रीवा। जिले
में मेडिकल नशा का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। इसकी गिरफ्त में सबसे अधिक युवा
वर्ग है। युवा सस्ते नशे के चक्कर में इन मेडिकल नशीली दवाओं की गिरफ्त
में आते हंै और जब तक कि वह कुछ समझ पाते हंै उनका इससे बाहर निकल पाना
मुश्किल हो जाता है। हाल ही में जारी हुए राज्यस्तरीय सर्वे रिपोर्ट में एक
बड़ा खुलासा हुआ है। एड्स नियंत्रण को लेकर किए गए इस सर्वे में पाया गया
कि रीवा जिला इंजेक्टिंग ड्रग यूजर यानि की सिरिंज से नशा करने वालों के
मामले में प्रदेश भर में टॉप थ्री पर है। प्रथम स्थान जबलपुर का है, दूसरा
स्थान राजधानी भोपाल का है और तीसरे स्थान में रीवा है। सर्वे मेेंं हुए इस
खुलासे ने रीवा में नशीली दवाओं के विक्रय पर प्रतिबंध की बात करने वालों
के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है। इन आंकड़ों ने रीवा में हो रही नशीली
दवाओं की ब्रिकी की पोल खोलकर रख दी है। आंकड़े बेहद ही चौंकाने वाले हंै।
1089 लोगों को किया चिहिंत
जानकारी
के मुताबिक किए गए सर्वे में सामने आया कि प्रदेश भर में करीब 8 हजार लोग
इंजेक्टिंग ड्रग यूजर हैं, जो कि सिरिंज से नशा करते हंै। जिसमें पहले
स्थान पर जलबपुर में 1303 लोगों को चिंहित किया गया, इसके बाद राजधानी
भोपाल में 1223 लोग चिंहित हैं। तीसरा स्थान रीवा जिले का है जहां 1089 लोग
चिंहित किए गए हैं। वहीं रीवा व शहडोल संभाग की बात करें तो संभाग में
दूसरा स्थान सीधी का है, जहां 455 लोगों को चिंहित किया गया है। सतना में
343 लोग और शहडोल में 177 लोगों को चिंहित किया गया है।
जांच न होना बड़ी वजह
इस
नशाखोरी की बड़ी वजह धड़ल्ले से चल रहे मेडिकल स्टोर हंै जो जीवनरक्षक
दवाओं के साथ-साथ चोरी-छिपे नशीली दवाओं की बिक्री करते हंै। बीच में इसके
लिए तत्कालीन कलेक्टर के आदेश पर अभियान चलाया गया था, जिसमें कुछ मेडिकल
स्टोरों की जांच की गई। लेकिन बाद में कार्यवाही ठंडे बस्ते में डाल दी गई,
जिससे मेडिकल संचालकों में किसी प्रकार का कोई खौफ नहीं रह गया है।
3 रुपए से शुरू हो जाता है नशा
मेडिकल
नशे की तरह युवा पीढ़ी के बढऩे का सबसे बड़ा कारण इसकी कम दरे हंै। 3 रुपए
से नशे की गोलियां मिलने लगती हैं, जिसके बाद क्षमता के अनुसार लोग इन
नशीली दवाइयों की खरीद करते हंै। बताया गया कि एल्प्राजोलम नाम की गोली
जिसे स्थानीय लोग बटन बोलते हंै और इसी नाम से मेडिकल दुकानों में इसकी
मांग की जाती है उसके 10 गोलियों का पत्ता 30 रुपए का आता है। इसके अलावा
एकपास्मो जिसे बंटा के नाम से मांगा जाता है सहित कंपोज, बिलियन टेन
गोलियों की सबसे अधिक डिमांड है। इसके अलावा युवाओं में सबसे अधिक डिमांड
इस समय महौल और दवाई के नाम से जाने वाली नशीली सिरप ऑनरेक्स व रेसकप की
है। आलम यह है कि 40-50 रुपए में आने वाली ये सिरप 400-500 रुपयों में बिक
रही हैं।