वीरेंद्र सिंह सेंगर (बबली)।
शासन और प्रशासन का चोली दामन का साथ है। प्रशाशनिक अधिकारियों को अपनी कुर्सी बचानी होती है और माननीयों को अपना वर्चस्व बनाना होता है। इन दोनो के बीच वह कर्मचारी पिस कर रह जाता है, जो जिस पद का असली हकदार होता है। प्रदेश में भाजपा की सत्ता है और भाजपाईयों की चांदी कट रही है। दूसरे राजनैतिक दल के या फिर जिन पर राजनैतिक साया नहीं होता उनकी नौकरी तीर की शूल पर रखी हुई है। लोक निर्माण विभाग संभाग क्रमांक 1 में सहायक मान चित्रकार अमोल सिंह चौहान राजनैतिक घराने से तालुक रखते है। शायद राजनीति के ही दम पर वह लोनिवि की चौखट में कदम रखें है। उनके पिता अर्जुन सिंह चौहान भाजपा के नेता होने के साथ ही सुधार न्यास के अध्यक्ष भी रह चुके। वर्तमान समय में भाजपा का ही दौर चल रहा है तो ऐसे में सहायक मान चित्रकार अमोल सिंह चौहान का लोनिवि संभाग क्रमांक 1 हीरो बनना लाजिमी है। राजनीति के साये में मुख्य अभियंता लोनिवि परिक्षेत्र रीवा एम के नायक ने ऐसा आदेश जारी कर दिया कि वह चर्चा का विषय तो बना ही साथ ही उसकी शिकायत लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव तक की गई। लोनिवि रीवा कार्यालय का चर्चित यह आदेश कोई पहला आदेश नहीं है, इसके पहले भी कार्यपालन यंत्री द्वारा कई ऐसे आदेश निकाले गये जो सुर्खियों में रहे हैं। लेकिन 27 दिसबंर 21 को मु य अभियंता एमके नायक के आदेश ने सारे नियम कायदों को दर किनार कर वरियता सूची के सरल क्रमांक 18 वें पायदान में बैठे सहायक मानचित्रकार अमोल सिंह चौहान को मानचित्रकार की कुर्सी में बैठा दिया। जिसकी गूंज भोपाल मंत्रालय तक जा पहुंची। मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा इकाई रीवा ने मंत्रालय वल्लभ भवन लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर मु य अभियंता सहित कार्यपालन यंत्री के कारनामों की शिकायत की है।
मजे की बात तो यह है कि रिक्त पड़े मानचित्रकार के पद पर कार्यपालन यंत्री केके गर्ग ने दो वरिष्ठ सहायक मान चित्रकार रमेश सिंह वरियता क्रमांक 1 एंव श्रीनिवास साकेत वरियता क्रमांक 6 को सपने दिखाते हुये मानचित्रकार पद पर कार्य किये जाने के लिए सहमति पत्र मांगा था। दिलों में सपने संजोते हुये दोनो ही वरिष्ठ सहायक मानचिकारों ने 8 नवबंर 21 को कार्यपालन यंत्री को सहमति पत्र देते हुये 12 दिसबंर को मु य अभियंता की टेबिल में भी अपने सहमति पत्र रख दिये। दोनो ही वरिष्ठ सहायक मानचित्रकारों के सपने उस समय चूर-चूर हो गये जब एक राजनैतिक फोन पर अधिकारियों ने सहमति पत्र को डस्टविन में डालते हुये वरियता सूची के 18 वें पायदान पर बैठे हुये अमोल सिंह चौहान को मानचित्रकार की कुर्सी सौंपते हुये 27 दिसंबर 21 को आदेश जारी कर दिया।
कार्यपालन यंत्री केके गर्ग की मेहरबानी अमोल सिंह चौहान पर कोई पहली बार नहीं दिखाई गई है। इसके पहले भी कार्यपालन यंत्री सहायक मान चित्रकार अमोल सिंह चौहान के साथ दरियादिली दिखा चुके हैं। मप्र अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि राजनैतिक दबाव में आकर कार्यपालन यंत्री केके गर्ग ने सहायक मानचित्रकार अमोल सिंह चौहान को 21 सितबंर 21 के दिन उपयंत्री के पद से नवाज दिया। इतना ही नहीं उनको बीड़ा एंव बनकुईयां उपखंड का उपयंत्री भी बना दिया। इस बात की शिकायत जब भोपाल प्रमुख सचिव से की गई तो मंत्रालय ने 8 अक्टूबर 21 को कार्यपालन यंत्री के आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। इतना ही नहीं कार्यपालन यंत्री को मु य अभियंता भोपाल ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। उसके बाद भी कार्यपाालन यंत्री सहायक मानचित्रकार अमोल सिंह चौहान पर कृपा बरसा रहे हैं जो सोच का विषय है?
मप्र अधिकारी, कर्मचारी संयुक्त मोर्चा रीवा इकाई द्वारा मुख्य अभियंता एंव कार्यपालनयंत्री पर लगाये आरोप के संबंध में जब उनका पक्ष जानने के लिए दूरभाष पर कई बार संपर्क करना चाहा परंतु मुख्य अभियंता ने फोन नहीं उठाया। तत्पश्चात उनके वाटसअप मैसेज भी पोस्ट किया गया। जिस पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की।
0000000000
सभी ताजा खबरें पढ़ने के लिए कृपया जरूर जुड़े🙏
Join Now