रीवा। इस वर्ष के श्रावण मास का पहला सोमवार आज 18 जुलाई को है। श्रावण भगवान भोलेनाथ का प्रिय मास है। इस माह में भगवान शिव शम्भू के भक्त उन्हें रिझाने के लिए पूजन-जतन करते हैं। श्रावण मास में सोमवार का भी विशेष महत्व है, इसलिए श्रावण मास के सोमवार के दिन शिवालयों में भक्तों की भीड़ अपेक्षाकृत अधिक रहती है। कई लोग घरों में भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप, रूद्राभिषेक जैसे अन्य अनुष्ठान का आयोजन कराते हैं। इस क्रम में सोमवार को किला परिसर स्थित महामृत्युंजय मंदिर, देवतालाब, कोठी कम्पाउण्ड स्थित शिव मंदिर, उर्रहट स्थित ओंकारेश्वर मंदिर, गैवीनाथ धाम, कष्टहरनाथ सहित जिलेभर के अन्य प्राचीन शिव मंदिरों में सोमवार के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहेगी। उल्लेखनीय है कि 14 जुलाई से श्रावण माह का प्रवेश हो चुका है। इस वर्ष 4 सोमवारों से सुसज्जित श्रावण मास 29 दिवसीय होगा। मान्यता है कि जब जगत नियंत्रा भगवान विष्णु शयन हेतु राजा बलि के लोक, पाताल में गमन करते हैं तब जगत के पोषण की जिम्मेदारी भगवान शिव पर आती है, और यहीं से प्रारंभ होता है श्रावण मास। पौराणिक मान्यताएं भी हैं कि श्रावण मास के दौरान भगवान शिव कैलाश पर्वत से आकर पृथ्वी पर विचरण करते हैं। श्रावण मास में शिव अभिषेक तथा पार्थिव शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व माना गया है।
चार सोमवारों से सजा होगा इस बरस का सावन
इस वर्ष श्रावण माह का आरम्भ 14 जुलाई से हो रहा है। श्रावण मास 29 दिनों का रहकर 12 अगस्त श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगा। पहला श्रावण सोमवार 18 जुलाई को है। इसी तरह दूसरा श्रावण सोमवार 25 जुलाई, तीसरा श्रावण सोमवार 1 अगस्त और चौथा, अंतिम श्रावण सोमवार 8 अगस्त को होगा।
पंचमी तिथि से युक्त होगा यह सोमवार
ज्योतिर्विद राजेश साहनी ने बताया कि आज श्रावण मास का पहला सोमवार पंचमी तिथि से युक्त होगा, जो प्रात: 9 बजे तक संचरण करेगी। पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र दोपहर 12.30 बजे तक रहेगा इसके बाद उत्तरा भाद्रपद का प्रवेश होगा। आज शोभन योग व्याप्त रहेगा, जिसमें शिव पूजा का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों में बताया गया है। श्रावण मास में का अधिपति भगवान शिव को माना गया है तो वहीं सोमवार का दिन ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा के आधिपत्य का होता है। जिसके देवता स्वयं शिव है इस कारण श्रावण मास में सोमवार का शास्त्रों में अत्यधिक महत्व बताया गया है। श्रावण मास के सोमवार का व्रत रहते हुए अभिषेक, शिवपूजन तथा शिवार्चन करने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
महिलाओं के लिये विशेष हैं सोमवार
मान्यता हैं कि श्रावण मास में मां पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त किया था। यही कारण है कि सुहाग के लिए और मनोनुकूल वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी कन्याएं श्रावण मास के सोमवार का व्रत रखते हुए भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करती हैं। इसके अलावा अपने पति की दीर्घायु के लिए भी श्रावण सोमवार के व्रत रखे जाते हैं। श्रावण मास के प्रथम सोमवार से सोलह सोमवार के व्रत का संकल्प भी लिया जाता है।
एक मु_ी कच्चे चावल अर्पित करें
शिव पुराण के अनुसार श्रावण मास के पहले सोमवार को शिवलिंग पर एक मु_ी साबुत कच्चे चावल चढ़ाने से भक्तों के सर्व प्रकार के मनोरथों की सिद्धि होती है। सामान्यत: श्रावण मास के सभी सोमवारों में शिव पूजन का विधान है, परंतु अलग अलग शिव स्वरूपों का भी पूजन विधान शास्त्रों में प्राप्त होता है। सावन के प्रथम सोमवार को महामायाधारी भगवान शिव की आराधना की जाती है। इस प्रकार के शिवपूजन से लक्ष्मी की प्राप्ति, व्यापार में वृद्धि और ऋ ण से मुक्ति मिलती है। प्रात: काल स्नानादि से निवृत्त होकर शिव पूजा एवं सोमवार व्रत का संकल्प करें। पूर्व अथवा उत्तर मुखी होकर दूध, दही, घी एवं पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं अथवा अभिषेक करें। शिवलिंग पर श्वेत अर्क अर्थात् , शमी के पत्ते, बिल्वपत्र, बेल ,भांग ,धतूरा, यज्ञोपवीत तथा वस्त्र अर्पित करें। शिव सहस्त्रनाम, शिव चालीसा, शिव तांडव स्त्रोत अथवा पंचाक्षरी मंत्रों का यथासंभव पाठ करें। तत्पश्चात कपूर से आरती करते हुए शिव पूजन का समापन करें।
शिवलिंग पर ये 10 वस्तुएं चढ़ाने से पूरी होगी मनोकामना
भगवान भोलेनाथ अत्यंत सरल, सहज एवं शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। श्रावण मास में शिव को रिझाने के लिए कोई बहुत बड़े जतन की आवश्यकता नहीं है, श्रद्धा पूर्वक शिवलिंग पर यह 10 वस्तुएं अर्पित करने से भी भगवान की कृपा भक्तों पर बनी रहेगी।
– जल- ताम्रपात्र से एक लोटा जल शिवलिंग पर अर्पित करें। मनुष्य के त्रि-तापों एवं पापों के नाश के लिए इससे सरल एवं सहज उपाय दूसरा नहीं है।
– गौ दुग्ध- सिर्फ इतना ध्यान रखें कि गौ दुग्ध शिवलिंग पर अर्पित किया जाए। शिवलिंग पर अर्पित गौ दुग्ध मानसिक संवेगों को नियंत्रित रखता है। साथ ही अनिष्ट चंद्रमा की शांति भी करता है।
– दही- थोड़ा सा दही शिवलिंग पर श्रद्धा पूर्वक चढ़ा दें। भौतिक समृद्धि एवं भूमि-भवन संबंधी कार्य सहजता पूर्वक बनेंगे।
– मिश्री- कुछ मात्रा में मिश्री नित्य शिवलिंग पर अर्पण करें। संबंधों में कड़वाहट एवं वाद विवाद की स्थिति में बहुत लाभदायक है।
– मधु- श्रावण मास में कुछ मधु अथवा शहद जो कि शुद्ध शिवलिंग पर नित्य अर्पित करें। यह आर्थिक मार्ग को प्रशस्त करेगा।
-चन्दन का इत्र- नाग शिव शंभू का आभूषण है तथा नागों को चंदन प्रिय है। शुद्ध चंदन का ईत्र कुछ मात्रा में शिवलिंग पर अर्पित करने से महा शिव की प्रसन्नता होती है तथा राहु केतु एवं कालसर्प दोष दूर होते हैं।
– बेलपत्र- श्रावण मास में नित्य शिवलिंग पर त्रियुग्म बेल करें। मान्यता है कि बेल में लक्ष्मी का वास होता है। अत: शिवलिंग पर बेल अर्पित करने से शिव के साथ लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है।
– केसर- शुद्ध केसर देवताओं को सर्वाधिक प्रिय है। शिवलिंग पर केसर के कुछ कण श्रावण मास में चढ़ाने से शिव की प्रसन्नता होती है।
– भांग- शिवलिंग पर श्रावण मास में भांग चढ़ाने से मानसिक विकार दूर होते हैं तथा भगवान शिव की प्रसन्नता भी।
– भस्म- शिव शंभू भस्म धारी हैं। एक चुटकी भस्म शिवलिंग पर चढ़ाने से आध्यात्मिकता और अतींद्रिय शक्ति का विकास होता है।
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