीवा ने रेड डाल कर आरोपी का गिरफ्तार कर लिया। हालांकि सीआईडी ने अभी खुलासा नहीं किया है।
इनके खिलाफ दर्ज है मामला
संड्रीज मामले में 67 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है जिनमें मुख्यरूप से
अरुण प्रताप सिंह, रामकृष्ण मिश्रा, रामवली वर्मा, रावेन्द्र सिंह, राजेश सिंह, संदीप सिंह, जय सिंह, आशीष गुप्ता, अमर सिंह, श्रीकृष्ण मिश्रा, अभय कुमार मिश्रा, अमित कुमार मिश्रा, लखनलाल वर्मा, रामनरेश नापित, अंजनी मिश्रा, विजय द्विवेदी, राजेश मिश्रा, बृजेश उर्मलिया, उर्मिला देवी, रमेश सिंह, संजय गुप्ता, अजय सिंह, प्रणेशचंद्र मिश्रा, जीएल मिश्रा, सुरेश साठी, राम मिश्रा, अनिल कुमार, राजीव मिश्रा, राजेन्द्र मोहन मिश्रा, अखिलेश सिंह, बीना नापित, विजय शंकर द्विवेदी, बृज ट्रेडर्स रीवा, कमलेश शुक्ला, एसके इंटरप्राइजेज, नतिलाल सिंह, राजेश ट्रेडर्स, अजय कुमार सिंह, लवकुश गुप्ता, प्रमोद सिंह, मुक्ता द्विवेदी, मीना गुप्ता, केवला देवी श्रीवास्तव, देवकली मिश्रा, सर्वेश प्रताप सिंह, ओम गुरुकृपा ट्रेडर्स, ज्ञानचंद गुप्ता, हरिओम इंटरप्राइजेज, अर्मलिया फिल एण्ड फ्लाई प्वाइंट, सिंह टे्रडर्स, अंजनी शुक्ला, अखिलेश प्रताप सिंह, बृजेश सिंह, पंकज कुमार पाण्डेय, आरके एण्ड संस, प्रेमा सिंह, प्रदीप तिवारी, रामसागर नामदेव, विश्वनाथ सिंह, शुभम सिंह, पुष्पराज सिंह, सविता सिंह, अमरनाथ पाण्डेय, वीएस परिहार, आरके पचौरी, टाटा मोटर्स फाइनेंस आदि शामिल हैं।
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इनके खिलाफ कब होगी कार्रवाई
जांच दौरान यह बात सामने आई किक सीबीएस सिस्टम लागू होने के पूर्व मैन्युअल सिस्टम में 2011 से 2013 के पांच करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा हुआ था। इस मामले में भी कई आरोपी बनाए गए हैं जिनमें कुछ पुराने आरोपी भी है। इसमें तीन समिति प्रबंधकों विशेषर कुशवाहा, उमेश पांडेय और राधे श्याम गौतम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यहां विचारणीय यह है कि आरोपियों के खिलाफ आर्थिक गबन का प्रकरण दर्ज इसके बावजूद न तो निलंबित किया गया न ही समितियों का प्रभार वापस लिया गया। संबंधितों को अब भी वित्तीय प्रभार दिया गया है।