रीवा। अवधेश प्रताप ङ्क्षसह विश्वविद्यालय में नियमित शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया अरसे बाद प्रारम्भ हुई है। शीर्ष अधिकारियों की इस ईमानदार कोशिश में भी अब कुछ गड़बड़ी सामने लगी है। वर्तमान में 7 जून को संशोधित हुए नियुक्ति विज्ञापन को लेकर कुछ अभ्यर्थियों को आपत्ति है, जिसके साथ विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन फार्म भरने की तिथि नहीं बढ़ाई। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय ने नियमित शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी मूल विज्ञापन गत 29 मार्च 2022 को जारी किया था। इसके उपरांत 1 अप्रैल को संशोधित विज्ञापन जारी हुआ, जिसमें शारीरिक शिक्षा व जवाहरलाल नेहरू सेंटर के डायरेक्टर, असिस्टेंट डायरेक्टर पद को चिन्हित किया गया। इस संशोधित विज्ञापन में फार्म भरने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2022 दर्शायी गई। इसके बाद 29 अप्रैल को एक सूचना जारी करके विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 10 मई नियत की। तत्पश्चात् 7 जून 2022 को विश्वविद्यालय ने पुन: संशोधित विज्ञापन दिया, जिसमें ईडब्ल्यूएस, दिव्यांग और महिलाओं के लिए आरक्षित पद दर्शाये गए लेकिन इसमें ऑनलाइन फार्म भरने की कोई तिथि नहीं दी गई। अर्थात् इस संशोधन में केवल आरक्षित पद बता दिए ङ्क्षकतु इन आरक्षित पद हेतु नए आवेदन करने अभ्यर्थियों को अवसर नहीं दिया गया, जिसे लेकर वंचित अभ्यर्थियों में नाराजगी है।
आरक्षित पदों के विरूद्ध हुए आवेदन का लौटाना पड़ेगा पैसा
सूत्रों की माने तो नियमानुसार विश्वविद्यालय को संशोधित विज्ञापन के साथ ही ऑनलाइन आवेदन करने का मौका दिया जाना चाहिए। इस बात को लेकर विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारी राजी भी थे परंतु लापरवाही कहां हुई, यह अभी स्पष्ट नहीं है। जबकि मप्र उच्च न्यायालय में भी आवेदन की अवधि बढ़ाने की बात विश्वविद्यालय ने कही है। वहीं, 7 जून 2022 के विज्ञापन के मुताबिक आरक्षित पद के विरूद्ध जो आवेदन हुए हैं, उन अभ्यर्थियों के पैसे लौटाने की प्रक्रिया भी विश्वविद्यालय को आरम्भ कर देनी चाहिए। अब विज्ञापन संशोधित हुए महीना भर होने को है परंतु इस मामले में भी फिलहाल विश्वविद्यालय ने कोई कार्यवाही प्रस्तावित नहीं की है।
क्या दे दी मूक सहमति!
विश्वविद्यालय गलियारों में इन दिनों नियुक्ति संबंधी अन्य कई तरह की बातें हो रही हैं। इसमें ऐसे आधा दर्जन अतिथि विद्वानों को नियमित नियुक्ति मिलना तय माना जा रहा है, जिनके अभिभावक भाजपा-कांग्रेस में गहरी पैठ रखते हैं। इस बाबत शीर्ष अधिकारियों ने मूक सहमति दे दी है, विश्वविद्यालय में यह चर्चा दबी जुबान हो रही है। उक्त बातों में कितनी सच्चाई है, कह नहीं सकते परंतु यदि ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर पहले विश्वविद्यालय वास्तविक योग्यता के पैमाने को तिलांजलि देगा।
ढाई महीने से चल रही प्रक्रिया
उल्लेखनीय है कि नियमित शिक्षकों के रिक्त 57 पदों को भरने की कार्यवाही पिछले ढाई महीने से चल रही है। विश्वविद्यालय ने 17 प्राध्यापक, 21 सह प्राध्यापक व 19 सहायक प्राध्यापक के पदों को भरने की कार्यवाही शुरू की है। अब यदि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने मजबूती और निष्पक्ष तरीके से यह कार्यवाही पूरी कर ली तो विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग को करीब दो दशक बाद बड़ी संख्या में नियमित शिक्षक मिल जायेंगे। बता दें कि विश्वविद्यालय में नियमित शिक्षकों के 76 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 16 ही भरे हैं, शेष 60 पद रिक्त हैं। इसमें भी करीब आधा दर्जन शिक्षक वर्ष 2022-23 तक सेवानिवृत्त होने वाले हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय की अकादमिक स्थिति बिगड़ जायेगी।
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