रीवा। जिले के 6 ब्लॉक के 26 गांवों को मलेरिया का हाई रिस्की क्षेत्र माना गया है। मलेरिया विभाग के सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। मादा एनाफिलिज मच्छर का प्रकोप यहां पर ज्यादा है। मलेरिया के मरीज भी यहां पर दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। जिसे इसे हाई रिस्क में रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे इलाकों पर नजर बनाए रखने के सख्त निर्देश जारी कर रखे हैं। गौरतलब है कि बारिश का मौसम आते ही मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है। इस वर्ष मानसून के पहले ही हुई बारिश के बाद मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। लिहाजा मलेरिया, डेंगू समेत चिकनगुनिया आदि बीमारियों के मरीज भी बढ़ जाते हैं। मच्छर जनित बीमारी की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अलग से मलेरिया विभाग बना रखा है। जिसका काम सिर्फ और सिर्फ मच्छरों को समाप्त करना है, हालांकि पूर्व में रहे अधिकारियों की अपेक्षा अब थोड़ा सुधार विभाग में हुआ है लेकिन इसे भी पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। धीरे-धीरे स्थिति नियंत्रण में लाई जा रही है। आलम यह है कि शहरी क्षेत्र में ही मलेरिया का प्रकोप बढ़ता जा रहा है तो ग्रामीण अंचल का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिले के 26 गांवों को मलेरिया का हाई रिस्क क्षेत्र माना गया है। यहां मलेरिया की रोकथाम को लेकर दावाओं के छिड़काव सहित अन्य व्यवस्थाएं बनाई जा रही है।
त्योंथर ब्लॉक में सबसे ज्यादा गांव
जिले के 6 ब्लॉक के 26 गांव को मलेरिया का हाई रिस्क क्षेत्र माना गया है। इसमें सबसे ज्यादा त्योंथर में 7 गांवों को हाई रिस्क में रखा गया है। खरिहानी, लेडा, नेगुरा, उंचीअउनी, गोडसर, डोधक, परसादी गांव शामिल है। गंगेव मे सिरसा व मढ़ी कलां गांव, सिरमौर में मझिगवां, ककरेड़ी, बम्हौरी, व मैनहा गांव, नईगढ़ी में नौउआ व मिनहा सहित दसौहा 468 गांव शामिल हैं। मऊगंज में नगरीय क्षेत्र का वार्ड 5 व 6 सहित मुदारिया कप्सन, सोनवर्षा सहित हनुमना के वार्ड क्रमांक 2 सहित दुबगवां, धावा तिवरियान, नयागांव, वार्ड क्रमांक 13 व गौरी बंधवा गांव शामिल हैं।
मलेरिया के लक्षण
– शरीर का उच्च तापमान (बुखार)
– सिरदर्द
– पसीना आना
– ठंड लगना
– उल्टी व दस्त होना
– मांसपेशियों में दर्द होना
– आम तौर पर अस्वस्थ महसूस करना
मलेरिया से बचाव के उपाय
– आस-पास के स्थानों में पानी जमा न होने दें।
– सोते वक्त मच्छरदानी का उपयोग करें।
– मलेरिया के लक्षण समझ में आते ही चिकित्सक के पास जाएं।
– गर्भवती महिलाओं और बच्चों को मलेरिया प्रभावित क्षेत्र में न जाने दें।
– अपने आस-पास गंदगी न फैलने दें।
– डीडीटी का छिड़काव करें।
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वर्जन
जिन गांवों में हाई रिस्क है, उनमें मलेरिया स्तर घटाने के लिए शासन की योजना अनुसार काम किया जा रहा है। पिछले वर्षों में मलेरिया का ग्राफ घटा है। ज्यादा प्रभावित गांव भी इसकी गिरफ्त से बाहर हुए है।
स्मिता नामदेव, जिला मलेरिया अधिकारी रीवा।
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