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रीवा। नगर निगम का चुनाव नजदीक है। सभी पार्टियों के प्रत्याशी ताल ठोक चुके हैं और मैदान पर हैं, कई प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वैसे तो नगर निगम के महापौर की बात की जाए तो यहां लगभ सभी महापौर के कार्यकाल विवादित ही रहे है। लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब नगर निगम का गठन 1994 में हुआ तो पहली पंच वर्षीय जो मेयर का कार्यकाल रहा वह आज भी चर्चाओ में रहता है इसकी बजह यह थी कि इस पांच वर्ष के कार्यकाल में 4 महापौर नगर निगम को मिले। यही कारण है कि 5 पंचवर्षीय कार्यकाल में नगर निगम में 8 महापौर ने जिम्मेदारी संभाली है। दरअसल जब पहला परिषद का गठन हुआ तो पहले तो कांग्रेस सरकार में महापौर पार्षदो ने चुना था। लेकिन यह कार्यकाल ज्यादा नही चला और इसे न्यायालय में लगी याचिका के बाद निर्णय महापौर को पद से हटाने का लिया गया। जिसके बाद महापौर पड़ की जिमेदारी दूसरे महापौर को दी गई जो लगभग 10 मएच तक महापौर रही, इज़के बाद शासन स्तर से महापौर को मनोनीत किया गया लेकिन यह महापौर भी 3 माह तक ही जिम्मेदारी संभाल सका, इसी बीच शासन ने जनता से चुनाव कराने का निर्णय लिया और फिर इसी कार्यकाल में चौथा महापौर जनता ने चुना। हालांकि जनता के चुनाव के बाद अंगले 4 कार्यकाल बिना किसी विबाद के रहे और जनता ने जिस महापौर को चुना वह 5 वर्ष तक महापौर की जिम्मेदारी में रहे। हालांकि 5वी परिसद के कार्यकाल में भी महापौर पड़ काफी विवादों में रहा और अंतिम माह में महापौर छुट्टियों पर चली गईं थी जिसके बाद प्रभारी महापौर व्यंकटेश पांडेय ने जिम्मेदारी संभाली थी लेकिन इनका नाम महापौर के कार्यकाल की लिस्ट में नही है। जबकि वह कई माह महापौर के पद की जिम्मेदारी में रहे और हर निर्णय भी लिया।