रीवा। रीवा में भ्रष्टाचार के दागे अच्छे हैं। जिन्होंने सरकारी खजाने में चपत लगाई। करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया। उन्हें ही सरकार और जन- प्रतिनिधियों ने उपकृत किया। स्वास्थ्य, शिक्षा, पीडब्लूडी में करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया लेकिन दागियों पर खरोच तक नहीं आए। इन सभी को उच्च पदों पर बैठा दिया गया। वहीं इमानदारी दिखाने वाले गर्त में चले गए। विभाग से उन्हें या तो हटा दिया गया या फिर जांच में फंसा दिया गया।
घोटाले में फंसे डॉ एमएल गुप्ता बन गए जेडी
स्वास्थ्य विभाग में सीएमएचओ रहे डॉ एमएल गुप्ता पर डेढ़ करोड़ रुपए के फर्जीवाड़ा का आरोप लगा। मामले की जांच जिला पंचायत सीईओ की निगरानी में की गई। पांच सदस्यीय टीम ने जांच की थी। जांच के बाद प्रतिवेदन भी टीम ने सौंप दिया था। हालांकि मामले में कुछ नहीं हुआ। स्वास्थ्य विभाग ने डॉ एमएल गुप्ता को प्रमोट कर जेडी स्वास्थ्य सेवाएं का प्रभार सौंप दिया है।.
सीमेंट खरीदी और भुगतान पर फंसे डीईओ
पूर्व प्राचार्य एक्सीलेंस और वर्तमान डीईओ जीपी उपाध्याय 330 रुपए की सीमेंट बोरी का 422 रुपए की दर से क्रय किए जाने के मामले में बुरे फंसे। तत्कालीन कलेक्टर ने जांच कराई थी। जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया था। सीमें खरीदी के अलावा भवन निर्माण के मजदूरी बिल में किए गए भुगतान में भी गड़बड़ी पकड़ में आई थी। 3 लाख 86 हजार 164 रुपए के देयक में कार्य की मात्रा, भुगतान की दरें स्पष्ट नहीं था। भुगतान वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में पाया गया था। अनियमितता मिलने के बाद भी डीईओ की कुर्सी मिल गई।
साढ़े चार करोड़ के घोटालेबाज फिर वहीं जम गए
स्कूल शिक्षा विभाग में अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को अनुदान राशि के भुगतान में फर्जीवाड़ा किया गया। महालेखाकार ग्वालियर की ऑडिट में आपत्ति सामने आई थी। वर्ष 2018 से 2019 के बीच में सिर्फ 70.67 लाख गबन की आपत्ति आई थी। जब तत्कालीन कलेक्टर ने मामले की स्थानीय स्तर पर टीम बनाकर जांच कराई तो यह महाघोटाला बन कर सामने आया था। अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों के एरियर और वेतन घोटाले में ही 2 करोड़ 18 लाख 39 हजार 901 रुपए का गबन मिला था। इसके अलावा कई स्कूलों को बिना सामानों की सप्लाई के ही बिल बाउचर पास करा लिए। इससे करीब 2 करोड़ 23 लाख का गबन किया गया। इस फर्जीवाड़ा में करीब 24 लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। कैशियर की मुख्य भूमिका सामने आई थी। जांच के बाद भी कुछ नहीं हुआ। पिुर से कैशियर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ही जम गए हैं। कई और मुख्य कार्य सौंप दिए गए हैं।
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एसई पीडब्लूडी पर भी लगा आरोप, हटाए नहीं गए
रीवा पीडब्लूडी में पदस्थ अधीक्षण यंत्री व्हीके झा नियम विरुद्ध मशीनरी को किराए पर लगाने की स्वीकृतियां प्रदान करते रहे। अधिकार क्षेत्र से हटकर भुगतान भी किया। इसका मुद्दा विधानसभा में उठा। विधानसभा प्रश्न के अलावा ध्यानाकषर्ण भी लगाया गया। इसमें जेसीबी, टै्रक्टर, ट्राली, डम्पर, रोलर, ग्रेडर आदि किराए पर लगाने की स्वीकृतियां नियम विरुद्ध अधीक्षण अभियंता ने दी। जांच में करीब 20.50 करोड़ रुपए की स्वीकृतियां प्रदान करना पाया गया है। जांच के बाद लोक निर्माण विभाग परिक्षेत्र रीवा के मुख्य अभियंता इंजीनियर एमके नायक ने प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग मप्र भोपाल को पत्र लिखा। उन्होंने व्ही के झा प्रभारी अधीक्षण यंत्री द्वारा मशीनरी किराए पर लगाने में की गई अनियमितता पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अधीक्षण यंत्री जस के तस पदस्थ हैं।
डीई को हटाते हटाते थक गए विधायक
मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के पूर्व संभाग में पदस्थ रहे अधीक्षण यंत्री आशीष बैन पर गुढ़ विधायक ने कई गंभीर आरोप लगाए। बिजली के खंभे में हेरफेर के आरोप लगे। जांच तक कराई गई। अन्यत्र हटाने तक के लिए पत्र लिखा गया। सीएम तक को गुढ़ विधायक ने पत्र लिखा लेकिन कुछ नहंी हुआ। डीई को पूर्व संभाग से हटाकर पुराने विभाग एसटीसी में पदस्थ कर दिया गया। जांच में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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