रीवा। जब से प्रभारी महापौर के रूप में व्यंकटेश पांडेय ने नगर निगम में कांग्रेस शासन काल में भाजपा के लिए लड़ाई लड़ी और जिस प्रकार से उन्होंने पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के लिए आगे आकर लड़ाई लड़ी, तब से भाजपा की ओर से जनता महापौर प्रत्याशी के रूप में व्यंकटेश पांडेय को ही कंफर्म मान रही थी, हो भी क्यों न पूर्व मंत्री भाषणों में भी पूर्व प्रभारी महापौर कह उन्हें संबोधित करते और कहते की वह आगे भी जनता के लिए नगर निगम में इसी तरह से खड़े रहेंगे, इन इशारों के मतलब यही निकाले जा रहे थे कि पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला इस वर्ष महापौर प्रत्याशी के रूप में व्यंकटेश पांडेय को ही आगे करेंगे। बता दें कि व्यंकटेश पांडेय भी पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ भाजपा के लिए कार्य कर रहे थे वह पूर्व मंत्री के साथ छोटे से छोटे बड़े कार्यक्रमों में देखे जा रहे थे और जनता के बीच पहुंच रहे थे। जनता के मन भी यही था कि इस वर्ष महापौर प्रत्याशी के रूप में भाजपा उन्हें ही उतारेगी लेकिन अंतिम में भाजपा ने महापौर प्रत्याशी के रूप में प्रवोध व्यास को चुन लिया। पहले तो हल्ला यह था कि सांसद जर्नादन मिश्रा व स्थानीय पार्टी व संगठन की पसंद पर प्रवोध व्यास को टिकट दी गई है लेकिन मीडिया सूत्र बताते है कि यह सब अफवाहें ही थी, पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने ही प्रवोध व्यास को टिकट दिलाई है, इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए गारंटी भी दी है कि वह इन्हें विजय भी दिलाएंगे। इस खबर के सामने आने के बाद अब कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं, कोई कह रहा है कि भाजपा ने महापौर प्रत्याशी व्यंकटेश पांडेय को न चुनकर गलती की है तो कोई पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के गारंटी वाली बात का मखौल उड़ा रहा है। फिलहाल अब प्रवोध व्यास के कंधे पर ही जिम्मेदारी है। मीडिया सूत्रों की माने तो कुछ और भी महापौर प्रत्याशी गारंटी में टिकट लेकर आगे आए हैं, उनकी सूची और जानकारी इस प्रकार है।
अब अध्यक्षी की बात
बता दें कि व्यंकटेश पांडेय को महापौर प्रत्याशी के लिए टिकट नहीं मिलने के बाद कई तरह की चर्चाएं हो रही है, कहा जा रहा है कि पहला तो उन्हें टिकट न दिया जाकर गलत किया गया है लेकिन अब समर्थक यह कह रहे है कि उन्हें अध्यक्ष पद नगर निगम में दिया जाएगा लेकिन इसको लेकर भी अभी से अड़ंगे वाली बाते होने लगी है पार्टी के कुछ कार्यकर्ता ही कह रहे हैं कि महापौर यदि भाजपा का होता है और वह सामान्य कोटे से है तो निगम अध्यक्ष सामान्य कोटे से नहीं होगा, क्योंकि संगठन इसी प्रकार से निर्णय लेता है।
व्यास पर भी उठ रहे सवाल
वहीं प्रवोध व्यास को टिकट मिलने के बाद वह सीधा पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के घर पहुंचे और मुलाकात की, इसके बाद वह भाजपा कार्यालय गए, इसके अलावा अभी तक उनकी फोटो किसी वरिष्ठ लीडर के साथ नहीं आई, मीडिया रिपोर्ट्स में इसे गुटबाजी कहा जा रहा है, मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो गुटबाजी खुलकर दिख रही है।
ढ़ाई साल का रहा कार्यकाल!
बता दे कि बीच में ढ़ाई साल चुनाव न होने से प्रशासक के हाथ निगम की कमान रही लेकिन इस बीच नगर निगम के निर्णयों में व्यंकटेश पांडेय का ही हस्तक्षेप रहा, चर्चाओं में यही कहा जाता रहा कि निगम के महापौर व्यंकटेश पांडेय ही हैं, नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी भी उनकी शरण में जाते रहे, लेकिन अब टिकट न मिलने के बाद से उनके कार्यकाल को समाप्त बताया जा रहा है, कहा जा रहा है कि अब नए महापौर आएंगे।
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