12169 people got a shock from the railways! New update regarding Rewa-Lalitpur rail line:रीवा। ललितपुर – रीवा- सिंगरौली रेल परियोजना में भूमि दे चुके सभी किसानों को अभी तक नौकरी नहीं मिली। इस परियोजना के लिए रेल प्रशासन ने 13 हजार 750 किसानों की भूमि अधिग्रहित की। इसके बदले महज 1581 किसानों या उनके परिजनों को नौकरी दी, जो कुल भू- अधिग्रहण से प्रभावित किसानों का साढ़े 11 प्रतिशत है। शेष 12 हजार 169 किसान अभी भी नौकरी से वंचित हैं। रेल प्रशासन की इस वादाखिलाफी को लेकर पिछले 1 वर्ष से किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। फिर भी रेल प्रशासन किसानों की मांग को अनसुना कर रहा है।गौरतलब है कि 7 वर्ष पहले वर्तमान केंद्र सरकार ने इस परियोजना की दोबारा आधारशिला रखी थी। करीब 541 किलोमीटर की इस परियोजना के लिए 8913.93 करोड़ रुपये अनुमानित लागत तय हुई।
इसमें से मार्च 2023 तकपरियोजना में 4086 करोड़ रुपये व्यय हो चुका है। इतनी लागत से 229 किलोमीटर रेललाइन ललितपुर-खजुराहो-महोबा लाइन चालू हो गई है। शेष प्रस्तावित स्थल में निर्माण कार्य जारी है। उक्त जानकारी रेल मंत्रालय ने राज्यसभा में अगस्त 2023 को दी। इस मसले को लेकर राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने प्रश्न लगाया था, जिस पर उक्त जानकारी दी गई।
नौकरी के मुद्दे पर नहीं दिया ठोस उत्तर
बताते हैं कि राज्यसभा सांसद ने सरकार से यह भी पूछा था कि भूमि के बदले नौकरी का वादा भी रेलवे ने किया था। इस प्रश्न के जबाब में रेल प्रशासनद्वारा गोल-मोल जबाब देते हुए बताया कि सत्र 2021-22 तक 1581 किसानों को नौकरी दी गई। वादा करने या उसके बाद एन नौकरी संबंधी कार्यवाही रुकने को लेकर कोई स्पष्टीकरण रेल प्रशासन ने नहीं दिया।
सिंगरौली से एक किसान को भी नहीं मिली नौकरी
परियोजना के तहत 6 जिलों में से सबसे ज्यादा सीधी के 4818 किसानों से भूमि ली गई। ऐसे ही, सतना और सिंगरौली में अधिकाधिक किसानों से भूमि ली गई। मंत्रालय द्वारा दिए उत्तर के अनुसार अन्य जिलों में तो कुछ नौकरी दी लेकिन सिंगरौली से एक भी किसान को भूमि के बदले रेल प्रशासन नौकरी नहीं दे पाया। हालाकि उक्त प्रश्नोत्तर के मुताबिक सभी किसानों को मुआवजा दिया गया है।