वर्चस्व की लड़ाई में घायल संजय टाइगर रिजर्व के बाघ टी-22 को मुकुंदपुर-जू भेजा गया है। एक सप्ताह पूर्व वह घायल अवस्था में मिला था। दो दिन दुबरी परिक्षेत्र में कैंप में पिंजरे में रखकर उपचार किया जा रहा था, लेकिन बाघ के आगे के दौ पैरों व पंजे में गंभीर चोंट होने के कारण उसे समुचित स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए मुकुंदपुर जू भेज दिया गया है।
nn
विभागीय अधिकारियों के अनुसार बाघ टी-22 जब घायल अवस्था में वन क्षेत्र में मिला था तो वह खड़े हो पाने की स्थिति में नहीं था। संजय टाइगर रिजर्व के चिकित्सकों द्वारा उसका उपचार तो किया जा रहा था, लेकिन व्यवस्थित तरीके से उपचार हो इसके लिए अधिकारियों द्वारा बाहर भेजे जाने का निर्णय लेते हुए वरिष्ठ कार्यालय से अनुमति से लेकर उसे मुकुंदपुर भेज दिया गया है।
nn
इधर अधिकारियों के कयास के अनुसार बाघ टी-22 की लड़ाई बाघ टी-27 से होने आशंका जताई जा रही है। यह कयास लगाए जा रहे हैं कि जब बाघ टी-22 को इतनी चोंटे आई हैं तो बाघ टी-27 भी लड़ाई में घायल हुआ होगा। लेकिन बाघ टी-27 का कहीं पता नहीं चल रहा है। उसकी तलाश लगातार जारी है। वह अंतिम बार 23 फरवरी को कैमरा ट्रैप में नजर आया था, इसके बाद से उसका पता नहीं चल रहा है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि बाघ टी-27 को ज्यादा चोंटे भी हो सकती है, इसलिए उसकी तलाश लगातार जारी है ताकि उसका भी उपचार किया जा सके।
nn
बाघ टी-27 की तलाश में वन अमला जंगलों की खाक छान रहा है। उसकी तलाश ड्रोन कैमरे के साथ ही दुर्गम स्थलों के लिए हाथी की सहायता ली जा रही है। वन परिक्षेत्र पोंड़ी व टमसार की खाक छान चुके वन अमले को अभी तक बाघ टी-27 नहीं मिल पाया है।
nn
nn
nn
बाघ टी-22 को गत दिनों मुकुंदपुर जू भेजा गया है, ताकि बेहतर उपचार हो सके। उपचार सुविधा यहां भी मुहैया कराई जा रही थी, लेकिन पिंजरे में रखा गया था, जिससे वह असहज महसूस कर रहा था। बाघ टी-27 की तलाश जारी है।
nn
nn
मझौली. संजय टाईगर रिजर्व क्षेत्र में पक्षी सर्वेक्षण का कार्य संपन्न हो गया। 16 से 19 मार्च तक 8 राज्यों से आए विशेषज्ञों ने विभिन्न प्रजाति के पक्षियों व जानवरों का सर्वे किया। पक्षियों व जानवरों के लिए वातावरण अनुकूल है या नहीं इस बात पर भी सर्वे किया गया व उन पर अपने विचार रखे गए। समापन दुबरी परिक्षेत्र अंतर्गत बडक़ाडोल गेट कैंपस में समारोह पूर्वक हुआ।
nn
वाइल्डलाइफ नेचर कंजर्वेंसी इंदौर के 15 टीमों के द्वारा सर्वे किया गया। समापन समारोह में सर्वेयर अपना-अपना अनुभव साझा किए। उन्होंने वन पक्षियों एवं वन्यजीवों के लिए संजय टाइगर रिजर्व को बेहतरीन बताया, साथ ही बताया गया कि टीम को अनुमान था कि महज 100 प्रजाति के पक्षी पाए जा सकते हैं, लेकिन सर्वे करने पर 200 से ज्यादा प्रजाति के पक्षी पाए गए, जिन्हें अपने कैमरों में कैद किया गया व उनकी विशेषताओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया।
nn
कार्यक्रम में उपसंचालक संजय टाइगर रिजर्व रघुवंशी द्वारा सर्वे टीम को बधाई देते हुए कहा गया कि वह ऐसी कामना करते हैं कि अगले वर्ष जब सर्वे की टीम आए तो ज्यादा संख्या में विशेषज्ञ आएं ताकि इस बीच हम जो भी तैयारी करें उस पर आपको बदलाव दिखे। विशेषज्ञों ने बताया, करीब 250 प्रजाति के पक्षी मिले हैं, जिसमें करीब 20 की संख्या में विलुप्त प्रजाति के पक्षी के हैं।
nn
इस दौरान डिप्टी कलेक्टर श्रेयस गोखले हरिओम उपसंचालक संजय टाइगर रिजर्व, राहुल रघुवंशी सहायक संचालक, कैलाश तिवारी सेवानिवृत्त उप संचालक पशु ने अनुभव साझा किए।
nn
समाज में प्रकृति और पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए पक्षी एवं वन्य जीवों को अनिवार्य बताया।
nn
कार्यक्रम को सफ ल बनाने में रामेश्वर टेकाम सहायक संचालक कुसमी, विनीता फु लवेल सहायक संचालक सीधी, निकुंज पांडेय एसडीओ सोन घडिय़ाल, आकाश परौहा रेंजर दुबरी, शुभम खरे रेंजर ब्यौहारी, महावीर पांडेय रेंजर वस्तुआ, कविता रावत रेंजर पोंड़ी, छोटेलाल कोल रेंजर मोहन, संजीव रंजन रेंजर मड़वास, असीम भूरिया रेंजर टमसार, रामकरण सिंह रेंजर बगदरा सहित विभिन्न परिक्षेत्र के सहायक परिक्षेत्र अधिकारी एवं वनरक्षक, चौकीदार ने सहयोग किया।
nn
nn
हरिओम, सहायक संचालक संजय टाइगर रिजर्व सीधी
n
n
n
n
nn