रीवा। रीवा के जंगल वन्यजीवों से गुलहार हो गए हैं। यहां बाघ और तेंदुओं के निशान मिले हैं। 12 1 हजार 289.01 किमी के जंगल में 0.009 किमी में बाघ के निशान मिले हैं। तेंदुओं की भरमार सामने आई है। इनकी एनकाउंटर रेट 0.086 है। इन आंकड़ों ने रीवा के जंगलों को वन्यजीवों से हरा भरा कर दिया है। राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर ने रीवा वनमंडल के वन्यप्राणी गणना 2018 के आंकड़े जारी किए हैं। वनमंडल का अखिल भारतीय बाघ आंकलन वर्ष 2018 के अनुसार मांसाहारी वन्यप्राणियों के साक्ष्यों का इनकाउंटर रेत प्रति किलोमीटर एवं शाकाहारी वन्यप्राणियों के प्रतिवर्ग किलोमीटर घनत्व का आंकलन किया गया था। अब यह आंकड़ा जारी कर दिया है। राज्य वन अनुसंधान से जारी किए गए आंकड़े रीवा के जंगलों के लिए राहत भरे हैं। यहां वन्यजीवों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है। 8 वन रेंजों का कुल वन क्षेत्र 1289.01 किमी है। इन जंगलों के हिसाब से वन्यजीवों के मिले पदचिन्हों के आधार पर आंकड़े जारी किए गए है। इसमें बाघ के भी निशान मिले हैं। अतरैला, रीवा और सेमरिया में बाघ की मौजूदगी बताई गई है। 1289.01 किमी की तुलना में 0.009 किलोमीटर में बाघ की मौजूदगी बताई गई है। वहीं तेंदुओं की संख्या बाघ से ज्यादा है। बाघ प्रति 0.086 किलोमीटर में मौजूदगी मिली। रीवा के जंगलों में मंगूस, वोल्फ, जंगली बिल्ली, सोन कुत्ता, गोल्डेन जैकॉल, इंडियन फॉक्स, स्ट्रिप्ड हायना भी काफी संख्या में मिले हैं । इसकी पुष्टि वन अनुसंधान के आंकड़ों से हुआ है।
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मांसाहारी वन्यप्राणियों के साक्ष्यों का प्रति किलोमीटर एनकाउंटर रेट
प्रकार अतरैला चाकघाट डभौरा हनुमना मऊगंज रीवा सेमरिया सिरमौर योग
टाइगर 0.006 — — — — 0.017 0.049 — 0.009
तेंदुआ 0.268 0.043 0.038 0.025 — 0.023 0.264 0.037 0.086
सोन कुत्ता0.006 — — — — — — — 0.001
जैकॉल 0.230 0.458 0.364 0.222 1.274 0.141 0.188 0.206 0.271
फॉक्स 0.045 0.193 0.013 0.025 0.255 0.045 0.007 0.050 0.054
जंगल कैट0.006 0.029 — 0.029 0.073 — — 0.021 0.015
हायना 0.083 0.444 0.063 0.163 0.400 0.232 0.278 0.144 0.196
वोल्फ — 0.021 0.019 — — — 0.007 — 0.005
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शाकाहारी वन्यजीवियों की भी रीवा जिला में बहार
वन्यप्राणी गणना 2018 के अनुसार रीवा में शाकाहारी वन्यजीवों की भी भरमार है। यहां यदि इनके जनसंख्या की बात करें तो चीतल, सांभर की संख्या जीरो है। कैटल की संख्या 5035 के आसपास है। लंगूर 8879 और वाइल्ड पिग 5 हजार 46 के करीब है। नीलगाय की संख्या सर्वाधिक है। इनकी संख्या करीब 21 हजार 613 से अधिक आंकी गई है। ब्लैक बक भी हैं। यह 224 से ज्यादा है। बार्किंग डीयर, चिंकारा और गौर की संख्या निल है।
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