रीवा। मेडिकल कॉलेज में जापानी बुखार से एक किशोर की मौत का मामला चर्चाओं में है। इसको लेकर अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है ऐसा कहा जा रहा है। हालांकि प्रबंधन ने इसकों लेकर अभी तक कोई पुष्टि नहीं की है, लेकिन स्टाफ के बीच इसकी चर्चाएं हंै। किशोर सतना के बिरसिंगपुर निवासी 12 वर्षीय राज चौधरी पिता रामनरेश चौधरी बताया जा रहा हैं। हालांकि जिम्मेदार इस प्रकार के किसी मामले के सामने न आने की बात कर रहे हैं। वहीं चर्चाओं के अनुसार इस मौत की खबर से प्रदेश स्तर पर हड़कंप मचा हुआ है। बिरसिंगपुर में बुधवार को टीम के निरीक्षण करने की बात भी सामने आई है, वहीं यह भी कहा जा रह है कि सेंपल भी पुणे में जांच के लिए भेजे गए हैं। मेडिकल कॉलेज स्टाफ में चल रही चर्चाओं में इस मौत की बात तो सामने आ रही है, लेकिन प्रबंधन इससे साफ इनकार कर रहा है। मामला जो भी हो यदि जापानी बुखार की इंट्री हुई है तो स्वास्थ्य विभाग को इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। फिलहाल इसको लेकर कोई खास व्यवस्था सामने नहीं आई है।
यह हैं बीमारी के कारण
खेतों में पनपने वाले मच्छरों (प्रमुख रूप से क्युलेक्स ट्रायटेनियरहिंचस समूह) के काटने से यह बीमारी फैलती है। यह मच्छर जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस से संक्रमित हो जाते हैं। जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस से संक्रांत पालतू-सूअर और जंगली पक्षियों के काटने पर मच्छर संक्रांत हो जाते हैं। इसके बाद संक्रांत मच्छर पोषण के दौरान जापानी एन्सेफलाइटिस वॉयरस काटने पर मानव और जानवरों में जाते हैं।
कोई विशेष चिकित्सा नहीं
जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस पालतू सुअर और जंगली पक्षियों के रक्त प्रणाली में परिवर्धित होते हैं। जापानी एन्सेफलाइटिस के वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है। इसकी कोई विशेष चिकित्सा नहीं है। गहन सहायक चिकित्सा की जाती है। यह रोग अलग-अलग देशों में अलग-अलग समय पर होता है। क्षेत्र विशेष के हिसाब से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले, वहां प्रतिनियुक्त सक्रिय ड्यूटी वाले सैनिक और ग्रामीण क्षेत्रों में घूमने वालों को यह बीमारी अधिक होती है।
रीढ़ के हड्डी का पानी निकालकर होती है जांच
विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो रीढ़ की हड्डी का पानी निकालकर जापानी बुखार की जांच की जाती है। इसकी जांच सुविधा सभी संस्थानों में उपलब्ध नहीं है। जांच की सुविधा देश के चुनिंदा चिकित्सा संस्थानों में मौजूद है। रीवा से सेंपल नेशनल इंस्ट्रीट्यूटस ऑफ वायरोलॉजी पुणे महाराष्ट्र भेजे जाते हैं।
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