रीवा। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में पदस्थ लिपिक के फर्जी नियुक्ति की शिकायत पर कमिश्नर ने डीई लेटर जारी कर दिया है। डीन के नाम से पत्र जारी कर रिपोर्ट मांगा गया है। डीन ने कमिश्नर के पत्र पर तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। तीन दिन में जांच रिपोर्ट तलब की गई है।
ज्ञात हो कि श्यामशाह मेडिकल कालेज में पदस्थ कर्मचारी विनोद सेन पुत्र भैयालाल सेन की नियुक्ति को लेकर अब तक कई शिकायतें हुई। भोपाल से लेकर संभागीय कमिश्नर कार्यालय तक शिकायतें की गई। शिकायत पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। कमिश्नर कार्यालय रीवा और भोपाल से पत्राचार हुए लेकिन जांच दबा दी गई। जवाब नहीं भेजा गया। यही वजह है कि अब जाकर कमिश्नर कार्यालय रीवा से डीओ लेटर जारी किया गया है। लिपिक विनोद सेन के मामले में भी कमिश्नर ने डीई लेटर डीन के नाम से जारी किया है। कमिश्नर के डीई लेटर जारी करने के बाद हड़कंप मचा है। डीन ने तीन सदस्यीय कमेटी भी बना दी है। टीम जांच रिपोर्ट तैयार कर रही है। उम्मीद है कि एक या दो दिन में रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दी जाएगी। डीई लेटर के बाद से उम्मीद है कि लंबे समय से दबाई जा रही जांच में कुछ कार्रवाई आगे बढ़ पाएगी।
यह है शिकायत
लिपिक विनोद सेन के खिलाफ शिकायत है कि उनकी नियुक्ति दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में 10 जुलाई 1986 को तत्कालीन कार्यवाहक अधिष्ठाता डॉ. टीएस त्रिपाठी ने की थी। यह नियुक्ति महज 89 दिन के लिए कलेक्टर दर पर की थी। चार साल के अंदर ही 4 अक्टूबर 1990 को कार्यवाहक अधिष्ठाता ने दैनिक वेतनभोगी की नियुक्ति निम्न श्रेणी लिपिक के पद पर स्थाई तौर पर कर दी गई थी।
जांच में हीलाहवाली
लिपिक की अवैध नियुक्ति को लेकर भोपाल सहित रीवा कमिश्नर ने भी जांच के निर्देश दिए हैं। हालांकि इस मामले में श्याम शाह मेडिकल कॉलेज प्रबंधन हीलाहवाली करता रहा। पुरानी जांच रिपोर्ट कमिश्नर को प्रस्तुत नहीं की गई है। इसके अलावा भोपाल से मांगी गई जानकारी को लेकर भी लापरवाही बरती गई। कई जांच पहले ही पेडिंग थी। इसी का नतीजा है कि कमिश्नर को डीओ लेटर जारी करना पड़ा।
क्या है डीओ लेटर
डीओ तब जारी किया जाता है जब मामला गंभीर होता है। किसी शिकायत या जानकारी के लिए यदि अधिकारियों के पत्र का जवाब नहीं दिया जाता। रिमाइंडर भेजे जाने के बाद भी टालमटोल किया जाता है, तब डीओ लेटर जारी किया जाता है। इसमें पत्र अद्र्धशासकीय जारी होता है। यानि संबंधित अधिकारी के नाम से डायरेक्ट पत्र भेजा जाता है। इसमें अधिकारी की जिम्मेदारी तय हो जाती है।
अब तक कितने पहुंचे जांच के पत्र
– संयुक्त आयुक्त ने 29 नवंबर 2020को 10 दिन में जांच प्रतिवेदन मांगा गया।
– कमिश्नर ने 14 अक्टूबर को पत्र लिखकर 15 दिवस में रिपोर्ट मांगी।
– 24 जुलाई 2020 को संचालक चिकित्सा शिक्षा ने 7 दिन में जांच प्रतिवेदन मांगा।
– 26 सितंबर 2020 को कमिश्नर ने डीन से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी।
– 18 दिसंबर 2020 को डिप्टी कमिश्नर ने 7 दिवस में जांच कर रिपोर्ट मांगी।
– 31 अगस्त 2021 को कमिश्नर रीवा ने पत्र क्रमांक तीन/स्था/1/2021/2538 में 7 दिन में रिपोर्ट मांगी है।
तीन लोगों की कमेटी बनाई गई है
डीन ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। इसमें प्रशासनिक अधिकारी मुकेश तिवारी, डॉ संदीप सिंह, डॉ अवतार ङ्क्षसह की कमेटी बनाई गई है। कमेटी के सदस्यों को जांच कर जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।
कमिश्नर कार्यालय से पत्र आया है। जांच कमेटी बना दी गई है। जांच कमेटी से प्रतिवदेन मिलने के बाद कमिश्नर के पास भेजा जाएगा।
डॉ देवेश सारस्वत
डीन, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा
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