रीवा। चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस बार चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि दिनांक 16 अप्रैल 2022 शनिवार को मनाया जाएगा। हनुमान जी को भगवान शिव का ग्यारहवां अवतार माना जाता है। रुद्रावतार भगवान हनुमान माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र है। इस हनुमान जयंती में कई विशेष योग बन रहे हैं, उक्त आशय की जानकारी हमे मशहूर ज्योर्तिविद राजेश साहनी द्वारा दी गई, उनकी माने तो हनुमान जी के जन्म का वर्णन वायु पुराण मे मिलता है । हनुमान जन्मोत्सव के दिन शनिवार पडने इस दिन का महत्व और बढ जाता है, क्योंकि शनिवार के दिन पर भी हनुमान जी का आधिपत्य माना गया है। हिंदू धर्म में हनुमान जयंती का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जातीहै। इस साल यह तिथि 16 अप्रैल को पड़ रही है।
विशेष योगों में हनुमान जन्मोत्सव
वायु पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को प्रात: काल हनुमान जी का जन्म माना गया है। आज 16 अप्रैल को चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि उदया कालीन तिथि के रूप में रात्रि 12.24 तक व्याप्त रहेगी। प्रात: काल 8.40 के पश्चात मंगल के नक्षत्र चित्रा में हनुमान जयंती का सुयोग बन रहा है। शनिवार के दिन मंगल के नक्षत्र में हनुमान जयंती का संयोग दुर्लभ है। इसके अलावा आज रवि एवं हर्षण योग का सहयोग भी है जो कि हनुमान पूजा हेतु विशिष्ट है।
ऐसे मनाये हनुमान जन्मोत्सव
हनुमान जन्मोत्सव के दिन सूर्योदय पूर्व प्रात:काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर हनुमान जी का पूजन करना चाहिए। पूजन में ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजन में चंदन, केसरी सिंदूर, लाल कपड़ा के साथ नैवेद्य मे लड्डू या बूंदी, चिरोंजी मे सिके चने का रखना चाहिए। धार्मिक मान्यतानुसार हनुमान जन्मोत्सव के दिन बजरंगबली के साथ श्रीराम जी का विधि विधान से पूजन करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। घर में हनुमान विग्रह के समक्ष दीपदान करते हुए हनुमत पूजन करना चाहिए। मंदिरों में आज के दिन हनुमान जी को चोला अर्थात सिंदूर तथा चमेली के तेल से निर्मित चोला अर्पित करने से समस्त मनोकामना ओं की सिद्धि होती है। हनुमान जी का पंचोपचार से पूजन करने के पश्चात हनुमान चालीसा के 11 पाठ अथवा सुंदरकांड का पूर्ण पाठ करने से शीघ्र ही हनुमत प्रसन्नता होती है। जिन लोगों की जन्म पत्रिका में शनि की साढ़ेसाती अथवा अढैया, या फिर अनिष्ट कारी राहु मंगल की महादशा चल रही हो तो उन्हें इस प्रकार का विशेष पूजन अवश्य संपन्न करना चाहिए।
करें दीपदान
हनुमत साधना का रहस्य है, उनके निमित्त किया जानेवाला दीपदान। इसे हनुमान जयंती के अवसर पर अथवा किसी भी मंगलवार अथवा शनिवार को अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए एवं हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए किया जा सकता है। शास्त्रों में इस प्रकार किए गए दीपदान का महिमामंडन किया गया है तथा मनुष्य को इसके द्वारा चतुर्विध पुरुषार्थ की प्राप्तियां तक बताई गई हैं। देव प्रतिमा के आगे, प्रमोद के अवसर पर, ग्रहों के निमित्त, भूतों के निमित्त, घर में अथवा चौराहे पर इन 6 स्थलों में हनुमान जी का नाम स्मरण करते हुए दीप दान करना चाहिए। मिट्टी से बना हुआ चार मुखी दीपक समस्त प्रकार की मनोकामना ओं के लिए शुद्ध घी का, आर्थिक लाभ के लिए तिल के तेल का तथा कोर्ट कचहरी एवं वाद-विवाद से छुटकारा पाने के लिए सरसों के तेल से निर्मित दीप दान करना चाहिए।
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