This is also a big reason for the removal of the Principal of Rewa Engineering College! This was also removed
विंध्य वाणी, रीवा। राज्य शासन द्वारा रीवा सहित प्रदेश के तीन शासकीय इंजीनियरिंग कालेजों में प्राचार्य के प्रभार के संबंध में 20 दिसम्बर 2024 को आदेश जारी किया गया है। उपसचिव तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग की उपसचिव अंजली जोसफ द्वारा जारी किये आदेशानुसार इंजीनियरिंग कालेज रीवा का प्राचार्य डॉ. डी. के. सिंह प्राध्यापक भूविज्ञान को बनाया गया है।
राज्य शासन ने लगभग 7 साल से प्रभारी प्राचार्य के रूप में अंगदपांव बन अनियमितताओं की इबारत के लिये सुर्खियां बटोर रहे डॉ. बी.के. अग्रवाल को जोर का झटका धीरे से दिया है। उनके संबंध में पृथक से कोई आदेश-निर्देश नहीं हुआ है नतीजतन माना जा रहा है कि डॉ. अग्रवाल जीईसी रीवा में प्रोफेसर की हैसियत से कार्य करते रहेंगे। डॉ. अग्रवाल सिविल विभाग के प्राध्यापक हैं। डॉ. अग्रवाल के कार्यकाल में करोड़ों का एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) घोटाला प्रबंधन के सर चढ़कर बोला जिसकी गूंज अनुगूंज राजधानी भोपाल तक पहुंची। शिकायती प्रकरण में जांच संस्थित है। जांच का प्रत्यक्ष नतीजा सामने नहीं आया है किन्तु प्राचार्य की कुर्सी पर शासन द्वारा किया गया बदलाव इस बात का संकेतक है कि तकनीकी शिक्षा विभाग ने प्रथमदृष्टया यह मान लिया है कि डॉ. अग्रवाल दूध के धुले नहीं हैं।
यह भी हो सकता है कि मुकम्मल निष्पक्ष व पारदर्शी जांच के लिये डॉ. अग्रवाल को प्रभारी प्राचार्य के प्रभार से हटाना जरूरी समझा गया हो इसलिए डॉ. डी. के. सिंह कोप्रभार सौंपने का आदेश जारी किया गया है। श्री सिंह पूर्व में भी सालों प्रभारी प्राचार्य रहे हैं,फलतः उनको प्रबंधन तथा प्रशासन का अनुभव है।
वसूली के चाबुक से बच नहीं पायेंगे
उल्लेखनीय है कि इंजीनियरिंग कालेज रीवा के प्रभारी प्राचार्य डॉ. अग्रवाल पर लगाये गये अनियमितताओं के आरोपों की प्रकृति के मद्देनजर विभाग के ही लोग मान रहे हैं कि निकट भविष्य में उन पर शासन स्तर से वसूली का चाबुक चल सकता है। कालेज प्रबंधन के खिलाफ आयुक्त रीवा संभाग तथा आयुक्त तकनीकी शिक्षा से विभिन्न माध्यम से शिकायत की गई थी कि प्रभारी प्राचार्य द्वारा प्राध्यापकों सहित कर्मचारियों के वेतन से काटी जाने वाली 10 प्रतिशत राशि तथा शासन द्वारा प्रदत्त 14 प्रतिशत राशि को महाविद्यालय के चालू खाते में कई महीने तक होल्ड करके रखा जाता है जो नियमविरुद्ध है। नियमतः इस राशि को तत्काल संबंधित प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों के एनपीएस खाते में जमा कर देना चाहिए था। लगभग 7 साल से यह खेल चल रहा है। जीईएस रीवा में प्राध्यापक सहित 30 कर्मचारी हैं जिनके वेतन से प्रतिमाह 9-10 लाख रुपये की कटौती उनके एनपीएस खाते में जमा करने के लिए की जाती है। उस पर शासन 14 प्रतिशत राशि पृथक से जमा करने को उपलब्ध कराता है। कालेज प्रबंधन 3 से 8 माह तक लाखों की राशि कालेज के चालू खाते में होल्ड रखता है। आशय स्पष्ट है कि मोटा ब्याज प्रबंधन एवं उसके सिपहसलार डकार रहे हैं। शिकायती आरोपों की आयुक्त तकनीकी शिक्षा तथा आयुक्त रीवा संभाग द्वारा अपने-अपने स्तर से कराई गई। प्राचार्य के प्रभार में परिवर्तन से कयास लगाया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट प्रस्तुत हो चुकी है, तभी शासन स्तर से यह एक्शन लिया गया है।