रीवा। स्थानीय रेलवे स्टेशन में रेल कोच रेस्टारेंट की स्थापना नहीं हो सकी है। जबकि सतना के बड़े ठेकेदार को 6 महीने पहले टेंडर मिल चुका है, फिर भी यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। मौजूदा हालात को देखते हुए अभी अगले एक-दो महीने तो रेलकोच रेस्टारेंट शुरू होने की उम्मीद भी नहीं दिख रही। गौरतलब है कि पश्चिम मध्य रेलवे ने जबलपुर मंडल के आधा दर्जन स्टेशन में रेलकोच रेस्टारेंट संचालित करने 6 महीने पहले टेंडर कार्यवाही की थी। इसके बाद अप्रैल महीने में रीवा रेलवे स्टेशन के पार्किंग क्षेत्र में आईसीएफ केटगरी का पुराना कोच रेल प्रशासन ने दिया। इस पुराने कोच की सफाई करने के बाद रेस्टारेंट के हिसाब से सजाने-संवारने का काम ठेकेदार को करना था, जो अब तक नहीं हुआ। बता दें कि इस अनुबंध के तहत पमरे को रीवा के रेलकोच रेस्टारेंट से सालाना 6 लाख 57 हजार रूपये मिलने हैं। इस बाबत पमरे ने निजी एजेंसी से 5 साल का अनुबंध किया है परंतु इस रेस्टारेंट में यात्रीगणों को चाय-नाश्ते का लुत्फ कब मिलेगा, इस पर संशय पैदा होने लगा है।
मरम्मत कर नये रूप में किया परिवर्तित
उल्लेखनीय है कि पहले सभी यात्री टे्रन में आईसीएफ प्रणाली के रेल कोच लगे होते थे। पिछले 3 सालों में रेलवे ने रेलकोच की तकनीकी में विस्तार किया है और इन 3 सालों में कुछ यात्री टे्रन में अत्याधुनिक एलएचबी प्रणाली के कोच लगाये जाने लगे हैं। रीवा स्टेशन की भी आनंद विहार, केवडिय़ा टे्रन व रेवांचल में एलएचबी कोच लग चुके हैं। बहरहाल, यात्री टे्रन में एलएचबी कोच लगने से पुराने आईसीएफ कोच बेकार होने लगे थे। इन आईसीएफ कोच की नये सिरे से मरम्मत कर उसे रेल कोच रेस्टारेंट के रूप में विकसित किया गया है। अर्थात् पुराने रेल कोच में बदलाव कर रेल प्रशासन ने आमदनी का नया रास्ता निकाल लिया है।
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