रीवा। सर्किट हाउस में इतनी बड़ी घटना हो गई लेकिन सख्ती फिर भी नहीं दिख रही है। सर्किट हाउस का एक कमरा पिछले एक साल से राजनीतिक रसूख की भेंट चढ़ा हुआ है। एक जनप्रतिनिधि का पीए यहां कब्जा जमाए है। रीवा में घर है लेकिन खाना पीना यहीं होता है। लाखों रुपए शासन का खातिरदारी में हजम कर चुके लेकिन प्रशासन का पीछा नहीं छोड़ रहे। सर्किट हाउस वीआईपी, वीवीआईपी के लिए बना है। इसके अलावा इसमें कुछ कमरे सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों के लिए भी बनाए गए हैं। यहां रुकने और खाने पीछे का फीस तय है लेकिन इसका उपयोग अधिकारी नेता फ्री में करते हैं। इतने साल हो गए सर्किट हाउस को कोई भी नेता, अधिकारी और वीवीआईपी एक फूटी कौड़ी देकर नहीं गया। इसे अधिकारियों ने सरकारी सम्पत्ति मानकर दुरुपयोग किया। इसका दुरुपयोग अब भी जारी है। सर्किट हाउस में हिस्ट्रीशीटर को कमरा एलाट कर दिया गया। फ्री में सेवाएं दी गईं। इसी सर्किट हाउस के कमरा नंबर 4 में किशोरी से दुष्कर्म भी हुआ। इसके बाद भी यहां व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ रही है। सूत्रों की मानें तो एक जनप्रतिनिधि का पीए पिछले एक साल से यहां एक कमरे में कब्जा जमाए हुए हैं। जिस कमरे में दुष्कर्म हुआ। उसी के पास वाला कमरा लंबे समय से रिजर्व है। हद तो यह है कि जिस पीए ने कमरे में कब्जा किया हुआ है। उनका रीवा में अपना खुद का घर भी है। इसके बाद भी सर्किट हाउस में आकर रुकते हैं और यहीं पर मुफ्त का खाना, पीना करते हैं। कर्मचारियों को इस खातिरदारी के बदले किसी तरह का भुगतान भी नहीं करते। किराया भी एक फूटी कौड़ी तक नहीं अदा किए हैं। इन अधिकारी से कर्मचारी परेशान है लेकिन राजनीतिक रसूख के आगे कोई इन्हें यहां से हटाने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है।
छुटभैये नेता भी बुक करने लगे थे कमरा
हद तो यह है कि सर्किट हाउस को सरकारी धर्मशाला बना दिया गया है। यहां कमरा बुक करने के लिए सत्ता पार्टी के छुटभैये नेता भी फोन करने लगे थे। दबाव बनाकर किसी के लिए भी कमरा बुक करा लेते थे। दुष्कर्म की घटना के बाद हालांकि रोक लगी है। यहां भोपाल से आने वाले मंत्री, अधिकारी के गनमैन, ड्राइवर तक वीआईपी ट्रीटमेंट की मांग करते हैं। मुख्यमंत्री आदि के लिए रिजर्व करने में ही रुकने की डिमांड करते हैं।
600 और 800 रुपए है निर्धारित
सर्किट हाउस में गिनती के कमरे हैं। इन कमरों में रुकने के लिए वीवीआईपी, वीआईपी तक के लिए शुल्क निर्धारित है। 600 और 800 रुपए का शुल्क भुगतान करना पड़ता है। यहां खाना खाने और नाश्ता का भी खर्च वहन करना पड़ता है लेकिन यहां रुकने वाले एक फूटी कौड़ी तक नहीं देते। सत्ता या पद का पॉवर दिखाकर चले जाते हैं। करोड़ों रुपए का किराया अब तक वीआईपी, वीवीआईपी गटक चुके हैं।
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