वीरेंद्र सिंह सेंगर(बबली),रीवा। भूमाफिया के खिलाफ सरकार की कार्यवाही अब ठंडे बस्ते में है। भूमाफिया बता कुछ गरीबो पर चाभुक चलाने वाले जिम्मेदार अब मौन साध बैठे है इतना ही नही अब पुराने हिसाब किताब किये जा रहे है। ऐसा हम नही प्रशाशनिक अधिकारियों पर लग रहे आरोप बयां कर रहे हैं। विवादों में रहने वाले हुजूर तहसीलदार पर एक नया आरोप सामने आया है। बता दें कि राजस्व न्यायालय में वजन की जीत होती है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। पटवारी से लेकर तहसीलदार तक वजन के चक्कर में पड़ कर लोकायुक्त के फंदे में फंस चुके है। जमीनी विवाद सुलझाने के लिए राजस्व न्यायालय होता है लेकिन वहां विवाद सुलझाने के स्थान पर विवाद को उलझाने का काम होता है। जिले में अधिकांश जमीनी विवाद की देन ही राजस्व न्यायालय है, ऐसा कहा जाये तो शायद गलत नहीं होगा। जमीनी विवाद पर लाठी चलना, हत्या हो जाना आम बात हो गई है। तहसीलदार से लेकर पटवारी तक का एक ही फंडा होता है वर मरे या कन्या उनको तो बस दक्षिणा से मतलब है। ऐसा ही एक मामला हुजूर तहसील का सामने आया है, जिसमें करहिया निवासी मो. शहीद अंसारी ने तहसीलदार रामेश्वर त्रिपाठी पर गंभीर आरोप लगाये हैं। आरोप है कि तहसीलदार भू माफियाओं के हाथों की कठपुतली बन चुके है। शहर के नामी व्यापारी को लाभ दिलाने दस लाख रुपये में सौदा कर उनकी जमीन ही गायब कर दी। उनके कारनामों का पुलिंदा एसपी से लेकर कमिश्नर, कलेक्टर, ईओडब्लू एंव भोपाल तक भेजा है। मो. शहीद अंसारी पिता हाजी अब्दुल अजीज निवासी करहिया नं. 1 ने तहसीलदार हुजूर रामेश्वर त्रिपाठी पर आरोप लगाते हुये कहा कि तहसीलदार ने शहर के नामी व्यापारी सुनील सिंह पिता बद्री सिंह को लाभ दिलाने 10 लाख रुपये लेकर एक ही भूमि का दो बार सीमांकन किया है। मो. शहीद अंसारी ने बताया कि सुनील सिंह द्वारा बीड़ा सेमरिया मार्ग स्थित खसरा क्रमांक 49/1 एंव 49/2 कुल रकबा का सीमांकन 21 मई 2015 को करवाया था। जिसमें राजस्व नक्शे में भूमि खसरा क्रमांक 48 के बाद ही भूमि खसरा क्रमांक 49/1 एंव 49/2 स्थित है। भू स्वामी सुनील सिंह को अपनी जमीन तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं था। रास्ते की लालच में सुनील सिंह ने तहसीलदार रामेश्वर त्रिपाठी से मिलकर दस लाख रुपये में सौदा कर 30 जून 2020 को दूसरा सीमांकन करवाया। सीमांकन में फर्जी नाप करते हुये उसकी करोड़ों रुपये की भूमि हड़प ली। इस बात की जब जानकारी लगी तो भ्रष्ट्राचारी तहसीलदार के सीमांकन के विरुद्ध अनुविभागीय न्यायालय में अपील की। मो. शहीद अंसारी ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में तहसीलदार के साथ ही राजस्व निरीक्षक नारायण सिंह, विनोद पांडेय पटवारी रावेंद्र पांडेय, प्रकाश सिंह, वीरेंद्रधर द्विवेदी, राजेंद्र द्विवेदी, गोकरण प्रसाद द्विवेदी एंव स्वामीशरण शामिल है। जो पुलिस बल लेकर उनकी जमीन पर प्रशासनिक धौंस देकर जरीब चलाते हुये सुनील सिंह के नामे कर दी।
जनहित याचिका वापस लेने तहसीलदार बना रहे दबाव—
मो. शहीद अंसारी ने तहसीलदार हुजूर पर आरोप लगाते हुये कहा कि वे न्याय की कुर्सी पर बैठ कर शहर के नामी व्यापारी सुनील सिंह के लिए काम करते है। बताया कि भू माफियाओं ने करहिया स्थित शासकीय तालाब के राजस्व रिकॉड में हेराफेरी कर खुर्दबुर्द कर दी। जिसकी शिकायत ईओडब्लू में की गई थी। ईओडब्लू ने शिकायत को संज्ञान में लेते हुये मामला दर्ज कर लिया और प्रशासन को पत्र लिख कर जबाव मांगा है। इससे भू माफियाओं में खलबली मची हुई है। मो. शहीद अंसारी ने कहा कि करहिया तालाब में दायर जनहित याचिका को वापस लेने और सुनील सिंह से समझौता करने के लिए तहसीलदार रामेश्वर त्रिपाठी द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। तहसीलदार ने यहां तक कहा कि समझौता कर लो 40-45 लाख रुपये सुनील सिंह से दिलवा देंगे।
पीडि़त मो. शहीद अंसारी ने बताया कि जब उसकी जमीन खसरा क्रमांक 48 में तहसीलदार हुजूर द्वारा हेराफेरी किये जाने की जानकारी लगी तो वह अपने जमीन का सीमांकन करने के लिए तहसील में कई बार आवेदन किये। उनकी मांग थी कि राजस्व विभाग द्वारा एक टीम गठित कर खसरा नं. 48 का सीमांकन किया जाये। पीडि़त ने बताया कि तहसीलदार हुजूर को इस बात का भय है कि सीमांकन किये जाने पर उसके द्वारा किया गया फर्जीवाड़ा उजागर हो जायेगा और वह आज तक टीम गठित कर सीमांकन नहीं करवा रहे है।
दिये गये दस्तावेज में पीडि़त ने बताया कि खसरा क्रमांक 49/1 एंव 49/2 के राजस्व रिकॉड में दो अलग-अलग चौहदी एंव नक्शे है। उक्त आराजी को जब 26 मार्च 12 को राजेंद्र शर्मा ने अनुराग सिंह एंव अनुपम सिंह से खरीदी थी तब उसकी चौहदी और नक्शा कुछ और ही था। तब रजिस्ट्री में कोई रोड-रास्ता नहीं था। लेकिन आज जब तहसीलदार उसी जमीन का सीमांकन किये जो रोड-रास्ता कहां से आ गया, जो विचारणीय बिंदु है।
अपर कलेक्टर के इशारे पर करते थे काम— बता दे कि हुजूर तहसीलदार पर यह कोई पहला आरोप नही है इसके पहले अपर कलेक्टर रहीं इला तिवारी के परिवार जनों ने भी तहसीलदार पर मनमानी कार्यवाही का आरोप लगाया था। उस समय आवेदन दे अपर कलेक्टर की बड़ी मा लक्ष्मी देवी ने बताया था कि उनके पति की खरीदी संपत्ति पर अपर कलेक्टर व उनके पिता सेवानिवृत्त डिप्टी कमिश्नर नवीन तिवारी की नजर है और इसका मामला न्यायालय में विचाराधीन है वाबजूद इसके अपर कलेक्टर इला तिवारी और तहसीलदार रामेश्वर त्रिपाठी द्वारा नियम विरुद्ध कार्यवाही की। लगातार शिकायतों के बाद इला तिवारी का तबादला उमरिया कर दिया गया लेकिन तहसीलदार फिलहाल कुर्सी में जमे हुए हैं।चर्चाओ के अनुसार तहसीलदार को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, यही वजह भी है कि वह मनमानी करते है और वरिष्ठ अधिकारियों को भी तवज्जों नही देते।