रीवा। स्कूल शिक्षा विभाग में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला हुआ। कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों ने मिलकर अनुदान प्राप्त शिक्षकों के एरियर और स्कूलों में सामग्री सप्लाई के नाम पर 4 करोड़ 41 लाख का घोटाला किया। इन घोटाले में 24 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई। रिकवरी के भी निर्देश दिए गए, लेकिन अब सारा मामला ठप है। अब तक सिर्फ 80 लाख के करीब ही रिकवरी हो पाई। शेष राशि की वसूली में तेजी नहीं आ रही है। शासन को करोड़ों की चपत लगाने वाले फिर से वापस डीईओ कार्यालय में जम गए हैं, लेकिन कार्रवाई थम गई है। स्कूल शिक्षा विभाग में हुए घोटाले ने सबको चौंका दिया। ऑडिट में आपत्ति न सामने आई होती तो इतना बड़ा घोटाला पकड़ में ही नहीं आता।
वर्ष 2016 से 2018 के बीच में सिर्फ 70 लाख की ही आपत्ति आई थी, लेकिन जब कलेक्टर ने जांच कराई तो यह महाघोटाला बनकर सामने आया। अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों के एरियर और वेतन घोटाले में ही 2 करोड़ 18 लाख 39 हजार 901 रुपए का गबन सामने आया। इसके अलावा कई स्कूलों को बिना सामानों की सप्लाई के ही बिल वाउचर पास करा लिए। इससे करीब 2 करोड़ 23 लाख का गबन किया गया। मामले की पोल खुली तो कारस्तानी सामने आने लगी। कैशियर अशोक शर्मा और सहायक शिक्षक विजय तिवारी ने किस तरह से शासन की राशि का बंदरबांट किया, सब कुछ सामने आ गया। इस फर्जीवाड़ा में करीब 24 लोगों ने कैशियर, अनुदान प्रभारी और सहायक शिक्षक का साथ दिया। इन सभी पर एफआईआर के निर्देश थे। कलेक्टर के निर्देश पर सिविल लाइन थाना में जिला शिक्षा अधिकारी ने एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने मामला तो दर्ज किया, लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं की। ऐसे में कैशियर, सहायक शिक्षक और अनुदान प्रभारी कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट से उन्हें राहत मिल गई। स्टे लेकर फिर से तीनों पुरानी जगह पर काम करने लगे हैं। कलेक्टर की सारी कोशिशों पर कैशियर और सहायक शिक्षक ने पानी फेर दिया। अब सारा मामला ठंडे बस्ते में है। शिक्षकों से भी रिकवरी आगे नहीं बढ़ पा रही है। करोड़ों रुपए जो शासन के खजाने से खुदबुर्द किए गए थे, वह अब भी रिकवर नहीं हो पाया है।
प्रदेशभर में मचा था हड़कंप
रीवा का अनुदान प्राप्त स्कूलों का एरियर घोटाला और सामग्री घोटाला का मुद्दा प्रदेशव्यापी था। इसकी गूंज विधानसभा तक पहुंची थी। 4 करोड़ 41 लाख के घोटाले ने शिक्षा विभाग की नींद उड़ा दी थी। भोपाल तक से जानकारी तलब की गई थी। अब सब कुछ ठप है। मुद्दा ही दबकर रह गया है। तत्कालीन कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी ने जांच कर खुलासा किया था। अब उनके स्थानांतरण के बाद सब ठप है। प्रशासन मामले में शांत बैठ गया है। वहीं जिनके नाम घोटाले में आए थे वह फिर से कार्यालय में उसी पुरानी कुर्सी पर बैठकर काम करने लगे हैं।
कपटपूर्ण भुगतान आहरण की राशि और खातधारकों के नाम
वेंडर का नाम फर्जीखाताधारक राशि
सूर्यमणि विभाग शुक्ला 380581
रामरतन सुधीर तिवारी एवं अर्चना 247825
रामनारायण अतुल तिवारी/अरुण तिवारी 905750
कमलेश द्विवेदी कमलेश कुमार द्विवेदी 535098
श्रीनिवास उर्मिला प्रसाद चतुर्वेदी 1120273
कृष्ण कुमार सुषमा तिवारी 718357
रामसुरेश अशोक कुमार चतुर्वेदी 445471
संतोष कुमार अनिल शुक्ला 1122790
राम किशोर रामकृष्ण मिश्रा 935729
राघविन्द प्रसाद राधारमन द्विवेदी 870458
लालुआ कमलेश कुमार द्विवेदी 188827
विष्णु स्वाति तिवारी 138019
संतोष कुमार सुनील पाण्डेय 403872
कृष्ण कुमार सरोज पाण्डेय 725664
रमाकांत पाठक अंकित अग्रवाल 603568
अंकित तिवारी वीके अग्रवाल 414753
मिठाईलाल विजय अग्रवाल 712221
कृष्ण सेवक शर्मा सीमा तिवारी 826268
सुशील द्विवेदी कमलेश प्रसाद द्विवेदी 955779
अंकिता मिश्रा टे्र. अंकिता मिश्रा ट्रेडर्स 420149
रामसजीवन तिवारी — 740856
कल्लू सिंह सीमा द्विवेदी ग्राम मिडिला 743430
शेषमणि यादव — 417966
रामधारी सिंह आशा एवं आकांक्षा अग्रवाल 679139
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