रीवा। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्रों से अब रेग्युलर सेवाएं नहीं ले पाएंगे। सीनियर डॉक्टर पीजी छात्रों को बिना छुट्टी दिए दिन रात सेवाएं लेते थे। इस समस्या के कारण पीजी छात्र मानसिक तनाव में जा रहे थे। नेशनल मेडिकल कमीशन ने इस स्ट्रेस से बाहर निकालने के लिए पीजी छात्रों के लिए खास व्यवस्था के निर्देश कॉलेज के डीन को दिए हैं। इस पर अमल के साथ ही जानकारी रेग्युलर रूप से एनएमसी को देने के निर्देश जारी किए गए हैं। ज्ञात हो कि सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है। सीनियर डॉक्टरों संख्या सीमित है। रीवा मेडिकल कॉलेज से संबंध संजय गांधी अस्पताल के भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। यहां सीनियर डॉक्टर सिर्फ राउंड पर ही आते हैं। मरीजों के लिए हर समय पीजी छात्र ही मौजूद रहते हैं। इनके कंधों पर ही अस्पताल टिका हुआ है। सीनियर डॉक्टर पीजी छात्रों से दिन रात सेवाएं लेते हैं। छुट्टियां भी नहीं देते। लगातार काम करने से पीजी छात्र तनाव और मानसिक अवसाद में पहुंच गए हैं। कई मानसिक बीमारी से भी जूझ रहे हैं। इस तरह की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। पीजी छात्रों के साथ यह परेशानी सिर्फ रीवा मेडिकल कॉलेज में ही नहीं है। देश और प्रदेशभर में है। यही वजह है कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने पीजी छात्रों का स्ट्रेस दूर करने के लिए और उन्हें मानसिक तनाव से निकालने के लिए अहम निर्णय लिया है। इस निर्णय पर जल्द से जल्द अमल करने का निर्देश कॉलेज के डीन को भी दिया है।
एनएमसी ने यह लिया है निर्णय
एनएमसी का मानना है कि पीजी मेडिकल स्टूडेंट तनाव और स्टे्रस में चले गए हैं। इसके पीछे वजह लॉग वर्किंग ऑवर एवं सप्ताह में एक भी दिन की छुट्टी नहीं दिया जाना है। एमरेंसी बताकर छुट्टी की स्वीकृति नहीं करना है। पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड की एक बैठक 28 जून को आयोजित की गई थी। इस बैठक में तय किया गया है कि सभी मेडिकल कॉलेज में पढऩे वाले पीजी मेडिकल स्टूडेंट को मानसिक राहत देने के उपाय किए जाएंगे। मानसिक रेस्ट, वीकली अवकाश और काउंसलिंग की व्यवस्था की जाएगी। पीजी छात्रों का स्ट्रेस दूर किया जाएगा। योग सेशन अरेंज किया जाएगा। जब भी जरूरत होगी छुट्टियां स्वीकृत की जाएंगी। पॉजिटिव इन्वायरमेंट काम के लिए बनाया जाएगा। पीजी स्टूडेंट की शिकायतों के निराकरण के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। ड्राप बाक्स लगाया जाने के भी निर्देश दिए गए हैं। इस ड्राप बाक्स में पीजी स्टूडेंट शिकायतें डाल सकेंगे। एनएमसी ने कहा है कि इस मामले में मेडिकल कॉलेज एक्शन ले और उसकी रिपोर्ट मेडिकल नेशनल मेडिकल कॉमीशन को रेग्युलर उपलब्ध कराएं। सुसाइड, लिंग पक्षपात, महिलाओं के अपमान की घटनाओं की भी जानकारी दी जाए।
करीब 300 पीजी डॉक्टर भी जूझ रहे
श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में भी पढ़ रहे पीजी छात्रों के ऊपर दबाव अधिक है। यहां पढऩे वाले पीजी स्टूडेंट लगातार काम करते हैं। कोविड के दौरान इन्हें एक भी दिन की छुट्टियां नहीं मिली थी। अधिकांश डॉक्टर दो से तीन मर्तबा पॉजिटिव आए थे। अब भी हालात नहीं बदले हैं। ओपीसी से लेकर आईपीडी तक की सेवाएं पीजी छात्रों के भरोसे ही चल रही हैं। मेडिकल कॉलेज की एमरजेंसी कक्ष में पीजी ही मौजूद रहते हैं। मेडिसिन की ओपीडी और आईपीडी पूरी तरह से पीजी के भरोसे ही चलती है। इनसे दोगुना काम लिया जाता है। सीनियर डॉक्टर मानसिक रूप से प्रताडि़त करने के साथ ही दोहरा काम लेते हैं।
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