रीवा।
पुलिस विभाग में कई ऐसे भी अधिकारी हैं जिनको या तो भ्रष्ट कहा जा सकता है या फिर कानून के ज्ञान में अंगूठा छाप। आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि ऐसे पुलिस अधिकारी आखिर प्रशिक्षण के दौरान क्या सीखते हैं, जबकि शासन द्वारा पुलिस विभाग को अपराध संबंधी प्रशिक्षित करने के लिए लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं। मामला तो यह बैकुंठपुर थाना का है लेकिन जिले के कई थानों में भी यही हाल है जहां की कमान ऐसे स्टारधारी पुलिस अधिकारी ने संभाले है जो या तो भ्रष्ट रहे या फिर कानून की मामले में अंगूठा छाप। जिले में एक समय टीआई राम सिंह कंजर हुआ करते थे, जो अब सेवा निवृत हो गये। अपने कार्यकाल में विभाग द्वारा उनको कई बार सजा भी दी गई लेकिन एक कहावत है कि नवाय नवे में मूसर, पढ़ाये पढ़े न खूसड़ जो सेनि. टीआई राम सिंह कंजर पर शायद सटीक बैठती है। उनकी करतूतों से रीवा की जनता ही नहीं पुलिस विभाग भी अच्छी तरह से वाकिफ है। मजे की बात यह है कि उनकी सेवा निवृति के बाद भी उनकी करतूतें उजागर हो रही हैं। संगीन मामले के एक आरोपी को पुलिस डायरी में अभयदान दे रखा था। इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब टीआई बैकुंठपुर राजकुमार मिश्रा ने तीन साल से कबाड़ में पड़ी फाइल को खंगाला। देखा तो हत्या के प्रयास जैसे जघन्य अपराध में तत्कालीन टीआई राम सिंह कंजर ने अपराध ही नहीं दर्ज किया था। महज आगजनी के की धारा लगाते हुये फरार आरोपी के विरुद्ध प्रकरण न्यायालय में पेश करने का प्रयास करते रहे। लेकिन न्यायाधीश यह कह कर फाइल वापस कर देते थे कि आरोपी को पकड़ कर न्यायालय में डायरी के साथ पेश करो। बता दें कि
मामला 2017 का है, बैकुंठपुर कस्बे में रहने वाला आरोपी दीन दयाल कुशवाहा पिता रामदयाल 40 वर्ष ने अपने भाई और पिता को घर के अंदर बंद कर बाहर से आग लगा दी थी। शोर सुन कर मोहल्ले के लोग एकत्रित हुये मौके पर फायर बिग्रेड भी आया। आग पर काबू पाते हुये आरोपी के पिता सहित भाई और उसके परिवार के सदस्यों को जीवित बचा लिया। घटना की शिकायत थाना में की गई। तत्कालीन टीआई राम सिंह कंजर ने उक्त घटना पर आरोपी दीन दयाल कुशवाहा के विरुद्ध आगजनी का अपराध दर्ज किया। जबकि पिता सहित भाई और उसके परिवार की हत्या करने के प्रयास का मामला दर्ज नहीं किया। जिस पर टीआई बैकुंठपुर ने शुक्रवार को आगजनी के साथ ही हत्या के प्रयास की धारा बढ़ाते हुये आरोपी को गिर तार कर न्यायालय में पेश कर दिया।
मजे की बात यह है कि जिस आरोपी की तीन साल से पुलिस को तलास थी। वहीं आरोपी पुलिस की नाक के नीचे ही अपनी दुकानदारी चला रहा था। बताया गया कि आरोपी शुरुआती दौर में तो गुजरात भाग गया था। लेकिन वहां कुछ दिन फरारी काटने के बाद वापस बैकुंठपुर लौट आया और यहीं गन्ना रस का ठेला लगाने लगा था। इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब टीआई ने डायरी खंगाली और आरोपी की पतासाजी करनी शुरु की। पता चला कि बस्ती में गन्ने का ठेला लगाया हुआ है। जहां से आरोपी को गिर तार कर लिया गया।
0000000000000000
सभी ताजा खबरें पढ़ने के लिए कृपया जरूर जुड़े🙏
Join Now