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सतना. एक युवक अपनी बीमार मां को सब्जी के ठेले में लेकर इलाज कराने सद्गुरु जानकीकुंड चिकित्सालय पहुंचा। इलाज कराने के बाद ठेले में ही लेकर घर लौटा। इस दौरान उसकी 8 साल की मासूम भी ठेले में धक्का लगाती रही। यह दृश्य है चित्रकूट का। सीतापुर उप्र निवासी उमाशंकर ने बताया कि उसकी वृद्ध मां को पैर में चोट लगी है। इसकी वजह से वह चलने-फिरने में असमर्थ है।
मंगलवार को तकलीफ बढ़ गई तो अस्पताल में इलाज कराने का निर्णय लिया। घर की माली हालत ऐसी नहीं थी कि किराए का वाहन बुलाया जा सके। लिहाजा सब्जी के ठेले में ही मां को लेकर जानकीकुंड चिकित्सालय मप्र पहुंचा। वहां इलाज कराने के बाद वह बीमार मां को फिर सब्जी के ठेले में लेकर वापस घर लौटा।
एकीकृत रेफरल सेवा की ठेका कंपनी जय अंबे इमरजेंसी हेल्थ सर्विसेज की बड़ी लापरवाही सामने आई है। धर्म की नगरी चित्रकूट में 108 का प्वाइंट ही नहीं है। इस क्षेत्र में चित्रकूट की जगह बरौंधा में 108 खड़ी की जाती है। जय अंबे के डिस्ट्रिक मैनेजर प्रशांत पाण्डेय ने बताया कि नेटवर्क की समस्या के चलते चित्रकूट की बजाय बरौंधा में 108 खड़ी की जा रही है।उमाशंकर उप्र का रहने वाला है लेकिन बीमार मां का इलाज कराने मप्र पहुंचा। सीतापुर से अस्पताल की दूरी 2 किमी है।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और तस्वीरें धर्म की नगरी चित्रकूट की हकीकत को बयां कर रही है। दो राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में मरीजों की रेफरल सेवा की सच्चाई को भी सामने ला रही हैं। इस दौरान कोई संगठन सामने नहीं आया।स्वास्थ्य विभाग द्वारा एकीकृत रेफरल सेवा के प्रचार-प्रसार के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। हकीकत यह है कि लोगों को ऐसी किसी सुविधा के संचालित होने की जानकारी ही नहीं है। बीमारी बुजुर्ग महिला के बेटे उमाशंकर को भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी। पीड़ित को प्रबंधन से भी मदद नहीं मिली।