देहदान करने वाले राजबली सिंह परिहार
सतना/रीवा। मेडिकन कॉलेज को मंगलवार को एक देह दान में मिली। इस देह का उपयोग छात्र अपनी पढ़ाई में कर सकेंगे। बता दे कि यह देह नगौद के ग्राम धौरहरा जयगुरुदेव आश्रम के पास गली नंबर 1 निवासी राजबली सिंह परिहार पिता मना सिंह उम्र 82 वर्ष की है, जिनके द्वारा खुद सतना के संत मोतीराम आश्रम के मदद से मेडिकल कॉलेज को दान दी गई थी। सोमवार को उनका स्वास्थ्य बिगड़ा और मृत्यु हो गई, चूंकि परिजनों को इस बात की जानकारी थी कि मृतक द्वारा देहदान किया गया है तो उनके द्वारा समिति से संपर्क कर मंगलवार को मृतक की देह उनके बेटे चंद्रजीत सिंह व अजीत प्रताप सिंह द्वारा मेडिकल कॉलेज के एनॉटॉमी विभाग की डॉ.मेघना मिश्रा को सुपुर्द की गई। डॉ.मेघना मिश्रा ने बताया कि राजबली सिंह परिहार द्वारा खुद वर्ष 5 मार्च 2018 को संत मोतीलाल आश्रम सतना के माध्यम से देहदान किया था, मंगलवार को उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार जनों ने मेडिकल कॉलेज को दान की गई देह को सौंपा है। उन्होंने बताया कि राजबली सिंह परिहार व पत्नी ब्रिजभान कुमारी दोनो ने एक साथ ही देहदान का आवेदन किया था। बता दें कि इस दान किए गए देह का लाभ मेडिकल छात्रों को मिलेगा। उनके द्वारा इससे में प्रैक्टिकल किए जाएंगे।
20 छात्रों के बीच होनी चाहिए एक बॉडी— मेडिकल कॉलेज में पिछले दो साल से देहदान ना होने के चलते अब मृत मानव शरीर यानी डेड बॉडी की कमी से पढ़ाई पर भी असर देखने को मिल रहा है। क्योंकि कोरोना के संक्रमण के चलते पिछले दो साल से मेडिकल कॉलेज को देह दान के जरिए एक भी डेड बॉडी प्राप्त नहीं हुई थी, मंगलवार को एक वॉडी मिली है। पहले 15 छात्रों में एक बॉडी से पढ़ाने के नियम थे लेकिन प्रदेश भर में बॉडी की कमी चलते इनमें भी संसोधन किया गया और अब 20 छात्रों के बीच में एक बॉडी से पढ़ाने का नियम है लेकिन बावजूद इसके छात्रों की पढ़ाई के लिए पर्याप्त बॉडी नहीं मिल पा रही है। बता दे कि वर्तमान में मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग (एनॉटामी) में डेढ़ सौ छात्रों के बीच में मात्र 5 बॉडी है, यानि की एक बॉडी से 30 छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। जबकि नियमत: 7-8 बॉडी पढ़ाई के लिए होनी चाहिए। इसकी सबसे बड़ी वजह बॉडी का नहीं मिलना है। इसके लिए प्रयास तो किए जा रहे है लेकिन देहदान और मौत के बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के चलते बॉडी नहीं मिल पाती। एटॉनामी विभाग में 10 बॉडी को स्टॉक के रूप में रखा गया है, अब एक और बॉडी मिलने के बाद इनकी संख्या 11 हो गई। एनाटॉमी विभाग के विशेषज्ञों की माने तो जब छात्र मेडिकल की पढ़ाई करता है तो उसे सबसे पहले मानव शरीर की संरचना पढ़ाई जाती है, हालांकि पढऩे से वह कम सीख पाता है लेकिन जब उसे प्रैक्टिकल कराया जाता है तो वह अधिक प्रभावी होता है। हालांकि विभागाध्यक्ष एनॉटामी विभाग डॉ.पीजी खनवालकर व डॉ.मेघना मिश्रा के प्रयासों से छात्रों की समस्याओं का निराकरण कर उन्हें हर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है एवं विभाग का संचालन भी पूरी जिम्मेदरी के साथ किया जा रहा है।
०००००००००००००००००
०००००००००००