जिले में निर्माण कार्यों से संबंधित संविदाकारों द्वारा श्रम विभाग से श्रमिक लाईसेंस लेने में दूरी बनाई गई है। श्रम विभाग में महज 17 संविदाकारों के नाम से ही श्रमिक लाईसेंस जारी है। बिना श्रमिक लाईसेंस के ही संविदाकार निर्माण कार्यों को बेखौफ होकर करानें में संलिप्त हैं। कारण उन्हें मालूम है कि निर्माण कार्यों के संबंध में संबंधित विभागों द्वारा कोई जांच करनें की जरूरत नहीं समझी जाती है। इसी वजह से जिले भर में सैकड़ों संविदाकार होने के बावजूद श्रम विभाग के नियमों का पालन करना जरूरी नहीं समझा जाता है। श्रम विभाग के नियमों के अनुसार शासकीय निर्माण कार्यों में मनरेगा को छोंडकर कार्य करने वाले श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान भी बैंक खाते के माध्यम से होने चाहिए। किंतु सीधी जिले में संविदाकारों द्वारा श्रमिकों के बैंक खाते के माध्यम से मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है। श्रम विभाग के अनुसार सीधी जिले में कार्य करने वाले 17 संविदाकारों द्वारा उनके यहां श्रमिक लाईसेंस का पंजीयन कराया गया है। इनमें संविदाकार गणेश प्रताप ङ्क्षसह डैनिहा सीधी, मल्टी अरबन इंफ्रा सर्विस प्रायवेट लिमिटेड छिंदवाड़ा, प्राइम 1 वर्क फोर्स प्रायवेट लिमिटेड भोपाल, सेंचुरी कांस्ट्रक्शन ग्वालियर, मेसर्स तिरुपति बिल्डिकॉन प्रायवेट लिमिटेड बुढ़ार, श्रीजी मैन पावर कान्ट्रेक्टर्स प्रायवेट लिमिटेड फरीदाबाद, आरपी एसोशिएट वर्कर्स दक्षिण करौंदिया सीधी, रोहितासु कुमार पाण्डेय पटेल पुल सीधी, एमके कांस्ट्रक्शन हिनौती सीधी, इंद्रजीत ङ्क्षसह ग्वालियर, यूनियटेक पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड रीवा अमित इंटर प्राइजेज शास्त्री नगर सीधी, जीवेन्द्र सिंह अर्जुन नगर सीधी, विकास ङ्क्षसह चौहान कुबरी सीधी, ज्वेल इन्फ्रा लिमिटेड फार्मरी ऐज वाटर इंन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड दिल्ली, तिरुपति इंटरप्राइजेज पडैनिया सीधी, मेसर्स विजय कुमार मिश्रा कांस्ट्रक्शन प्रायवेट लिमिटेड रीवा कैम्प जमोंड़ी सीधी द्वारा श्रमिक पंजीयन कराया गया है। पंजीयन करानें वाले संविदाकारों में अधिकांश ऐसे बड़े संविदाकार शामिल हैं जो कि बाहरी हैं और सीधी जिले में कार्य किया जा रहा है। करोड़ों का कार्य करनें के कारण उनके द्वारा श्रम विभाग के नियमों का भी प्रत्यक्ष रूप से पालन किया जा रहा है। फिर भी पंजीकृत संविदाकारों द्वारा भी उनके यहां कार्य करने वाले श्रमिकों का भुगतान बैंक खाते की बजाय नकद ही किया जाता है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि तीन महीने तक निर्माण कार्याे में कार्य करने वाले संविदाकारों का श्रम विभाग से श्रमिक लाईसेंस बनानें का प्रावधान है। इसी तरह तीन महीने तक शासकीय कार्यों में कार्य करने वाले श्रमिकों का भी श्रम कार्ड जारी किया जाता है। श्रमिकों का श्रम कार्ड शासकीय कार्य में लगे संविदाकारों के प्रमाणित करनें पर ही बनाया जाता है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि शासकीय कार्य करने वाले सभी संविदाकारों को मालूम है कि उन्हें श्रमिक लाईसेंस श्रम विभाग से प्राप्त करनें के लिए पंजीयन कराना अनिवार्य है। फिर भी उनके द्वारा उक्त आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। श्रम निरीक्षकों की कमी होने के कारण जिले भर में चल रहे शासकीय कार्यों में संलग्र श्रमिकों का निरीक्षण कर पाना संभव नहीं हो पाता। फिर भी विभाग के निरीक्षक द्वारा शासकीय कार्यों का निरीक्षण किया जाता है और उस दौरान संविदाकारों को भी कार्य करने वाले श्रमिकों के संबंध में नियमों का पालन करनें की समझाईश दी जाती है। यह अवश्य है कि ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत होने वाले शासकीय निर्माण कार्यों में ठेकेदारी प्रथा प्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंधित है। इस वजह से यहां कार्य करने वाले श्रमिकों के संबंध में उक्त नियम प्रभावशील नहीं होता। इसी प्रकार अशासकीय कार्यों में काम करने वाले श्रमिकों पर भी श्रमिक लाईसेंस का नियम प्रभावशील नहीं है। शेष सभी शासकीय निर्माण कार्यों में जहां श्रमिक कार्य करते हैं वहां संविदाकार को श्रमिक लाईसेंस लेना अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं है तो निरीक्षण के दौरान संबंधित संविदाकार पर कार्यवाई भी हो.
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
जिले में बड़े पैमाने पर शासकीय निर्माण कार्य संविदाकारों के माध्यम से कराए जा रहे हैें। जिसमेंं सैकड़ों की संख्या में श्रमिकों का नियोजन भी रहता है। फिर भी अधिकांश संविदाकारों द्वारा श्रम विभाग में पंजीयन कराकर श्रमिक लाईसेंस लेना जरूरी नहीं समझते। जिन विभागों का निर्माण कार्य है वहां के अधिकारियों द्वारा भी श्रम विभाग के उक्त नियमों का पालन कराना जरूरी नहीं समझा जाता। इसी वजह से पीडब्ल्यूडी, आरईएस, पीएचई, प्रधानमंत्री सड़क योजना के निर्माण कार्यों में संबंधित संविदाकारों द्वारा बिना श्रमिक लाईसेंस लिए ही सालों से कार्य कराया जा रहा है। हैरत की बात तो यह है कि सालों से श्रम विभाग के नियमों की हो रही अनदेखी के मामले में श्रम विभाग समेत संबंधित विभागों द्वारा भी कार्यवाई करने की जरूरत नहीं समझी गई। संबंधित संविदाकारों के विरुद्ध कार्यवाई न होने के कारण उनके द्वारा भी श्रमिक लाईसेंस लेना आवश्यक नहीं समझा जा रहा है। इस मामले में श्रमिक निरीक्षकों की कमी के चलते श्रम विभाग जहां लाचार नजर आ रहा है वहीं विभागीय कार्यों में नियमों की अनदेखी के मामले में संबंधित अधिकारी भी पूरी तरह से निष्क्रिय नजर आ रहे है। ऐसे में जिला प्रशासन को श्रमिक लाईसेंस के नियमों का पालन करानें की पहल आगे आकर करनी चाहिए। जब तक जिला प्रशासन की सक्रियता इस मामले में नहीं बढ़ेगी श्रम विभाग के नियमों की धज्जियां संविदाकार खुलेआम उड़ाते रहेंगे।
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nजिले में संबल कार्ड होने के बावजूद श्रमिक कर्मकार का पंजीयन करानें में पीछे नहीं है। श्रम विभाग के नियमों के अनुसार जिन लोगों का संबल योजना में पंजीयन है उन्हें कर्मकार कार्ड की कोई आवश्यकता नहीं है। कर्मकार कार्ड बनने के बाद संबल योजना का लाभ संबंधित व्यक्ति को नहीं मिलेगा। दरअसल कर्मकार कार्ड बनवाने की होड़ इस वजह से लोगों में रहती है क्योंकि कर्मकार कार्ड बन जाने के बाद शासकीय उचित मूल्य दुकान से खाद्यान्न का लाभ भी मिलने लगता है। जबकि संबल कार्ड धारकों को शासकीय उचित मूल्य दुकान से खाद्यान्न लेने की पात्रता नहीं है। इसी वजह से लोग संबल कार्ड होने के बाद भी कर्मकार कार्ड लेने की होड़ में रहते हैं। कुछ मायनों में कर्मकार कार्ड से ज्यादा लाभ मिलता है। जानकारों का कहना है कि शासकीय उचित मूल्य दुकान से खाद्यान्न अवश्य नहीं मिलता लेकिन संबल योजना से भी बच्चों की शिक्षा एवं अन्य कार्यों के लिए शासन की ओर से आवश्यक मदद मिलती है। इस वजह से दो मे से एक ही पंजीयन कराना पर्याप्त है।
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
nn
तीन महीने तक निर्माण कार्यों में काम करने एवं श्रम विभाग से श्रमिक लाईसेंस प्राप्त संविदाकारों के प्रमाणित करनें पर श्रमिक का कामगार निर्माण श्रमिक कार्ड बनता है। श्रमिक कार्ड बनानें में उक्त नियमों का पालन ही किया जा रहा है। श्रमिक को संबंल व श्रम निर्माण कर्मकार योजना में से एक ही की पात्रता होगी।
nनवनीत पाण्डेय
nप्रभारी श्रम अधिकारी सीधी